सर्वेश तिवारी श्रीमुख : चंद्रशेखर आजाद.. एक के लिए 700 की नियुक्ति

आजाद!

केवल 24 वर्ष की आयु मिली थी उस योद्धा को! पर उसी छोटी आयु में उसे अपने युग की तरुणाई का नायक बन जाना था। वह बन भी गया।
सन 1924 में, जब उनकी आयु केवल सत्रह वर्ष थी, अंग्रेजी सरकार ने उन्हें जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर इनाम की घोषणा कर दी थी। आप समझ रहे हैं? उस सत्रह वर्ष के लड़के से वह अंग्रेजी हुकूमत भयभीत हो गयी थी, जिसके लिए कहते हैं कि उसका सूरज कभी नहीं डूबता था।


सन 24 के अक्टूबर में ही बिस्मिल, आजाद आदि ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोशिएशन की स्थापना की थी। दस महीने बाद काकोरी की प्रसिद्ध ट्रेन डकैती हुई और संगठन के अधिकांश सदस्य पकड़ लिए गए। आजाद अकेले हो गए। आप उस अद्भुत युवक की संगठन क्षमता का अंदाजा लगाइए, 18 वर्ष की आयु में ही उन्होंने देश भर से राष्ट्र के लिए समर्पित नए युवकों की फौज इकट्ठी की और HRA को पुनर्जीवन मिला। भगत, सुखदेव, राजगुरु, बटुकेश्वर दत्त… सैकड़ों योद्धा! आज से ठीक सौ वर्ष पहले जब सम्पर्क के साधन नाम मात्र के भी नहीं थे, तब उन्होंने संगठन का प्रसार ढाका से लाहौर तक किया था।
आजाद का पता लगाने के लिए सरकार ने कुछ लोगों की नियुक्ति की थी। जानते हैं कितने लोगों की नियुक्ति हुई थी? कुल 700 लोगों की। केवल एक व्यक्ति के लिए… एक बीस-बाइस वर्ष के युवक के लिए। ऐसा कोई और उदाहरण याद आता है आपको?
कभी न पकड़े जाने की प्रतिज्ञा वस्तुतः उस युवक द्वारा ब्रिटिश सरकार को दिया गया चैलेंज था, कि है दम तो पकड़ कर दिखाओ। संसार की सबसे ताकतवर सरकार को किसी एक व्यक्ति द्वारा दिया गया यह सबसे बड़ा चैलेंज था। और अंग्रेज उन्हें नहीं पकड़ सके। क्यों?
क्यों? इस क्यों का उत्तर ढूंढना है तो मानस की प्रसिद्ध चौपाई याद कीजिये- रघुकुल रीत सदा चलि आई, प्राण जाहि पर वचन न जाई… इस देश ने अपने राजा राम से जीना सीखा है। हमारे समाज का कितना भी पतन हो जाय, फिर भी हर पीढ़ी में अनेक लोग ऐसे होते हैं जो धर्म निभा जाते हैं। चंद्रशेखर आजाद ने सिद्ध किया कि जीवन से अधिक उनको अपना वचन प्यारा था। और यही कारण था कि बमतुल बुखारा की अंतिम गोली स्वयं उनके लिए स्वर्ग का द्वार खोल गयी।
चंद्रशेखर आजाद आज भी तरुणाई के आदर्श होने चाहिए। न केवल अपनी राष्ट्रभक्ति के कारण, बल्कि अपनी नेतृत्व क्षमता के कारण, अपने साहस, अपने शौर्य, अपने जुनून के कारण!
अमर रहिये तिवारी जी! इस राष्ट्र को आप जैसे युवकों की आवश्यकता सदैव रहेगी… आपके जन्मदिन पर आपको नमन!

सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार।

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