कौशल सिखौला : आखिरी चरण से पहले ही अपनी कैबिनेट तैयार कर ली…
एक जून को चुनाव का आखिरी चरण और उसी शाम से सरकार बनाने की कवायद शुरू हो जाएगी । इंडी अलायन्स बड़े उत्साह में है , अतः परिणाम आने से पूर्व ही गठबंधन की बैठक उसी शाम दिल्ली में बुला ली गई है । जीत के प्रति आश्वस्त गठबंधन आगामी योजना पर विचार करेगा । इंडिया ब्लॉक के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि पीएम किसे बनाया जाए।
वैसे गठबंधन के पास राहुल के अलावा और कोई चेहरा है भी नहीं । कांग्रेस पहले ही उन्हें भावी पीएम मानकर चल रही है । प्रियंका गांधी तो साफ कह चुकी हैं कि उनके भाई में प्रधानमंत्री बनने के सभी गुण मौजूद हैं । चतुर ममता गठबंधन वालों का पानी देखना चाहती हैं , इसीलिए दिल्ली बैठक में आने से इंकार कर दिया है।
अब चुनाव निपट जाएंगे तो सभी सरकार बनाने में तो लगेंगे ही । राहुल का उत्साह सातवें आसमान पर है । अब तो केजरीवाल और राहुल सरकार बनने के बाद शाह मोदी को ईडी की जेल तक भेजने की बात कहने लगे हैं । होता है , ऐसा भी होता है । यहां बताते चलें कि 2019 में भी राहुल गांधी ने आखिरी चरण से पहले ही अपनी कैबिनेट तैयार कर ली थी।
तभी तो पराजय के बाद इतना बड़ा धक्का लगा था कि कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया । मान मुनव्वल के बावजूद वापस नहीं लिया । भरोसा बड़ी चीज है । गठबंधन नेता जीत के प्रति पूर्ण आश्वस्त हैं , उत्साह से भरे हैं । ठीक उसी तरह जैसे 2014 और 2019 में यूपीए के रूप में उत्साह से भरे थे । पर क्या करें , दोनों ही बार दिलो दिमाग और जिगर पर भारी चोट लगी।
मोदी नाम राजनीति में बड़े बड़े कामों का पर्याय बन गया है । इस बार तो फिर काम भी हैं , कश्मीर भी है और राम भी हैं । बीजेपी , एनडीए और खासकर मोदी को हराना इतना आसान भी नहीं , जितना इंडिया ब्लॉक मानकर बैठा हुआ है । मोदी बिना किसी हिचक 400 पार के नारे के साथ चुनाव लड़ रहे हैं । उन्होंने लकीर ही इतनी बड़ी खींच दी कि उसके पार जाने का दावा गठबंधन का एक भी नेता नहीं कर पाया । खड़गे ने जरूर कहा कि हम 300 सीट हासिल करेंगे । परिणाम बताएंगे कि आखिर माजरा क्या है।
राजनीति किसी को दर्द देती हैं तो किसी को उस दर्द का मजा । चुनाव परिणाम बताएंगे कि आखिर पराजित पक्ष के दर्द की दवा क्या है ? पहले भी बताया था , चार जून को भी बताएंगे । लेकिन चार जून की प्रतीक्षा है तो तैयारी भी की जाएगी । इंडिया ब्लॉक को जल्दी है इसलिए एनडीए से पहले बैठक । बात यह भी है कि एनडीए को तो बैठक की जरूरत ही नहीं । सब कुछ पहले से तय है , नेता के नेतृत्व में ही चुनाव लडा गया है।
दूसरी ओर राहुल की नकल करते हुए अब अखिलेश और तेजस्वी भी हर भाषण में खटाखट , झटाझट , फटाफट जैसे जुमले दौहराए जा रहे हैं । जाहिर है अखिलेश और तेजस्वी भी सौदेबाजी करने की तैयारी कर रहे हैं । ममता इस तमाशे के साथ नहीं । उन्होंने संकेत दिया कि गठबंधन की सरकार बनने पर वे बाहर से समर्थन पर विचार करेंगी । तो चलिए , एक जून को चुनाव भी देखिए , गठबंधन की बैठक भी देखिए और उसी शाम से आने वाले एग्जिट पोल का मजा भी लीजिए ?
