सुरेंद्र किशोर : फिर भी चिंता क्यों ?… ई. डी. के 95 प्रतिशत मुकदमे प्रतिपक्षी नेताओं के खिलाफ…

ई. डी. के 95 प्रतिशत मुकदमे प्रतिपक्षी नेताओं के खिलाफ
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फिर भी चिंता क्यों ? !!
डेढ़ साल में ही तो लोक सभा चुनाव होने हैं ।


प्रतिपक्ष का दावा है कि हम मोदी को चुनाव में धूल चटा देंगे।
फिर तो सन 2024 में चुनाव जीत कर पांसा पलट दीजिए।
जिस तरह इंदिरा गांधी ने सन 1980 में और कांग्रेस ने 1991 में सत्ता में आने के बाद पिछली प्रतिपक्षी सरकारों –मोरारजी और वी.पी.सिंह सरकारों –द्वारा कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के खिलाफ दायर मुकदमों को रफा -दफा करवा दिया था।
वैसे चर्चित बोफोर्स मुकदमे को रफा दफा करने में तो अटल सरकार ने ‘‘फस्र्ट फेमिली’’ की निर्णायक मदद कर दी थी।
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पर, इसके साथ एक महत्वपूर्ण बात भी है।
यदि सन 2024 के लोक सभा चुनाव के बाद भी भाजपा एक बार फिर सत्ता में आ गई तो क्या माना जाएगा ?!!
यही न कि अधिकतर जनता इन 95 प्रतिशत मुकदमों को सही मानती है ।
यानी, गैर भाजपा दलों के इतने अधिक नेताओं के खिलाफ जो मुकदमे चल रहे हैं,उनमें काफी दम है।
चुनाव क्षेत्रों से लेकर दिल्ली तक कौन नेता कितना ईमानदार और कितना बेईमान है,यह बात किसी जांच एजेंसी से अधिक वहां की जनता जानती है।
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आज के ‘‘द इंडियन एक्सपे्रस’’ की खबर के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय यानी इ डी ने सन 2014 के बाद नेताओं के खिलाफ पहले की अपेक्षा चार गुणा अधिक मामले दर्ज किए हंै।
जितने नेताओं के खिलाफ इस अवधि में मुकदमे दर्ज किए गए हैं,उनमें 95 प्रतिशत मुकदमे प्रतिपक्षी नेताओं यानी गैर भाजपा दलों के नेताओं के खिलाफ हैं।
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मुकदमों से पीड़ित नेतागण,संबंधित दल और उनकी समर्थक जनता इस स्थिति से क्षुब्ध नजर आ रही है।स्वाभाविक ही है।
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यह तो पक्ष-विपक्ष की बात हुई।
दूसरी ओर, दल निरपेक्ष लोग यह मानते हैं कि चाहे भाजपा नेताओं के खिलाफ आरोप हों या प्रतिपक्षी के खिलाफ ,सारे घोटालेबाजों को जेल जाना ही चाहिए।
जिन्होंने लूटा है,उन्हें लौटाना पड़ेगा।
उन्हें सबक सिखाने लायक सजा भी मिलनी ही चाहिए।तभी इस गरीब देश की गरीब जनता पर लगे टैक्स से मिले पैसे
इन आधनिक नादिरशाहों और वारेन हेस्टिग्सों के पास जाने से रुकेंगे।
पैसे बचेंगे तभी तो देश का विकास होगा और बाहर-भीतर के दुश्मनों से देश की अखंडता की रक्षा हो सकेगी।
इस देश में 25 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।दूसरी ओर, पक्ष-विपक्ष के अनेक नेतागण देश के संसाधनों को लूट कर ‘‘सेवन स्टार लाइफ’’ बिता रहे हैं।
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पुनश्चः
गैर भाजपा दलों के जो नेतागण यह मानते हैं कि ‘‘बदले की भावना’’ से मोदी सरकार प्रतिपक्षी नेताओं को केस में फंसा रही है,तो वे भी पीछे क्यों हैं ?
डा.सुब्रहमण्यम स्वामी की राह अपना कर कोर्ट में कोई सामान्य नागरिक भी किसी भाजपा या किसी दल के बड़े से बड़े नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुकदमा दायर कर सकता है।
जिस तरह स्वामी ने जे.जय ललिता के खिलाफ मुकदमा करके उन्हें कोर्ट से सजा दिलवा दी थी।
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