“सभी स्कूल बोर्डों में समान पाठ्यक्रम और मूल्यांकन” पर चर्चा
अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2024 में सभी स्कूल बोर्डों में समान पाठ्यक्रम और मूल्यांकन पर पैनल चर्चा
शिक्षा मंत्रालय ने अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2024 के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की चौथी वर्षगांठ मनाई
शिक्षा मंत्रालय ने आज नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर ऑडिटोरियम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम 2024 के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू होने की चौथी वर्षगांठ मनाई। इस कार्यक्रम में शिक्षा राज्य मंत्री और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी और शिक्षा एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार मौजूद थे। उच्च शिक्षा विभाग में सचिव श्री के. संजय मूर्ति; स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में सचिव श्री संजय कुमार; शिक्षाविद, विश्वविद्यालयों के कुलपति, कई प्रतिष्ठित व्यक्ति, सम्मानित अतिथि, अधिकारी और छात्र भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
एकीकृत शैक्षिक ढांचे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसमें “सभी स्कूल बोर्डों में समान पाठ्यक्रम और मूल्यांकन” पर प्रमुखता से चर्चा की गई। इसमें प्रतिष्ठित शिक्षक, नीति निर्माता और हितधारक भारत के विविध स्कूल बोर्डों में शैक्षिक मानकों के मानकीकरण के महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच पर आए। इस पैनल चर्चा ने 25-26 जुलाई को एनसीईआरटी के परख (समग्र विकास के लिए प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और ज्ञान का विश्लेषण) में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन से नीतिगत सिफारिशों और शैक्षिक समानता के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार-विमर्श को आगे बढ़ाया।
पैनल चर्चा में स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) में सचिव श्री संजय कुमार, डीओएसईएल में अपर सचिव श्री आनंदराव वी. पाटिल, एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी और परख की सीईओ एवं प्रमुख प्रो. इंद्राणी भादुड़ी ने भाग लिया। इन चर्चाओं ने पैनल कार्यक्रम के लिए आधार तैयार किया, जिसमें विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोगात्मक भावना और सुधार के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत श्री आनंदराव वी. पाटिल के उद्घाटन भाषण से हुई, जिन्होंने कार्यक्रम का परिचय दिया और कार्यक्रम के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का अवलोकन प्रदान किया। उन्होंने एक सुसंगत शैक्षिक वातावरण बनाने के महत्व पर जोर दिया, जहाँ हर छात्र, चाहे वह कहीं भी पढ़ता हो, को समान अवसर और संसाधन उपलब्ध हों।
नागालैंड स्कूल शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष सुश्री असनो सेखोसे ने विविध शिक्षा बोर्डों के बीच अकादमिक समानता की स्थापना की संभावना पर चर्चा की। उन्होंने चुनौतियों और अवसरों दोनों को संबोधित किया और समावेशिता तथा क्षेत्रीय विविधताओं के सम्मान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। विविधताओं को संबोधित करने के लिए, विभिन्न बोर्डों से सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों का अध्ययन करने और उन्हें अपनाने में परख के प्रयासों को अकादमिक समानता प्राप्त करने की दिशा में आवश्यक कदम के रूप में रेखांकित किया गया।
डॉ. जोनास बर्टलिंग, प्रोग्राम लीड, ईटीएस, प्रिंसटन, यूएस द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कार्य प्रणालियों के बारे में जानकारी साझा की गई, जिसमें दिखाया गया कि कैसे अन्य देशों ने शिक्षा में समानता को सफलतापूर्वक लागू किया है। भारतीय शिक्षा प्रणाली की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए दुनिया भर की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को अपनाने पर जोर दिया गया, लेकिन भारतीय जड़ों और मूल्य प्रणालियों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि समानता का मतलब सभी को एक जैसा बनाने के बजाय समान भाजक खोजना है और समानता प्राप्त करने का कोई एक तरीका नहीं है, उन्होंने स्वीकार किया कि विभिन्न संदर्भों के लिए अलग-अलग दृष्टिकोणों की आवश्यकता हो सकती है।
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. वी.पी. यादव ने उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के उपयोग पर प्रकाश डाला और बताया कि यह समतुल्यता प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। श्री यादव ने शिक्षा में प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी भूमिका पर वाक्पटुता से प्रकाश डाला, उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म को एकीकृत करने में हरियाणा के अग्रणी प्रयासों को प्रदर्शित किया। उन्होंने शैक्षिक मूल्यांकन में स्थिरता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर जोर दिया।
सीबीएसई के अध्यक्ष श्री राहुल सिंह ने बताया कि शिक्षा में समानता प्राप्त करने के लिए नीति संरेखण और वकालत को शामिल करते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। समानता स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण तीन आयामों का व्यावहारिक अवलोकन: प्रशासन, पाठ्यक्रम और मूल्यांकन। उन्होंने इनके परस्पर संबंध पर जोर दिया और इसके महत्व पर भी प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में श्री आनंदराव वी. पाटिल द्वारा संचालित एक गतिशील प्रश्नोत्तर सत्र भी था, जिसमें दर्शकों ने पैनलिस्टों के साथ गहन चर्चा की और चर्चा किए गए विषयों पर गहन चर्चा की। इस सत्र ने इन विचारों को कार्रवाई योग्य नीतियों में बदलने की प्रतिबद्धता को मजबूत किया, जो शैक्षिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत को चिह्नित करता है।
श्री संजय कुमार, सचिव, डीओएसईएल, एमओई ने सभी बोर्डों से छात्रों की बेहतरी के लिए सहयोग करने और ठोस प्रयास करने का आग्रह किया, इस लक्ष्य के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया। उन्होंने भारत के सभी बोर्डों में समान पाठ्यक्रम और मूल्यांकन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इसे उत्प्रेरित करने के लिए हर प्रकार के समर्थन का आश्वासन दिया।
परख के बारे में:
एनसीईआरटी की अधिसूचना संख्या 1-4/2012-EC/101-164 दिनांक 8 फरवरी 2023 के माध्यम से एनसीईआरटी में परख की स्थापना एक स्वतंत्र घटक इकाई के रूप में की गई थी। यह योग्यता-आधारित मूल्यांकन, उपलब्धि सर्वेक्षण और समग्र प्रगति कार्ड के विकास के माध्यम से भारत में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समर्पित है। परख का मिशन एक अधिक न्यायसंगत और प्रभावी शिक्षा प्रणाली बनाना है जो समग्र विकास को बढ़ावा दे और छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करे।
अखिल भारतीय शिक्षा समागम (एबीएसएस)
एबीएसएस के जुलाई 2022 में वाराणसी में आयोजित पहले कार्यक्रम का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। इसका उद्देश्य एनईपी 2020 के प्रभावी, सुचारू और समय पर कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करना, विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच मजबूत संबंध स्थापित करना और उच्च शिक्षा संस्थानों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना तथा उनके समाधान प्रस्तुत करना था।