सुरेंद्र किशोर : अब पछताए होत क्या !
एक भ्रष्ट नेता ने नाजायज तरीके से लगभग 30 करोड़ रुपए
एकत्र किए।
इसमें से 10 करोड़ रुपए उसने देश-विदेश में अपने ‘ऐशो आराम’ में उड़ा दिए।
10 करोड़ रुपए की उसने अचल संपत्ति खड़ी की।
बचे दस करोड़ रुपए।

उसे उसने अपने आगे के खर्चे के लिए रखे थे ।क्योंकि तब तक उसकी ‘कमाने’ की क्षमता समाप्त हो चुकी थी।
इस बीच उस पर भ्रष्टाचार के आरोप में मुकदमे शुरू हो चुके थे।
लोअर कोर्ट से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट करते -करते उसके काफी पैसे खत्म होने लगे।
उसके बाल -बच्चे चिंता में पड़ गए।
चिंता यह थी कि बचे-खुचे पैसे भी यदि इनके मुकदमों में ही स्वाहा हो जाएंगे तो हमारे लिए क्या बचेगा ?
वे इसी चिंता और चिंतन में थे, इस बीच उस भ्रष्ट नेता को कोर्ट से जमानत मिल गई।
वह घर लौटा।
बेटे के लिए अच्छा मौका था।
एक रात सोए में उसने अपने बूढ़े होते पिता की गर्दन पूरी ताकत से दबा दी।
जब पुत्र गर्दन दबा रहा होगा,उस समय पिता क्या सोच रहा होगा !
अनुमान लगाइए।
अब करीब पांच करोड़ रुपए उस परिवार के लिए बच गए।
यह कहानी सच है या झूठ ?
यह कहानी मुझे बताने वाले व्यक्ति तो काफी जानकार माने जाते हैं ।
खैर जो भी हो !
यदि सच है तो बताइए इस कहानी का मोरल क्या है ?
