NRI अमित सिंघल : तब तक यह समाज वोटबैंक के रूप में बंधक…

किसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कट्टर विरोधी तथा कश्मीरी महिला, शहला रशीद, ने एक ट्वीट में लिखा कि इस बात को स्वीकार करना भले ही असुविधाजनक हो, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के शासन में कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार हुआ है तथा सरकार के स्पष्ट दृष्टिकोण ने जीवन बचाने में मदद की है।

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शहला ने यह ट्वीट एक सक्रिय आतंकवादी जावेद मट्टू के भाई रईस मट्टू को स्वतंत्रता दिवस के उत्सव के दौरान अपने घर से तिरंगा लहराने के सन्दर्भ में की थी। मट्टू ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के समय वह पहली बार अपनी दुकान पर बैठा था, अन्यथा पूर्व में दुकान दो-तीन दिन बंद रहती थी। उसने कन्फर्म किया कि उसने दिल से तिरंगा लहराया था तथा उस पर किसी का कोई दबाव नहीं था।

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ऐसी ही ट्वीट शाह फैज़ल तथा दर्जनों अन्य कश्मीरी मुस्लिम कर चुके है। स्वतंत्रता दिवस का उत्सव मनाने के लिए श्रीनगर के स्टेडियम में घुसने के लिए कई सौ मीटर की लाइन लगी थी। कई कश्मीरियों के हाथ में तिरंगा था।

लेकिन कश्मीरियों का ऐसा उत्सव मनाना कोंग्रेसियों को पसंद नहीं आया।

एक कोंग्रेसी, शांतनु (यह फर्जी अकाउंट नहीं है; वर्ष 2015 से सक्रीय है और कट्टर कोंग्रेसी है) ने ट्वीट किया कि शहला ने शाह फैज़ल के साथ एक पार्टी बनाई जो अब अस्तित्व में नहीं है और उन्होंने मोदी सरकार से लड़ना बंद कर दिया है। उसने अपने सिद्धांतों से समझौता किया और अपने समुदाय को भी धोखा दिया।

ध्यान दीजिए – शांतनु लिख रहे है कि शहला ने अपने समुदाय को भी धोखा दिया है।

कोंग्रेसी चुनाव जीतने के बाद अनुच्छेद 370 वापस लाने की बात कह ही चुके है।

यही पर कोंग्रेसी राजनीति का सार छुपा हुआ है। मुस्लिम समाज को मुख्यधारा से ना जुड़ने दो; तुष्टिकरण की नीति के द्वारा उन्हें पिछड़ा, निर्धन एवं कट्टरपंथी बनाकर रखो।

जब तक यह समाज पिछड़ा, निर्धन एवं कट्टरपंथी है, तब तक यह एक वोट बैंक के रूप में कोंग्रेसियों का “बंधक” रहेगा। यही नीति पश्चिम बंगाल एवं बिहार जैसे राज्यों में देखने को मिलती है।

इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास एवं सबका प्रयास की नीति लेकर चल रहे है। इसी का परिणाम है कि कश्मीर घाटी में वास्तविक बदलाव दिखाई दे रहा है। कहीं ना कहीं मुस्लिम समाज, विशेषकर महिलाएं समझ रही है कि मोदी सरकार की नीतियों से उनका निजी जीवन सुगम हो गया है। तीन तलाक से मुक्ति मिली है। पहली बार उन्हें घर, शौचालय, नल से जल, बैंक अकाउंट, गैस, मुद्रा लोन इत्यादि सुविधाएं मिली है। शगुन योजना के अंतर्गत उन मुस्लिम महिलाओ को विवाह के समय 51000 रुपये की राशि देने की व्यवस्था है जिन लोगो ने स्नातक पास कर लिया है।

कई सनातनी लोग – जिसमे से कुछ मेरे आभासी मित्र भी है – मोदी सरकार की इन नीतियों का विरोध करते है। उनके लिए बस “डंडा” चलाना ही सरकारी नीति है। हर बात पर लाठी भांजना चाहते है।

जब मैं पूछता हूँ कि आप हर मुद्दे को लट्ठबाजी, बलप्रयोग, अभद्र भाषा, अराजकता के द्वारा ही क्यों सुलझाना चाहते है? क्या कभी इनके परिणामो पर मनन किया है? तब चुप्पी मिलती है।

क्या आप वास्तव में चाहते है कि प्रधानमंत्री मोदी वाह्य सुरक्षा, तेज विकास, सीमा पर स्थिरता स्थापित करना, कच्चे तेल एवं खाद के आयत का प्रबंध करना, सुशासन देना, अगले 1000 वर्षो के लिए प्रबंध करना इत्यादि छोड़कर लाठी भांजने पर ध्यान केंद्रित करे?

आप को इसके उपसंहार का अनुमान है? पूरे देश में अराजकता फ़ैल जायेगी क्योकि कोंग्रेसी पीछे से हवा देंगे। याद दिलाएंगे कि अपने समुदाय को धोखा मत दो। इसका लाभ किसको मिलेगा? उन्हीं कट्टरपंथियों को जिन्हे आप दिन-रात कोसते है।

कश्मीर में परिणाम आने शुरू हो गए है।

राष्ट्र को एक परिपक्व नेतृत्व की आवश्यकता है। ना कि अराजक तत्वों की। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि कुछ राज्यों में जनता ने इन्हे भारी, बहुत भारी, बहुमत से सत्ता दी है। कई सनातनी भी नोटा दबाने को तैयार बैठे है।

केंद्र सरकार को चतुरता एवं ठन्डे दिमाग से काम लेना होगा; यही हो भी रहा है।

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