डॉ. भूपेंद्र सिंह : पतंजलि.. सूचना मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, लाइसेंसिंग एजेंसी, नेशनल मेडिकल कमीशन सब घेरे में…
पतंजलि बनाम आईएमए मामले में ऐसा रायता फैला है कि दवा कंपनियों की साँस फूल जायेंगी। अब मामला चला गया दूसरी दिशा में और वह है एफएमसीजी प्रोडक्ट को लेकर बड़े बड़े दावे करना और दवाओं पर मुनाफ़ाख़ोरी।
चाहे आयुर्वेद की कंपनियाँ हों या फिर एलोपैथ की, जो बिना RnD के केवल पुराने मॉलिक्यूल अथवा औषधि पैकेज करके भेजती हैं, वहाँ सब लपेटे में आयेंगी। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण बहुत ही महीन खिलाड़ी साबित हुए। हम तो डूबेंगे सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे वाला हाल हो रहा है इस मामले में।
इस मामले में अब सूचना मंत्रालय, उद्योग मंत्रालय, लाइसेंसिंग एजेंसी, नेशनल मेडिकल कमीशन सब लपेटे में आ गये। साथ ही हेल्थ ड्रिंक से लेकर स्वास्थ्य संबंधित दावा करने वाली प्रत्येक कंपनी इससे प्रभावित होने जा रहीं हैं।
बाबा रामदेव और IMA दोनों एक दूसरे के लिए गड्ढा खोदने में एक ऐसे जगह जा फसे हैं जहां यदि कोर्ट चाह गया तो भारत में TPA बेस्ड कारपोरेट हॉस्पिटल की कमर तोड़ सकता है क्योंकि बड़े कारपोरेट हॉस्पिटल बिना दवाओं में मुनाफ़ा कमाये सरवाईव ही नहीं कर सकते और TPA पेशेंट जिस तरह की सुविधा चाहते हैं वह केवल कार्पोरेट सेट अप ही उपलब्ध करा सकता है।
जो भी हो यह केस हर दिन रोचक होता जा रहा है।
