सुरेंद्र किशोर : कभी गाड़ी पर नाव, तो कभी नाव पर गाड़ी ?!भ्रष्टाचार के विरोधी भ्रष्टाचारियों को बचाने…

जो लोग कभी भ्रष्टाचार केखिलाफ आंदोलनरत थे,
वे ही अब भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए प्रयासरत हैं।
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एक समय था जब कुछ नेता इस मांग के समर्थन में
कोर्ट जाते थे कि भ्रष्टों के खिलाफ जांच एजेंसियों का ‘उपयोग’ हो।
उसके विपरीत कल 14 राजनीतिक दलों ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह मांग की है कि जांच एजेंसियों का ‘दुरुपयोग’ बंद हो।
सब जानते हैं कि इस ‘दुरुपयोग’ शब्द के इस्तेमाल के पीछे उनकी मंशा क्या है।
जांच एजेंसी ने गत कुछ ही वर्षों में इस देश के भ्रष्टों और अपराधियों के यहां से एक लाख करोड़ रुपए से भी अधिक की नकद व नाजायज संपत्ति जब्त की है।
साथ ही, भ्रष्टाचार के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों में जितने लोगों के खिलाफ मुकदमे कायम हुए हैं,उनमें से संभवतः किसी को भी ,मेरी जानकारी के अनुसार, अब तक अदालत से कोई बड़ी राहत नहीं मिली है।
अधिकतर लोग जमानत पर हैं।यानी अदालत ने संभवतः किसी मामले को गलत बता कर संबंधित मुकदमे को रद्द नहीं किया है।
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आखिर वे लोग क्या चाहते हैं जिन पर इन दिनों मुकदमे चल रहे हैं ?
दरअसल वे यह चाहते हैं कि इस देश में भ्रष्टाचार का ‘‘बनर्जी फार्मूला’’ लागू हो।
वह बनर्जी फार्मूला क्या है ?
अब पहले नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी की टिप्पणी पढ़िए।–
‘‘चाहे यह भ्रष्टाचार का विरोध हो या भ्रष्ट के रूप में देखे जाने का भय,
शायद भ्रष्टाचार अर्थ -व्यवस्था के पहियों को आगे बढ़ाने में इस देश में महत्वपूर्ण था, इसे काट दिया गया है।
मेरे कई व्यापारिक मित्र मुझे बताते हैं कि इस कारण निर्णय लेेने की गति धीमी हो गई है।………….’’
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–नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी,
हिन्दुस्तान टाइम्स
23 अक्तूबर 2019
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क्या इस फार्मूले को एक बार फिर लागू कर दिया जाए जो मनमोहन सिंह के कार्यकाल में लागू था ?
क्या भ्रष्टाचार की खुली छूट दे दी जाए ?
क्या आम जनता भी यही चाहेगी ?
इन 14 दलों के वकील कहते हैं कि इन दलों के साथ 42 प्रतिशत जनता है।
यदि यह दावा सच है तब तो वे सन 2024 का चुनाव आसानी से जीत ही जाएंगे।
जीतने के बाद अपनी राह पर यानी बनर्जी फार्मूला पर और मजबूती से चल पड़ेंगे।फिर क्या होगा ?
वही होगा जो आज पाकिस्तान में हो रहा है।
वैसे जनता यानी मतदाताओं के हाथों में ही सब कुछ है।
वह जो चाहे,अपने इस देश के साथ करे !
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एक बिना मांगी सलाह
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सुप्रीम कोर्ट ने ही आम जनता को यह अधिकार दे रखा है कि वह किसी भी छोटे-बड़े भ्रष्ट व्यक्ति के खिलाफ सबूतों के साथ अदालत में प्रायवेट याचिका दायर कर सकती है।
वह जांच की मांग करे।जांच हो जाएगी।हो भी रही है।
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इसी सुविधा के तहत ही डा.सुब्रह्मण्यम स्वामी ने जय लालिता तथा अन्य कई के भ्रष्टाचारों के खिलाफ सबूत के साथ कोर्ट में निजी याचिकाएं दायर कीं।मुकदमे चले। 2014 में जय ललिता को सजा भी हो गई।
चारा घोटाला के खिलाफ भी पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका ही दायर की गई थी।चारा घोटाला में भी सजाएं होती जा रही है।
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डा.स्वामी ने ही 2 -जी स्पैक्ट्रम के मामले में भी प्रायवेट याचिका दायर की थी।
उस पर सुप्रीम कोर्ट ने अनेक स्पैक्ट्रम लाइसेंस रद किए।
मंत्री सहित कई के खिलाफ मुकदमा चला।लोअर कोर्ट ने उन्हें रिहा किया।रिहाई के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील विचाराधीन है।उस पर सुनवाई चल रही है।
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गैर भाजपा दलों की यह एक बड़ी शिकायत रही है कि नरेंद्र मोदी सरकार की एजेंसियां बदले की भावना के तहत मुख्यतः गैर भाजपा दलों के नेताओं के खिलाफ जांच करवा रही है।
मेरी राय है कि इस पृष्ठभूमि में 14 गैर भाजपा दलों के वकील गण सुप्रीम कोर्ट से एक और अपील करें।
वे कहें कि सुप्रीम कोर्ट आम लोगों को यह आश्वासन दे दे कि वे जितना भी संभव हो सके, सबूतों के साथ प्रायवेट याचिकाएं भ्रष्ट लोगों के खिलाफ दायर करें।अदालतें उन पर त्वरित कार्रवाई करेंगी।
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ये 14 दलों से जुड़े वकील व जानकार लोग चुन-चुन कर भाजपा के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ सबूत जुटाएं।डा.स्वामी की तरह ही धुआंधार प्रायवेट याचिकाएं दायर करें। देखें, फिर क्या होता है !

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आम जनता तो यही चाहती है कि भ्रष्ट लोग चाहे भाजपा के हों या गैर भाजपा दलों के हों,सब के खिलाफ चुन -चुन कर वैसी ही कानूनी कार्रवाइयां होनी चाहिए जिस तरह जय ललिता के खिलाफ डा.स्वामी ने की।
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अब इस देश में यह नहीं चलेगा कि सत्ता पक्ष ,प्रतिपक्ष को बचाए और प्रतिपक्ष सत्ता पक्ष को।
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और अंत में
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बात तब की है जब डा.जगन्नाथ मिश्र बिहार के मुख्य मंत्री थे और कर्पूरी ठाकुर बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता।
डा.मिश्र भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे थे।
डा.मिश्र ने बैलेंस करने के लिए कर्पूरी ठाकुर पर भी एक झूठा आरोप लगा दिया। उस पर कर्पूरी ठाकुर ने सदन में यह मांग की कि मेरे खिलाफ लगे आरोप की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग बैठाइए।
इस पर मुख्य मंत्री चुप हो गए।
कर्पूरी ठाकुर ने कहा कि आप मुझे क्यों बचाना चाहते हैं ?
क्या इसलिए कि हम सत्ता में आएं तो आपको बचाएं ?
ऐसा कभी नहीं होगा।
हम सत्ता में आएंगे तो आपको नहीं छोड़ेंगे।याद रखिए।
(उस मिश्र-ठाकुर संवाद का मैं प्रेस दीर्घा से गवाह बना था।)

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