कौशल सिखौला : संविधान दिवस पर आदिवासी राष्ट्रपति का अपमान..!
संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री से लेकर ओम बिरला तक तथा उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ से लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे तक , सभी मंचस्थ आठ विशिष्टजनों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का हाथ जोड़कर अभिवादन किया । लेकिन मंच पर प्रोटोकॉल के अंतर्गत विराजमान नेता प्रतिपक्ष ने अभिवादन करने की बजाय मुंह मोड़ लिया । यही नहीं , जब मंचासीन तमाम सम्मानजन और राष्ट्रपति खड़े थे , तब राहुल गांधी खड़गे को खड़ा देखकर भी कुर्सी पर बैठे रहे ।
संविधान दिवस की 75 वीं जयंती पर संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित यह कार्यक्रम दूरदर्शन सहित तमाम चैनलों पर लाइव दिखाया जा रहा था । राहुल गांधी से बड़प्पन दिखाने की उम्मीद की जा रही थी । लेकिन वे पीएम का अनुसरण तो खैर नहीं कर सकते थे , परंतु राष्ट्रपति और अपने ही अध्यक्ष खड़गे का अनुसरण उन्हें अवश्य करना चाहिए था । अब क्या करें , कुछ लोग जो अपने आप को देश का मालिक समझते हों , उनसे ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती । अलबत्ता तमाम मीडिया चैनलों ने पूरा मंच दिखाकर देश के सामने महानुभाव की हकीकत परोस दी ।
कल ही टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी ने कहा कि राहुल गांधी कमजोर नेता हैं । इंडी गठबंधन चलाना उनके बस में नहीं । इंडी अलायंस को ममता बनर्जी जैसे सशक्त नेतृत्व की जरूरत है । कमजोर नेतृत्व होने से गठबंधन को पराजय का सामना करना पड़ रहा है । ऐसे हालात में गठबंधन आगे नहीं चल सकता । कल्याण बाबू अपनी तेजतर्रारी और साफगोई के कारण चर्चित रहे हैं ।
संसद और जेपीसी के भीतर उनकी सरगर्मी कईं बार संकट का सबब भी बनती रही है । राहुल गांधी पर कांग्रेस और इंडी की निर्भरता का प्रमाण है कि केजरीवाल ने पंजाब और दिल्ली में खुद को कांग्रेस से अलग कर लिया । बंगाल में ममता ने कांग्रेस से बात तक नहीं की । यूपी उपचुनाव में अखिलेश ने कांग्रेस को एक भी सीट देने से इनकार कर दिया । कश्मीर में भी फारूख अब्दुल्ला ने कांग्रेस द्वारा मांगी गई 30 सीट देने से मना कर दिया था ।
किसी भी लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका अनिवार्य है । देश में आजादी के बाद कांग्रेस का वर्चस्व था , सभी कांग्रेसी थे । धीरे धीरे विपक्षी पार्टियां बनीं लेकिन कांग्रेस का कोई भी विकल्प नहीं बन सकी । वर्तमान इंडी अलायंस से भी दस कदम आगे बढ़ाकर उस समय की तमाम विरोधी पार्टियों ने विलयकर जनता पार्टी बनाई । यह पार्टी दो ही सालों में बिखर गई और पुनः मूल दलों में लौट गई । इंडी अलायंस का भी एक न एक दिन यही हश्र होना है । हमारे कुछ मित्रों को यह बात बुरी लगती है । लेकिन इंडी अलायंस किसी दिन टूटा तो इसका एक मात्र जिम्मेदार कौन होगा , कल्याण बनर्जी ने बता दिया है