सलामत रहे दोस्ताना हमारा : राम-बलराम की जोड़ी कर रही जिले का उत्थान

दोस्ती कहने को तो मात्र ढाई अक्षरो का एक शब्द है। मगर इस एक शब्द में ही इन्द्रधनुष के सात रंग है जिस तरह आकाश अंतहीन है, उसी तरह मित्रता का भी कही कोई अंत नहीं। फिल्म राम-बलराम, शोले के जय-वीरू के ऐतिहासिक पात्रों की तरह कई लोगो का दोस्ताना बेहद गहरा होता है।

कई बार हमपेशा या एक समान कार्यक्षेत्र होने के कारण एक-दूसरे के साथ बेहद लगाव से जुड़े होते है। कुछ ऐसे की कही एक साथ देखकर बरबस ही लोग कह उठते है क्या हाल है राम-बलराम की जोड़ी का। कभी बरबस ही मुंह से निकलता है कहां जा रही है जय-वीरू की जोड़ी।

धान के कटोरे छत्तीसगढ़ की हरी-भरी वादियों में ऐसी ही लहलहाती जोड़ी है बिलासपुर के जिला मजिस्ट्रेट अवनीश कुमार और पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह की। हमेशा कदमताल मिलाकर चलते है, अवसर चाहे पारिवारिक उत्सव का हो या पुलिस प्रशासन की जनहितकारी योजनाओ के प्रसार का अथवा आमजन के समस्याओ के निराकरण का। गंभीर मुद्ददो को लेकर अक्सर आपस में ये बतियाते है।

2009 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश कुमार शरण और 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी रजनेश सिंह के बीच रियल टाइम बॉन्डिंग को छत्तीसगढ़ में सबसे सफल नौकरशाही संबंधों में से एक माना जाता है, जनहित में उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से उपजे प्रतिफल और आपसी समझ ने उन्हें दो शरीर एक आत्मा बना दिया है।

अधिकारी द्वय के नाम के अंत में “श” अक्षर आता है। संस्कृत भाषा में “श” से आशय आनंद, शस्त्रास्त्र, हथियार, शिव, महादेव, मंगल और कल्याण से है।

संभवतः यही कारण है कि वे संयुक्त बैठकों से लेकर सेमिनारों तक; कानून व्यवस्था की समीक्षा से लेकर सार्वजनिक अभिनंदन तक, बिलासपुर के इन दो तेजतर्रार अफसरों के बीच आपसी तालमेल ने पूरे जिले में अपराध के बढ़ते प्रभाव पर प्रभावी रोक लगाई है और महादेव के मंगल-कल्याण की भावना के अनुरूप जनजीवन के निमित्त काम हो रहा है। इस घनिष्ठता ने पूरे जिले और सोशल मीडिया में इनकी जोड़ी से उपजे सकारात्मक परिणामों को चर्चा का विषय बना दिया है।

उनके असाधारण निर्णयों के तारतम्य में कई दुर्दांत अपराधी पहले ही अपने गलत कामों को छोड़ चुके हैं, जबकि कई खुद को बचाने के लिए भाग-दौड़ कर रहे हैं।

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