सुरेंद्र किशोर : किसी चुनाव में जब कोई नेता सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो जाये तो…

किसी चुनाव में जब कोई नेता सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो जाये तो
उस नेता की पसंदीदा सरकार यहां बन ही जाती है।
मौजूदा चुनाव में अधिकतर जनता की नजरों में नरेंद्र मोदी सर्वाधिक महत्वपूर्ण बन चुके हैं।
जिससे भी पूछो ,वह यही कहता है कि हम तो मोदी को वोट दे रहे हैं।
आम तौर पर किसी उम्मीदवार का कोई नाम तक नहीं ले रहा है।
मोदी के मुकाबले प्रतिपक्ष का कोई नेता राष्ट्रीय स्तर पर कहीं नहीं टिकता।
इसलिए नतीजे का अनुमान लगा लीजिए।
वैसे वास्तविक नतीजा तो 4 जून को आएगा।

1.-1971 के लोक सभा चुनाव में ‘गरीबी हटाओ’ के नारे के साथ प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी सर्वाधिक महत्वपूर्ण बन चुकी थीं।इंदिरा गांधी के मुकाबले तब प्रतिपक्ष का कोई एक नेता टिकता नहीं था।
नतीजतन इंदिरा गांधी की पार्टी को 1971 में सत्ता मिली।
1967 के लोस चुनाव में इंदिरा के कारण की अपेक्षा , कांग्रेस के कारण सत्ता मिली थी।
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2.-1977 के लोक सभा चुनाव में जयप्रकाश नारायण पूरे चुनाव के केंद्र में थे।
उत्तर भारत में तब जेपी के कारण जनता पार्टीं की आंधी चल रही थी।
1977 में जनता पार्टी सत्ता में आ गई।
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3.-सन 1989 में वी.पी.सिंह के नाम पर अधिकतर लोगों ने मतदान किया।कांग्रेस के राजीव गंांधी नहीं टिक पाये।
वी.पी.सिंह प्रधान मंत्री बने।
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4.-सन 2014 के लोक सभा चुनाव के नरेंद्र मोदी नायक बने।
भाजपा और संघ ने दूरदर्शिता दिखाते हुए हल्के आंतरिक विरोध के बीच उन्हें आगे किया।
मेरा मानना है कि मोदी
ने अपनी व्यक्तिगत लोकप्रियता के कारण भाजपा को पहली बार लोस में बहुमत दिला दिया।
प्रतिपक्ष में मोदी के मुकाबले तब भी कोई टिकता नहीं था।
2014 के बाद 2019 में भी मोदी ने अपने बल पर भाजपा को एक बार फिर सत्ता दिलाई।
जिन कारणों से मोदी को जनता ने दूसरी बार प्रधान मंत्री बनाया,वे कारण आज भी समाप्त नहीं हुए हैं।

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