रुबिका लियाकत : ..और दैवीय शक्तियाँ कभी रिटायर नहीं होती हैं!

रुबिका लियाकत लिखती हैं :-

*किस्सा साक्षात्कार का*

आप लोगों संग एक बात साझा करना चाहती हूँ। मुझे लगता है जितना ईमानदार और दिल की गहराइयों से दिया गया ये इंटरव्यू है उतना ही dedication प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरव्यू से पहले दिखाया- सिर्फ़ मैं और मेरी टीम ही नहीं इस प्रतिबद्धता की साक्षी चित्रा और उनकी टीम भी है।

तय कार्यक्रम के मुताबिक़ प्रधानमंत्री को गंगा मैया की पूजा अर्चना कर के सीधे क्रूज़ पर आना था और बारी-बारी से दो साक्षात्कार करने थे। दोनों ही चैनलों की टीमें तैयार थी। हम सब बाहर cruise ship के deck पर पीएम का इंतज़ार कर रहे थे… कुछ वक्त खड़े रहने के बाद एहसास हुआ की गर्मी बेहद हैं और उमस हालत और ख़राब कर रही है सो हम ship के उस इलाक़े में आ गए जहां AC की व्यवस्था थी…

उसी कमरे से हमने पीएम को गंगा के घाट पर आते देखा… पूजा में लगभग 15-20 मिनिट लग गए.. और इस पूरे दरमियान सूरज अपने वेग में था, पूजा के फ़ौरन बाद वो डेक की तरफ़ आए और माईक लगाते ही उनका चित्रा के साथ इंटरव्यू शुरू हो गया। इंटरव्यू लय में तय वक़्त से ज़्यादा हो चला… गर्मी और उमस भी अपनी तेज़ गति से बढ़ती चली जा रही थी.. सूरज सिर पर था और पीएम पसीने में लथपथ थे।

पीएम की टीम से कुछ लोग हमारे पास आए और कहा कि आपका इंटरव्यू deck पर नहीं हो पाएगा आप indoor shoot की व्यवस्था कर दीजिए।
ये सुन कर हमारे हाथ-पैर फूल गए। मेरे कैमरामैन साथियों के टेंशन सातवें आसमान पर पहुँच गई।

जो लोग कैमरा चलाते हैं वो समझ जाएँगे कि ये कितनी विकट परिस्थिति होगी… कमरे के अंधेरे को हटाने के लिए Aperture खोलेंगे तो पीछे गंगा के घाट burn करने लगेंगे और इससे बुरा फ़्रेम कुछ हो ही नहीं सकता। हमारी टीम भी और पीएम की टीम भी इस दुविधा को दूर करने असमर्थ थी। हमारे पास भी कोई चारा नहीं था क्योंकि हम ख़ुद उस गर्मी को महसूस कर रहे थे और पीएम तो लगातार कड़ी धूप में थे ही…

बहरहाल इंटरव्यू ख़त्म हुआ और राहत की साँस लेते हुए पहली टीम अंदर आ गई। पीएम पसीने में तर-ब-तर अंदर आए, एक ग्लास पानी पिया, उन्होंने Mike बदलने में 5 मिनिट का ब्रेक लिया..तब तक उनके लोगों ने उन्हें brief कर दिया कि अगला इंटरव्यू indoor होगा। जो जगह उन्हें बताई गई, वो तेज़ क़दमों से बढ़ते हुए वहाँ पहुँच गए। हम पहले से उस कोने में उदास मन से खड़े थे… उन्होंने आते ही बुलंद आवाज़ में कहा चलिए शुरू करते हैं…मैं उनकी तरफ़ बढ़ी और कहा सर यहाँ इंटरव्यू करने में दिक़्क़त है.. उन्होंने पूछा क्या दिक़्क़त है?

मैंने कहा – न फ़्रेम अच्छा है, न कलर टोन और पीछे दिख रहे घाट सफ़ेद चादर दिख रहे हैं! वहाँ मौजूद हर शख़्स के चेहरे पर उस वक़्त शिकन थी सिवाए पीएम के। पीएम मोदी का कुर्ता अभी भी पसीने में भीगा था उन्होंने कहा आप कहाँ इंटरव्यू करना चाहती हैं? मैंने deck की तरफ़ इशारा कर के कहा बाहर! वो कुछ कहते उससे पहेले एक अफ़सर ने कहा आप ऊपर canopy लगी है वहाँ कर सकती हैं, वहाँ छाँव है तो दूसरे अफ़सर ने पीएम मोदी से कहा वहाँ जाने वाली सीढ़ियाँ सँकरी ओर एकदम सीधी है और canopy दो मंज़िल ऊपर है पीएम मुस्कुराए और बोले मुझे कोई समस्या नहीं है पर ये कैमरामैन इतना सामान लेकर ऊपर चढ़ लेंगे न।

समस्या वहाँ भी धूप छाँव और कलर टोन की ही थी ये हम जानते थे। उन्होंने मुझसे पूछा आप क्या चाहती हैं। मैंने कहा मैं आपकी सेहत ठीक चाहती हूँ लेकिन इंटरव्यू बाहर डेक पर ही बढ़िया रहेगा अगर आप comfortable हैं? वो तपाक से बोले मेरे comfort की छोड़िए आप यहाँ आए हैं आपके कैमरामैन जहां comfortable होंगे हम वहीं चलेंगे और वो दोबारा कड़ी उमस वाली धूप में मेरे साथ 25 मिनिट तक बेबाक़ी से हर सवाल का जवाब देते चले गए। वो देश के पीएम हैं वो चाहते तो अपना comfort देखते क्योंकि उन्हें इसके बाद कई और कार्यक्रम करने थे लेकिन ये उनका काम के प्रति dedication ही था कि पूरी टीम एक तरफ़ थी और पीएम एक तरफ।

उनके रिटायरमेंट की सोचने वाले ये नहीं जानते कि उनकी ये ऊर्जा, ये प्रतिबद्धता एक दैवीय शक्ति सरीखी है और दैवीय शक्तियाँ कभी रिटायर नहीं होती हैं!

-पंकज कुमार झा जी के वाल से साभार

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