पवन विजय : बाबा बागेश्वर इसलिए नहीं बल्कि इसके लिए प्रणम्य हैं.. जानकर चौंक जाएंगे
बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी इन दिनों सनातन हिंदू एकता पदयात्रा पर हैं। यात्राएं जड़ता को तोड़ती हैं, चेतना का नवीन संचार करती हैं। आचार्य शंकर ने यात्राओं के माध्यम से पूरे देश में सनातन को पुनर्स्थापित किया था। आज आवश्यकता है कि साधु संत महंत सभी अपने स्थान से उठें और जन जन तक पहुंचे।

कुछ लोग शास्त्री जी के कार्यों को चमत्कार मानते हैं और इस वजह से उन्हें प्रणाम करते हैं, मेरा मानना है कि चमत्कार कहकर हम लुईया गिरोह के ट्रैप में फंस जाते हैं।
सूरदास जी दैहिक रूप से नेत्रहीन थे, कृष्ण भक्ति काव्य की रचना को यदि आम भाषा में कहें तो यह चमत्कार नही तो और क्या है? जिसे लोग चमत्कार कहते हैं वह बहुत सस्ता सा शब्द है, यह व्यक्ति का पौरुष और साधना है जो असम्भव को संभव बनाता है। आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी के कर्म को चमत्कार न कहकर साधना का परिणाम कहा जाए तो बेहतर रहेगा।
आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इसलिए प्रणम्य नही हैं कि उन्होंने किसी के मन की बात बता दी बल्कि वह इसलिए प्रणम्य हैं कि उन्होंने सामाजिक मर्यादाओं को स्थापना की। कई बार मीडिया ने उन्हें पूज्य शंकराचार्य से लेकर अन्य विषयों पर उग्र हो जाने को उकसाया पर उन्होंने अपनी मर्यादा नही छोड़ी। वह इसलिए प्रणम्य हैं कि अपने देश और धर्म को लेकर धवल भावों को हमेशा आगे रखा। वह इसलिए प्रणम्य हैं कि जो कहा सो किया, धरातल पर इतनी मुखरता के साथ कार्य करने वाला संत निश्चित रूप से आदरणीय है।
वह इसलिए प्रणम्य हैं कि उन्होंने मीडिया ट्रायल और कम्युनिस्ट गिरोहों से दबे हुए समाज का आत्म विश्वास वापस लौटा दिया।
और आखिर में वह इसलिए प्रणम्य हैं कि उन्होंने अपने तर्क, साधना और पुरखों से प्राप्त पूंजी को सेवा का साधन समझा।
अनुरोध है कि सनातन हिंदू एकता पदयात्रा से जुड़े और उसकी सूचना सोशल मीडिया पर डालते हैं।
आचार्य जी को प्रणाम।
