अमित सिंघल : PM मोदी के 3 घंटे के इंटरव्यू में यह विषय व्यापक चर्चा में नहीं आया
लेक्स फ्रिडमैन के साथ प्रधानमंत्री मोदी का 3 घंटे का इंटरव्यू देखा, सुना।
प्रधानमंत्री मोदी के निजी जीवन एवं अनुभव के बारे कई बातो ने मुझे प्रभावित किया। लेकिन कदाचित वह विषय व्यापक चर्चा में नहीं आ पाए।
मोदी जी बताते है कि मैं तो आध्यात्मिक यात्रा के लिए निकला था। तो अब, मैंने देश को ही देव मान लिया है। और मैंने जनता-जनार्दन को ही ईश्वर का रूप मान लिया है। तो एक पुजारी की तरह, मैं इस जनता-जनार्दन की सेवा करता रहूं, ये ही मेरा भाव रहा है। तो दूसरा मैं जनता से कटता नहीं हूं, उनके बीच में रहता हूं।
मैं अकेलापन कभी महसूस नहीं करता हूं। इसलिए क्योंकि मैं हमेशा मानता हूं 1+1 की थ्योरी को, पहला 1 जो है वो मोदी है और +1 है वो ईश्वर है। मैं अकेला कभी नहीं होता हूं, वो हमेशा मेरे साथ होता है।
कोविड के समय मैंने तय किया कि जिन लोगों के साथ मैंने जीवन भर काम करता रहा हूं, उसमें जो 70+ के लोग हैं, उनको याद करकर के कोविड के समय में छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं को भी, यानी फैमिली बैकग्राउंड बहुत सामान्य होगा ऐसे भी… 70+ हैं उनको मैं फोन करता था और उनको मैं कोविड के समय में उनकी तबीयत ठीक है क्या, उनके परिवार की तबीयत ठीक है क्या, उनके आस-पास के इलाके में व्यवस्था कैसी चल रही है, ये सारी बाते में उनके साथ कर लेता था। तो मैं भी एक प्रकार से उनके साथ जुड़ जाता था। पुरानी यादें ताज़ा हो जाती थी। उनको भी लगता था अरे ये वहां पहुंच गए, ये इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी हैं, लेकिन आज बीमारी के समय मेरे पास फोन करते हैं। और मैं डेली एवरेज 30-40 फ़ोन करता था, डेली और पूरे कोविड काल के कार्यकाल के दरमियान करता रहा। तो मुझे खुद को भी पुराने-पुराने लोगों से बातें करने का आनंद मिलता था। तो यह अकेलापन नहीं था, मेरी व्यस्तता के तरीके मैं ढूंढता रहता हूं।
मैं मेरे आसपास लोगों को देखता हूँ और मैं हमेशा से सोचता हूँ, यह मेरे से ज़्यादा काम करते हैं। मैं जब किसान का स्मरण करता हूँ, मुझे लगता है किसान कितनी मेहनत करता है। खुले आसमान के नीचे कितना पसीना बहाता है। मैं मेरे देश के जवान को देखता हूँ, तो मुझे विचार आता है कि अरे, कितने घंटे तक कोई बर्फ में, कोई रेगिस्तान में, कोई पानी में, दिन-रात काम कर रहा है। मैं किसी मजदूर को देखता हूँ, तो मुझे लगता है, यह कितनी मेहनत कर रहा है। यानी मैं हमेशा सोचता हूँ कि हर परिवार में मेरी माताएं-बहनें, कितनी मेहनत करती हैं परिवार के सुख के लिए। सुबह सबसे पहले उठ जाए, रात को सबसे बाद में सो जाए और परिवार के हर व्यक्ति की केयर करें, सामाजिक रिश्ते-नातों को भी संभाल लें। तो मुझे लगता है, अरे, लोग कितना काम करते हैं? मैं कैसे सो सकता हूँ? मैं कैसे आराम कर सकता हूँ?
मैं देशवासियों से वादा करता हूँ कि मैं कभी भी परिश्रम करने में पीछे नहीं रहूँगा। दूसरा, मैं कहता था कि मैं बद इरादे से कोई काम नहीं करूँगा। और तीसरा मैं कहता था, मैं अपने लिए मैं कुछ नहीं करूँगा।
देश के 85 to 90 percent district में रात्रि मुकाम कर चुका हूँ। मेरे पूर्व जीवन की मैं बात करता हूँ, मैं भ्रमण करता था। उससे जो मैंने पाया है, वो जो सीखा है, तो मेरे पास तो एक बहुत बड़ा चीजों को grassroot level पर स्थितियों के विषय में मेरी फर्स्ट hand information है। किसी से पूछा हुआ, जाना हुआ, ऐसे किताबों के द्वारा नहीं पाया है। दूसरा, गवर्नेंस की दृष्टि से देखें तो मेरे पास कोई प्रकार का baggage नहीं है कि जिस baggage को लेकर मुझे दबे रहना है, उसके आधार पर मेरा चलना है, वह नहीं है। तीसरा, निर्णय करने में मेरा एक तराजू है, मेरा देश सबसे पहले। मैं जो कर रहा हूँ, मेरे देश का नुकसान तो नहीं हो रहा है?
तुम्हें कोई निर्णय करते समय कोई उलझन हो, तो तुम किसी गरीब का चेहरा देख लो, उनको याद करो। और सोचो, यह उसके काम आएगा क्या? तो आपका निर्णय सही होगा। वह मंत्र मेरे बहुत काम आता है।
