सुरेंद्र किशोर : सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के आरोप से बचना हो तो मोदी सरकार जल्द यह कदम उठाए

जन प्रतिनिधियों से पूछिए कि आपके पास
जो संपत्ति है,उसका स्रोत क्या है ?
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सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के आरोप से बचना हो
तो मोदी सरकार जल्द यह कदम उठाए

सुप्रीम कोर्ट ने सन 2018 में भारत सरकार को एक खास तरह का निदेश दिया था।
वह निदेश चुनाव में खड़ा होने वाले उम्मीदवारों के बारे में था।
याद रहे कि उम्मीदवार आज अपनी संपत्ति का विवरण तो नामांन पत्रों के साथ दे देते हैं,पर वे यह नहीं बताते कि उनके पास जो धन-संपत्ति है,वह किस तरीके से कमाई गई है।किस स्रोत से आई है।
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सुप्रीम कोर्ट ने सन 2018 में यह निदेश दिया था कि भारत सरकार इस संबंध में नियम बनाये
ताकि उम्मीदवारों के लिए यह जरूरी हो जाए कि वे संपत्ति की कमाई का स्रोत भी बताएं।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि उम्मीदवार आय का स्रोत नहीं बताएं तो उसे भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखा जाये।
2018 के निर्णय के 6 साल बीत जाने के बाद भी भारत सरकार ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया।
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हाल में इस संबंध में दायर एक लोकहित याचिका के जरिए सबसे बड़ी अदालत से यह मांग की गयी है कि इस अदालत के निदेश की अवमानना के कारण भारत सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस चलाया जाये।
‘‘लोक प्रहरी’ के एस.एन.शुक्ल की तत्संबंधी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने कल सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया।यह बहुत बड़ी खबर है।
कल्पना कीजिए कि यदि सुप्रीम कोर्ट अंततः भारत सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला चला दे तो क्या होगा ?
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मेरी समझ से भारत सरकार को मजबूर होकर एक तंत्र बनाना पड़ेगा जो जन प्रतिनिधियों की समय-समय पर बढ़ रही संपत्ति का आंकड़ा तैयार करेगा।
यदि यह पाया जाएगा कि जन प्रतिनिधि(एम.पी.-एम.एल.ए.)
के पास ऐसे पैसे आ रहे हैं जिसका कोई जायज स्रोत नहीं तो
उन पर मुकदमा चलेगा।
मुकदमा चलेगा तो क्या होगा ?
संसदीय राजनीति में धन तंत्र का जो आज भारी प्रभाव है वह कम होगा।आज गरीब आदमी चुनाव लड़ने को सोच भी नहीं सकता।क्या यह सिर्फ अमीरों का लोकतंत्र है ?
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खुद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी तो यही चाहते हैं कि भ्रष्टाचार पर काबू पाया जाए।
इसलिएं मोदी सरकार मौजूदा केस में सुप्रीम कोर्ट का पूर्ण सहयोग करके देश सेवा के अपने ही काम को आगे बढ़ाएगी।
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अब नमून के तौर पर देश के कुछ धनपति जन प्रतिनिधियों की चर्चा की जाए।
देश के सर्वाधिक अमीर सांसद का नाम है–चंद्रशेखर पेमासानी(टी डी पी)उनके पास 5705 करोड़ रुपए की संपत्ति
है।
एक अन्य अमीर जन प्रतिनिधि हैं–कर्नाटका के उप मुख्य मंत्री डी.के. शिव कुमार।उनके पास 593 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
पूर्व मुख्य मंत्री कुमार स्वामी के पास 217 करोड़ रुपए की संपत्ति है।
संभव है कि यदि जांच हो तो ये नेता लोग यह सबूत दे दें कि हमारे पास जो भी संपत्ति है,वह जायज तरीके से कमाई हुई है।
क्या सारे नेता ऐसे सबूत दे पाएंगे ?
पता नहीं।
आशंका तो यही है कि सैकड़ों जन प्रतिनिधि गण सबूत नहीं दे पाएंगे।
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उसके बाद उनके खिलाफ जब केस चलेगा और अंततः वे चुनाव लड़ने से वंचित कर दिए जाएंगे तो देश की राजनीति में व्याप्त गंदगी की सफाई ही तो होगी।
मोदी जी भी यही चाहते हैं।
कि –न खाएंगे और न खाने देंगे।
तो फिर देर कैसी ?
नोटिस मिलते ही तुरंत सुप्रीम कोर्ट को इस शपथ के साथ यह बात कह दीजिए कि आपके सन 2018 के आदेश को हू ब हू
लागू किया जाएगा।
और लागू भी करिए।
यदि मोदी इस दिशा में निर्भीक होकर काम शुरू करा दें
तो आम लोग मोदी से और भी खुश होंगे।
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क्योंकि आज देश की सबसे बड़ी समस्याएं है राजनीति व प्रशासन में भारी भ्रष्टाचार और जेहादी खतरा।
कार्यपालिका के लगभग हर स्तर पर व्याप्त भारी भ्रष्टाचार के कारण जेहादियों को यहां अपनी ताकत बढ़ाने में काफी मदद मिल रही है।यानी भ्रष्टाचार पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो यह देश नहीं बचेगा।

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