नमो भारत भाग-2 : 54 सैनिकों की दुर्दशा.. कमतर कतर..चरण वंदन कर अभिनंदन…
एक समय वो था जब 90 हजार बंदी बनाकर रखे गए सैनिकों को छोड़ने के बदले पाकिस्तान की कैद में पड़े मात्र 54 भारतीय सैनिकों को भी तत्कालीन इंदिरा सरकार वापस नहीं ला सकी। आज 53 वर्षों के बाद उनका क्या हुआ होगा और उनके परिवारों पर क्या बीती होगी, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की जेलों में बंद सैनिकों की संख्या 54 है, लेकिन ऐसा काफी बाद में पता चला। 1971 के युद्ध के बाद से लापता इन सैनिकों को लेकर 1979 में लोकसभा में प्रस्तुत एक सूची में 40 सैनिकों के नाम थे। इस सूची में उन जेलों के बारे में भी बताया गया था जहां इन सैनिकों को रखा गया। इस सूची में बाद में 14 और नाम जुड़ गए।
एक समय था जब पकड़े जाने भारतीय सैनिकों की नाक, कान कटे हुए आंखे निकाल दी गई भारतीय सैनिकों की क्षत विक्षत लाशें उनके घर वालों को मिलती थी और तब केंद्रीय सत्ता में देश के ठेकेदार बने सरकारों के मुंह में प्रतिकार का एक शब्द ही नहीं निकलता था। मुंह में दही जमाये वार्ता के लिए डोजियर भेजे जाने की रस्म अदायगी होती थी।
एक समय 2014 के बाद का है जब मुंह में दही जमाये वार्ता के लिए डोजियर नहीं भेजे जाते बल्कि सीधे सीधे डोज दिया जाता है।
एक समय 2014 के बाद का है जब मात्र एक “अभिनंदन” की वापसी के लिए सीमा पर मिसाइलें तन जाती है और चरण वंदन करते हुए अभिनंदन को छोड़ा जाता है। इसमें भी मोदी सरकार की चेतावनी होती है कि अभिनंदन के शरीर पर मारपीट, टॉर्चर के कोई निशान न हो..60 घंटो ..(2014 के पहले की सरकारें वैश्विक मंच पर अपने दुख का घंटा बजाती थीं)… के भीतर अभिनंदन की वापसी होती है… वैश्विक परिदृश्य में अनेक रेस्क्यू ऑपरेशन को अपने लक्ष्य तक पहुंचाकर मोदी के भारत ने अनेक ऐतिहासिक कामों को किया है।
यूक्रेन युद्ध को रुकवाकर हजारों लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की बात हो, फिर गाजा-इजरायल से भारतीयों को वापस लाना हो, सूडान से भारतीयों को सुरक्षित भारत लाना हो या फ्रांस में रोके गए 303 भारतीयों में से 280 को भारत वापस लाना हो…ये मोदी सरकार की वैश्विक परिदृश्य में बढ़ती ताकत का प्रतीक है।
ताजा उदाहरण कतर में फांसी की सजा पाए 8 भारतीय सैनिकों की वापसी का है जब विपक्षी दलों के नेता मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए उन 8 लोगों की मौत की कामना करते घड़ियाली आंसू बहा रहे थे। लुटियंस गैंग जो कैद में पड़े कैदियों के लिए मोदी सरकार पर टूट पड़ा था, उनके गालों पर इनकी सकुशल वापसी से झन्नाटेदार थप्पड़ जड़ दिया गया है।
विपक्षी दलों के नेता इन 8 परिवारों के लोगों से मिलकर दिल्ली में धरना प्रदर्शन करने को कह रहे थे लेकिन उनके परिजनों ने संयम से काम लिया और विपक्षी नेताओं के झांसे में नहीं फंसे।
भारत को एक बार वैश्विक परिदृश्य में फिर बड़ी कूटनीतिक जीत मिली है। कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व नौ सैनिकों को रिहा कर दिया गया है जिनमें से सात नौ सैनिक वापस लौट चुके हैं।
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में इसकी जानकारी दी गई है।ये आठों पूर्व नौसैनिक जासूसी के आरोप में कतर की जेल में बंद थे। अदालत ने इन्हें मौत की सजा सुनाई थी। जिसके बाद भारत के लिए इनकी रिहाई बड़ी चुनौती बनी हुई थी। भारत के अनुरोध पर कतर के अमीर ने पहले ही इन नौसैनिकों की मौत की सजा को कम करते हुए उम्रकैद में बदल दिया था। अब अमीर के आदेश पर इन पूर्व नौ सैनिकों की रिहाई कर दी गई है जिसका भारत ने स्वागत किया है।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए अल-दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। उनमें से आठ में से सात भारतीय सुरक्षित भारत लौट आए हैं।’ मंत्रालय ने कहा, ‘हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी सुनिश्चित करवाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।’
कतर की अदालत ने जब भारत के आठ पूर्व नौ सैनिकों की सजा का ऐलान किया तो भारत ने इसके खिलाफ अपील की थी। इसका फायदा यह हुआ कि 28 दिसंबर, 2023 को आठों भारतीय नागरिकों को सुनाई गई मौत की सजा पर रोक लगा दी गई। इनकी रिहाई के लिए कतर और भारत के बीच राजनयिक वार्ता चल रही थी। जिसके बाद नौसैनिकों की मौत की सजा को बढ़ी हुई जेल की सजा में बदल दिया गया।
उल्लेखनीय है कि कतर की जेल में कैद ये आठों भारतीय पहले नौसेना में काम करते थे। इनके ऊपर कथित तौर पर कतर के सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने का आरोप था, जिसके बाद आठों को गिरफ्तार किया। ये अक्टूबर, 2022 से ही कतर की जेल में बंद थे। कतर की अदालत ने आठों भारतीयों को जासूसी का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी।
कुछ दिन पहले लोकसभा में विपक्ष ने सरकार को चैलेंज करते हुए कहा था कि कतर में फंसे सैनिकों को वापस लाकर दिखाइए।
पीएम मोदी के प्रति आभार जताया नौसैनिकों ने
कतर से भारत लौटे इन पूर्व नौसैनिकों ने अपनी रिहाई के लिए पीएम के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि, हमने अपने देश वापस लौटने के लिए करीब 18 महीने तक प्रतीक्षा की। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद आभारी हैं। यह उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप और कतर के साथ उनके समीकरणों-संबंधों के बिना संभव नहीं होता।हम भारत सरकार की ओर से किए गए हर प्रयास के लिए आभारी हैं। प्रयासों के बिना यह दिन देखना हमारे लिए संभव नहीं होता।