कौशल सिखौला : एक मात्र लक्ष्य है मोदी हटाओ चाहे कोई भी लाओ
चुनाव क्या आए , ऐसा लगता है , युद्ध छिड़ गया हो । देश में चुनाव तो 1951 से हो रहे हैं । लेकिन 2014 में ऐसा संग्राम छिड़ गया था , जिसकी तपिश 2019 तक कायम रही । अब 2024 की चुनावी आग का तो कोई जवाब ही नहीं । कहीं भी नजर डालिए , शोले भड़क रहे हैं । पता ही नहीं चलता कि आग जंगल में लगी या पानी में ? किसे दोष दें । भला दावानल का भी कोई धर्म होता है ? वह तो फैलता ही है । मकसद हर बार होता है । इस बार एक मात्र लक्ष्य है मोदी हटाओ चाहे कोई भी लाओ । तो खुद देखिए साहब ! क्या क्या हो रहा है ?
तेजस्वी यादव ने कल बवाल मचा दिया । हुआ यूं कि नीतीश कुमार ने चुनावी सभा में प्रधानमंत्री मोदी के पांव छू लिए । दोनों नेता बराबर बराबर कुर्सियों पर बैठे हुए थे । सभा के बाद तेजस्वी ने वह फोटो वायरल करते हुए इसे बिहार का अपमान बताया । कहा कि बुजुर्ग नीतीश ने बिहार का अपमान कर दिया है । अब पांव छूने से सम्मान बढ़ता है या अपमान होता है , इस बाबत तेजस्वी को कितना पता है , हम नहीं जानते । लेकिन काफी कुछ ऐसा है जो न आप जानते हैं न हम जानते हैं । वह तो लालू एंड संस ही जानते होंगे ।
प्रधानमंत्री मोदी का जन्म सितंबर 1950 में हुआ था । नीतीश कुमार का जन्म मार्च 1951 में हुआ । जाहिर है प्रधानमंत्री बड़े हैं , पद में भी उम्र में भी । यह तो भारतीय संस्कृति है दोस्तों । यहां तो दो जुड़वा भाइयों में भी जो पहले आता है , उसे बड़ा भाई माना जाता है । बड़े होने पर उस जुड़वा छोटे भाई के बीबी बच्चे भी पहले बड़े भाई के पांव छूते हैं । हमारा एक खानदानी भाई है जो हम से दस घंटे बाद पैदा हुआ । आज तक भाईजी कहता है , पूरा परिवार मिलने पर पांव छूता है । ऐसे में नीतीश ने यदि प्रधानमंत्री के पांव छू दिए तो क्या गलत है ? बिहार तो बड़ा संस्कारी प्रदेश है । तेजस्वी को इतना पता होना चाहिए । पता नहीं कभी तेजस्वी ने तेजप्रताप या लालू राबड़ी के पांव छुए भी हैं या नहीं ?
खैर ! चुनावी संग्राम छिड़ा हुआ है , सभी पार्टियां आमने सामने हैं तो छोटी छोटी बातें भी होंगी ही । वैसे भी देश में राजनीति का स्तर लगातार गिरता जा रहा है । अपने विरोधियों पर नए नए आरोपों की झड़ी लगाना ही नेताओं की योग्यता माना जाता है । किसे फुर्सत है कि आरोपों को सही गलत के नजरिए से देखे और परखे ? चुनावी माहौल में मुंह से जो निकाला बस निकल गया । अब देखिए ना ! कांग्रेस पार्टी की फायर ब्रांड प्रवक्ता मानी जाती थी सुप्रिया श्रीनेत । कंगना पर बोल ऐसे बिगड़े कि टीवी चैनलों पर छाई रहने वाली श्रीनेत घर बैठ गईं । पर क्या करें किसे कहें । संग्राम चल रहा है तो शब्द भी खेलेंगे ही । बेहद लंबे चुनाव चक्रम के अभी तो पूरे दो महीने बाकी हैं ।