सुरेंद्र किशोर : नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि 1 लाख नौजवान राजनीति से जुड़ें पर…

नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि 1 लाख नौजवान
राजनीति से जुड़ें।पर,ससंद में लगातार
जारी ‘‘गुंडागर्दी’’ को देखकर कौन जुड़ेगा ?
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सुप्रीम कोर्ट और मोदी-योगी सरकार के सत्प्रयास से
अयोध्या मंदिर की बाबर युग से पहले वाली गरिमा
वापस आ गई है।
अब पीठासीन पदाधिकारियों और मोदी सरकार को चाहिए कि वे लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद को भी एक बार फिर गरिमायुक्त बनायें।
नियम कानून लागू करके जब योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के खूंखार माफियाओं को भी मिट्टी में मिला सकते हैं तो पीठासीन पदाधिकारीगण भी सरकारी दल के सहयोग से संसद की कार्यवाहियों में उदंड व बाहुबली सांसदों की भूमिका को समाप्त कर सकते हैं।
बाहुबली बहुत हल्का शब्द है उनके कृत्यों के समक्ष।चंडूखाने जैसे दृश्यों से देश-विदेश में भारतीय लोकतंत्र की बदनामी हो रही है।इस हड़भांेग को रोकने में विफल
रहने पर पीठासीन पदाधिकारियों और सत्ताधारी दल की भी छवि अच्छी नहीं बन रही है।
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पचास और साठ के दशकों में इस देश की संसद और विधान सभाओं की बैठकें शालीन तरीके से चलती ही थीं।
सदन की कार्य संचालन नियमावली वही पुरानी अब भी मौजूद है।
समय -समय पर अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकरियों के सम्मेलनों की सिफारिशें आती रहती है।
पीठासीन पदाधिकारी गण उन नियमों-सिफारिशों का इस्तेमाल करें और शासक दल उन्हें इस काम में पूर्ण सहायता करे।
इस देश के शांतिप्रिय व शालीन लोग चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर संसद-विधान सभाओं में चंडूखाने के दृश्य उपस्थित नहीं होने चाहिए।
मोदी से यह भी उम्मीद की जाती है कि जिस तरह भ्रष्टाचार के बारे में आपका जीरो सहनशीलता है,उसी तरह संदन की अराजकता को लेकर भी आपका वही रुख होना चाहिए।
ऐसे ही आप सर्वाधिक लोक्िरपय नेता हंै।सदन की गरिमा वापस करने से आपकी लोकप्रियता और भी बढ़ेगी।
सदन में लगातार सड़कछाप,असंसदीय,अमर्यादित व्यवहार करने वालों की संख्या मार्शलों की संख्या से अधिक नहीं है।फिर भी मार्शलों को बैठाकर वेतन क्यों दिया जा रहा है ?
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हंगामे का मूल कारण राजनीति का अपराधीकरण,भ्रष्टीकरण और स्तर का गिरना है।
सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि चुनाव आयोग राजनीति के अपराधीकरण से निपटने में सक्षम है।
उधर चुनाव आयोग कहता है कि राजनीतिक दलों के निबंधन को समाप्त करने का अधिकार आदि केंद्र सरकार चुनाव आयोग को दे दे तो स्थिति बदल सकती है।
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प्रधान मंत्री मोदी ने यह घोषणा की है कि वे चाहते हैं कि देश के अच्छी मंशा वाले एक लाख
नौजवान राजनीति से जुड़ें।
पर,सवाल है कि अच्छी मंशा वाले देशभक्त व शालीन लोगों के अनुकूल माहौल सदन या उसके बाहर अभी मौजूद है ?
पहले तो बेहतर माहौल बनाना पड़ेगा।
यदि वे देखेंगे कि उन्हें भी जाकर धक्कम-धक्की -शोरगुल-माइक तोड़ -टेबल पटक के ही काम करने होंगे तो वे क्यों आएंगे ?
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भाजपा नेतृत्व को चाहिए कि वह उन प्रदेशों में अपनी पार्टी के विधायकों से सदन में
शालीन व्यवहार करने के लिए पहले कहे जहां वह प्रतिपक्ष में है।
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8 सितंबर, 2012 को लोक सभा में प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा था कि ‘‘संसद के काम काज को बाधित करना भी लोकतंत्र का एक फाॅर्म है जिस तरह लोकतंत्र के अन्य रूप-विधान हैं।’’
स्वराज ने यह भी कहा था कि प्रधान मंत्री मन मोहन सिंह जब राज्य सभा में प्रतिपक्ष के नेता थे तो उन्होंने भी तहलका के मुद्दे पर संसद के काम काज को बाधित किया था।
जब प्रतिपक्ष में थे तो भाजपा नेता अरुण जेटली ने भी एक अन्य अवसर पर सुषमा स्वराज वाली ही बात कही थी।
उन पढ़े-लिखे शालीन भाजपा नेताओं की ऐसी बातों से इस देश के हंगामा ब्रिगेड को बड़ा बल मिला है।
लोकतंत्र के मंदिर को चंडूखाना बना देने की कोशिश करने वाले गैर जिम्मेदार नेताओं की ऐसी करतूतों पर देश के सही सोच वाले आम लोग छि….छि करते हैं।

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