NRI अमित सिंघल : मोदी का ज्ञान.. राहुल का प्लान
सत्यनारायण कथा में शुरू क्या होता है? एक बेचारा गरीब ब्राह्मण से शुरू होता था। याने गरीबी में गर्व करना हमारी मनोवैज्ञानिक अवस्था बन गई थी। दूसरे शब्दों में, हम भारतीयों के मन में निर्धनता के प्रति सद्भाव कूट-कूटकर भर दिया गया था। हम दरिद्रनारायण में विश्वास करते हैं। निर्धनता को एक सद्गुण के रूप में देखते हैं।
आज मुझे इस बात का एहसास होता है कि हम निर्धन इसलिए नहीं थे कि यह हमारी नियति थी। बल्कि हम निर्धन इसलिए रह गए कि पहले मुगलो और अंग्रेजों ने लूटा। और उसके बाद अंग्रेजों के उत्तराधिकारी शासकों – कांग्रेसियों – ने हमें जानबूझकर गरीब रखा बनाए रखा। गरीबी हटाओ के नारे का झुनझुना पकड़ा के हमारे पैसे को लूटकर अपने आप को समृद्ध किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार बताया था कि अंग्रेजी में कहावत होती है – size of the cake matters – जितना बड़ा केक होगा, उसका उतना ही बड़ा हिस्सा लोगों के मिलेगा। तभी उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर बनाने का लक्ष्य तय किया है क्योकि अर्थव्यवस्था की साइज और आकार जितना बड़ा होगा स्वाभाविक रूप से देश की समृद्धि उतनी ही ज्यादा होगी। फिर उन्होंने कहा कि हमारे यहां गुजराती में कहावत है की अगर कुएं में पानी है तो फिर खेत तक पानी पहुंचेगा।
यही समृद्धि हर परिवार की, हर व्यक्ति की आय और जीवन स्तर में भी परिवर्तन लाती हैं। सीधी सी बात है कि परिवारों की आमदनी जितनी ज्यादा होगी, परिवार के सदस्यों की आमदनी उसी अनुपात में अधिक होगी और उनकी सुख सुविधाओं का स्तर भी उसी अनुपात में ऊंचा होगा। आज जितने भी विकसित देश हैं, उनमें ज्यादातर के इतिहास को देखें तो एक समय में वहां भी प्रति व्यक्ति आय बहुत ज्यादा नहीं होती थी। लेकिन इन देशों के इतिहास में एक दौर ऐसा आया जब कुछ ही समय में प्रति व्यक्ति आय ने जबरदस्त छलांग लगाई। यही वह समय था जब वे विकासशील से विकसित देश बन गए।
जब किसी भी देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है तो वह खरीदने की क्षमता बढ़ाती है। इससे मांग बढ़ती है। जिससे सामान का उत्पादन बढ़ता है। सेवा (जैसे रेस्टोरेंट, पर्यटन, होटल, टैक्सी, बैंकिंग, हेयर सैलून इत्यादि) का विस्तार होता है। और इसी क्रम में रोजगार के नए अवसर बनते हैं। यही प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि उस परिवार की बचत या सेविंग को भी बढ़ाती है।
जब तक हम कम आय के चक्कर में फंसे रहते हैं, तब तक यह प्रगति पाना बहुत मुश्किल होता है। और पता नहीं किस कारण से हमारे दिल-दिमाग में गरीबी एक वर्चु (गुण या सदाचार) बन गयी है।
प्रधानमंत्री मोदी कहते है कि –
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रवि-शन्ति मुखे मृगाः।।
यानि, उद्यम से ही कार्य पूर्ण होते हैं, केवल इच्छा करने से नहीं।
सोते हुए शेर के मुख में मृग स्वयं प्रवेश नहीं करते हैं ।
राहुल का क्या प्लान है – इस नए भारत में जो भी उद्यम से समृद्ध हुआ है, उसे पुनः निर्धन बना दो। नाम अडानी का लो, लेकिन निशाना हम है, हमारा परिवार है। क्योकि दरिद्रनारायणों से भरे भारत में ही शाही परिवार सत्ता में रह सकता है, अपनी संपत्ति एवं समृद्धि को बढ़ा सकता है।
