सुरेंद्र किशोर : सबका सम्मान भी… फिर कैसे बढ़ेंगे उद्योग इस कृषि प्रधान देश में

भारत रत्न व पद्म सम्मान
———–
नरेंद्र मोदी सरकार ने इन सम्मानों के लिए वैसी हस्तियों को भी याद किया है जिन्हें उन दलों ने ऐसा सम्मान नहीं दिया या फिर देने-दिलाने की कोई गंभीर कोशिश भी नहीं की, जिन दलों में उन हस्तियों ने अपना जीवन खपा दिया था।
कर्पूरी ठाकुर ,पी.वी.नरसिंह राव और चैधरी चैधरी सिंह इसके
ताजा उदाहरण हैं।इन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
सन 2019 में प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न सम्मान मिल चुका है।
पद्म सम्मानों में भी ढूंढ़ने पर ऐसे उदाहरण आपको मिल जाएंगे।
लगता है -सबका साथ,
सबका विकास,
सबका विश्वास,
सबका प्रयास के
साथ -साथ अब सबका सम्मान भी !!!
————

 

चौधरी चरण सिंह की याद में
—————-
आम किसानों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ेगी तो करखनिया माल के ग्राहक भी नहीं बढ़ेंगे।
फिर कैसे बढ़ेंगे उद्योग इस कृषि प्रधान देश में ?
—चौधरी चरण सिंह
————–
1.-उन दिनों मैं ‘जनसत्ता’ के लिए बिहार से काम कर रहा था।
पटना के स्टेट गेस्ट हाउस में पूर्व प्रधान मंत्री चरण सिंह से बातचीत करने पहुंच गया।
मुलाकात हो गयी।बातें होने लगीं।
उनकी बातों से मुझे लगा कि इस देश की मूल आर्थिक समस्याओं और उनके समाधान को लेकर अन्य अनेक नेताओं की अपेक्षा चैधरी साहब का आकलन बेहतर व सटीक है।
मुझे सुनने में अच्छा लग रहा था।वे भी बातचीत से ऊब नहीं रहे थे जबकि समय अधिक होता जा रहा था।
इस बीच उनके बाॅडी गार्ड या निजी सचिव मुझे वहां से भगाने की कोशिश करने लगा।
पहले धीरे से।
बाद में कड़े स्वर में, कहने लगा,उठो जाओ।
भागो यहां से।
मैं भला क्या करता !
चैधरी साहब उसे रोक भी नहीं रहे थे।
संभवतः वह बेचारा कर्मचारी अपनी ड्यूटी बजा रहा था।
कोई और जरूरी काम रहा होगा।
या फिर उन्हें अधिक बोलने की मनाही होगी।
यह सब तो चरण सिंह का कोई करीबी ही बता सकता है।
पत्रकारीय जीवन मंें मेरा उतना अपमान पहले कभी नहीं हुआ था।
—————
फिर भी मैं दुःखी नहीं हुआ।
क्योंकि मुझे लगा कि एक ऐसे नेता से बातें र्हुइं जो देश की असली समस्या को समझता है।
चैधरी साहब की पत्रिका का नाम भी था-‘असली भारत।’
2.-चरण सिंह को अक्सर लोग जाट नेता कहते या लिखते रहे।उन्हें बहुत बुरा लगता था।
मुझे भी यह अन्यायपूर्ण लगा।
उनके मंत्रिमंडल में सिर्फ एक जाट मंत्री अजय सिंह थे।
वह भी राज्य मंत्री।
अन्य प्रधान मंत्रियों के मंत्रिमंडलों में उनकी जाति के मंत्रियों को गिन लीजिए।फिर उन्हें जातीय नेता क्यों नहीं कहा गया ?
यह सब मीडिया व नेताओं के एक हिस्से की ‘‘मेहरबानी’’ से हुआ।
चैधरी साहब की दोनों बेटियों ने दूसरी जातियों में व्याह किया।मैंने नहीं सुना कि चरण सिंह ने विरोध किया हो।
जबकि अपने देश में अन्तरजातीय विवाहों के विरोध का लंबा इतिहास है-विजयाराजे सिंधिया से लेकर इंदिरा गांधी तक।
—————–
जातिवाद के आरोप पर चरण सिंह कहा कहते थे कि इस देश में एक कानून बने।
गजटेड नौकरियां सिर्फ उन्हें ही मिलें जिन्होंने अंतरजातीय शादी की हो।
इस पर सब चुप हो जाते थे।
बिहार के एक बड़े नेता की बेटी ने दूसरी जाति के लड़के से गहरा प्रेम किया था।
पर पिता ने वह शादी नहीं होने दी ।उन्हें अपनी जाति का वोट बिगड़ने का भय था।
3.-चरण सिंह की राय थी कि कृषि का विकास हुए बिना इस देश में औद्योगिक विकास नहीं हो सकता।क्योंकि जब तक 70 प्रतिशत लोगों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ेगी तब तक करखनिया माल को खरीदेंगे कितने लोग ?
4.-देश की सुरक्षा और एकता को लेकर चरण सिंह के विचार बड़े पक्के थे।
उन्होंने ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर.सिली की पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद करवा कर छपवाया और वितरित करवाया।
सिली ने लिखा था कि ब्रिटिशर्स ने भारत को कैसे जीता।
उस इतिहासकार की स्थापना थी कि हमने नहीं जीता,बल्कि खुद भारतीयों ने ही भारत को जीत कर हमारे प्लेट पर रख दिया।
चरण सिंह ने एक तरह से चेताया था कि यदि इस देश में
गद्दार मजबूत होंगे तो देश नहीं बचेगा।
आज भी यह देश ऐसे नेताओं को झेल रहा है जो ऐसे -ऐसे बयान देते रहते हैं और काम करते हैं जिससे उन लोगों को मदद मिले जो इस देश को तोड़ने और हथियारों के बल पर राज सत्ता पर कब्जा करके एक खास धर्म का शासन स्थापित करने के लिए रात दिन प्रयत्नशील हैं।
5.-चरण सिंह राजनीतिक खर्चे के लिए बड़े उद्योगपतियों -व्यापारियों से पैसे नहीं लेते थे।
उन्हें धनी किसान मदद करते थे।
जब वे प्रधान मंत्री बने तो उनके सर्वाधिक करीबी राजनाराण के यहां एक बड़े व्यापारी पहुंचे।
कहा कि हमारे अखबार को एक संपादक चाहिए।
चैधरी साहब कोई नाम बताएं तो हम उसे रख लेंगे।
राज नारायण तो चैधरी की कार्यशैली जानते थे।
अपने लहजे में ‘नेता जी’ ने उस व्यापारी को टरका दिया।
मीडिया का चरण सिंह के प्रति रुख का एक नमूना मैंने उन दिनों कहीं पढ़ा या सुना था।
प्रधान मंत्री चरण सिंह ने एक बार प्रेस काफ्रेंस बुलाया।हाॅल में पत्रकार पहुंच चुके थे।जब चरण सिंह ने प्रवेश किया तो पत्रकार उनके स्वागत में उठ कर खड़े नहीं हुए जबकि उससे पहले हर प्रधान मंत्री के आने पर पत्रकार उठकर खड़े होते थे।
जब चरण सिंह ने प्रेस का अपने प्रति ऐसा भाव देखा तो उन्होंने कोई बात किए बिना प्रेस कांफ्रेंस समाप्त कर दिया।
(वैसे इस प्रकरण की पुष्टि या अपुष्टि उस समय के कोई पत्रकार करें तो मुझे खुशी होगी।)
और अंत में
——-
चैधरी चरण सिंह की जयंती मनाने वाले कितने नेता व राजनीतिक कार्यकत्र्ता उस दिवंगत नेता की राह पर चलना भी चाहते हैं ?उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने पर मुझे खुशी हुई।वे वास्तव में रत्न थे।
आज के प्रभात खबर में प्रकाशित अपने लेख में के.सी.त्यागी ने लिखा है कि ‘‘बतौर वकील ,वह (यानी चैधरी चरण सिंह) उन्हीं मुकदमों को स्वीकार करते थे,जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था।’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *