कोरबा उपभोक्ता आयोग का बड़ा आदेश, शराब पीने से हुई मृत्यु.. बैंक-बीमा कंपनी को 2 लाख 15 हजार के भुगतान का आदेश

कोरबा। बुरे समय में आर्थिक सहायता के लिए लोग अपनी गाढ़ी कमाई का एक हिस्सा बीमा कंपनी को देकर बीमा कराते हैं लेकिन कई बार बीमा कंपनियां अलग-अलग कारण बताकर लोगों को उचित लाभ नहीं देती तब लोग स्वयं को ठगा हुआ महसूस करते हैं क्योंकि बीमा कंपनियां बीमा लेते समय उन्हें जितने के क्लेम का वादा करती है उतना देती नहीं है। ऐसे माम में लोग मायूस होकर जो मिला उसी से संतोष कर बैठ जाते हैं. लेकिन जागरूक लोग अपने हक का पैसा वसूल ही लेते हैं।ऐसे ही एक प्रकरण में उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग कोरबा ने बड़ा फैसला सुनाया है।


प्रेमनगर भैरोताल निवासी श्यामलाल लाल बंजारे का खाता स्टेट बैंक में संचालित था। श्यामलाल की मौत 21 अप्रैल 2021 को खेलार नाला कुचैना में पानी में डूब जाने से हो गई । पति की मृत्यु के उपरांत पत्नी सुशीला बाई बंजारे ने बैंक खाते से पी. एम. एय. बी. वाय. बीमा योजना के अंतर्गत बीमा राशि को प्राप्त करने के लिए  बैंक शाखा में दिनांक  22.07.2021 को एक लिखित आवेदन पत्र समस्त प्रकार के आवश्यक दस्तावेज व प्रपत्र संलग्न करने के बाद भी सुशीला बाई के साथ टालमटोल की नीति अपनाई गई। मृतक का खाता भारतीय स्टेट बैंक से संचालित था और उक्त खाता में बीमा नेशनल इंश्यारेन्स कंपनी लिमिटेड से जारी किया गया था। उपभोक्ता आयोग के समक्ष इन दोनों के विरुद्ध सुशीला बाई के द्वारा दावा पेश किए जाने पर भारतीय स्टेट बैंक का कथन था कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के पेट एवं उसके भूतल की वस्तुएँ में अलकोहल पाया गया जिसके विषय में बीमा कंपनी की ओर से भारतीय स्टेट बैंक को पत्र दिनांक 16.09.2022 को प्रेषित किया गया जिसमें मृतक की बॉडी में शराब का सेवन किये जाने के कारण पानी में डूबने से मृत्यु हुई हैं । इस कारण से भारतीय स्टेट बैंक का कोई दायित्व मृतक को दावा राशि दिये जाने हेतु नहीं बनता है। मृतक के द्वारा बीमा की शर्तो का उल्लंघन किया गया है तथा उसकी मृत्यु शराब पीने के कारण हुई है।
बीमा कंपनी एवं बैंक के द्वारा अपने तर्क के समर्थन में पी.एम. रिपोर्ट व पुलिस अंतिम जांच निष्कर्ष प्रतिवेदन के अवलोकन से उपभोक्ता आयोग के विद्वान न्यायाधीशों के समक्ष ये तथ्य सामने आया कि प्रस्तुत शव परीक्षण प्रतिवेदन में मृतक के पेट में शराब मिलने का कथन किया गया है, जिससे यह माना जा सकता है कि वे आदतन शराबी है परंतु यह तर्क मान्य किये जाने योग्य नही है क्योकि शव परीक्षण प्रतिवेदन मे सिर्फ इस बात का उल्लेख है कि मृतक के पेट में एल्कोहोलिक गंध मौजूद है किन्तु शराब की मात्रा के संबंध में कोई साक्ष्य उपलब्ध नही है, ना ही मृतक के बिसरा का रसायनिक परीक्षण कराया गया है। इसके अलावा अन्य कोई जांच भी नही कराई गई है या रिपोर्ट / साक्ष्य उपलब्ध है जिससे यह कहा जा सके की मृतक अत्यधिक शराब के नशे में था।
इसके अलावा चिकित्सक के द्वारा भी स्व. श्याम रतन बंजारे की मृत्यु पानी में दम घुटने के फलस्वरूप होना बताया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट, पुलिस अंतिम जांच प्रतिवेदन से भी यह स्पष्ट नहीं होता है कि मृतक श्याम रतन बंजारे दुर्घटना के समय अत्यधिक शराब के नशे में था, जिसकी वजह से ही वह पानी डूबा होगा, ऐसी स्थिति में बीमा धारक का शराब का सेवन करना ही बीमा पॉलिसी निरस्त करने का एक मात्र आधार नहीं हो सकता, जबकि बीमा की अन्य शर्ते लागू हैं। इस प्रकरण में प्रतिपक्ष यह प्रमाणित नही कर पाया कि दुर्घटना के समय मृतक श्याम रतन बंजारे नशीली शराब के प्रभाव में था एवं दुर्घटना का कारण मृतक द्वारा।शराब का सेवन करना था ।
प्रकरण में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग कोरबा के विद्वान न्यायाधीशों रंजना दत्ता (अध्यक्ष), ममता दास(सदस्य), पंकज कुमार देवड़ा (सदस्य) ने आदेश जारी करते हुए क्षतिपूर्ति राशि 2,00,000 /- रुपये के साथ ही परिवादिनी को मानसिक एवं आर्थिक क्षतिपूर्ति के एवज में कुल 10,000 / – रुपये भी संयुक्त अथवा पृथक पृथक एवं वाद व्यय 5,000/- रुपये देने का आदेश दिया गया है।
इस प्रकरण में पीड़िता सुशीला बाई की ओर से अधिवक्ता छतराम साहू ने पैरवी की।

Veerchhattisgarh

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