दिलीप सी मंडल : PM मोदी किसी मंत्री को भेज सकते थे पर..राष्ट्र काजु कीन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम!

राष्ट्र काजु कीन्हें बिनु,
मोहि कहां विश्राम!

लगभग एक हफ़्ता पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावों को अधबीच छोड़कर नाइजीरिया, ब्राज़ील और गयाना यानी ग्लोबल साउथ के एक हिस्से की सरकारी यात्रा पर रवाना हुए तो कई लोग चौंके, कि ये क्या हुआ।

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इतना महत्वपूर्ण चुनाव।

आख़िर लोकसभा चुनाव के बाद सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र का चुनाव ही तो होता है। दांव इतना बड़ा था कि राहुल गांधी मतदान के दिन भी पार्टी के लिए वोट माँग रहे थे।

पर संन्यासी राजा मोदी को तो अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करनी थी। वहाँ दो दो शिखर बैठकें थीं। दो दर्जन से ज़्यादा राष्ट्र प्रमुख और राष्ट्राध्यक्ष आ रहे थे। दर्जनों द्विपक्षीय वार्ताएं होनी थी और फिर उस देश में भी जाना था जिसे भारतीयों ने आबाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राष्ट्रीय रिश्तेदार हैं वे देश।

वैसे किसी मंत्री को भेजने का विकल्प होता है ऐसे मौक़ों पर। पर विदेशी नेता को वे क्या कहते कि हमारे यहाँ राज्यों के चुनाव हो रहे हैं इसलिए मोदी जी नहीं आए।

किसी स्थिर देश के स्थिर नेता का ये बोलना क्या शोभा देता?

तो मोदी निकल पड़े कर्म पथ पर।

उनको भारतीय मतदाताओं पर विश्वास था और अपने राजनीतिक साथियों पर भी कि वे सब सँभाल लेंगे।

किसी ने भी मोदी को निराश नहीं किया।

नोट- शीर्षक के लिए एक शब्द मैंने जोड़ा है। तुलसीदास के रचनाकर्म में परिवर्तन करने के लिए क्षमायाचना सहित।

अयोध्या में मोदी जी के शब्द थे – राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम

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