समर प्रताप : इतने जवान शहीद हो गए और नाच गाना कर रहे है..
आर्मी या किसी भी युद्ध मे जब लड़ाई की शुरुआत होती है तो मुद्दा उसे जीतना होता है।
लाशें गिरती है जवान शहीद और जख्मी होते है,
लेकिन बाकी जवान हर रोज की छोटी छोटी जीतो को सेलिब्रेट करते हुवे अंत मे युद्ध जीत लेते है तो उसे वो विजय दिवस या किसी उत्सव के नाम से सेलिब्रेट करते है।
अपने अमर शहीदों को याद करके शाम को रंगारंग प्रोग्राम करते है।
क्योकि जो शहीद हुवे उनकी कुर्बानी के असली मायने वो जीत ही होती है।
वो उसके लिये ही शहीद होते है।
इसलिए तमाम नुकसान और शहीदों के बाद भी जीते गए युद्ध पर उत्सव मनाया जाता है।
उधर कोई ये नही बोलता है कि कैसे लोग है इतने जवान शहीद हो गए और नाच गाना कर रहे है।
वो बस आपके समझने का फर्क है,
सुबह शहीदों को सलामी दी जाती है फिर रात को प्रोग्राम होते है।
ये सब इसलिए लिखना पड़ा क्योकि वामपंथियों की बातों का जवाब तो क्या देना वो घर से बेघर,बिना प्रेम वाले और बिना सुंदरता वाले लोग होते है।
लेकिन कुछ अपने लोग भी उनकी बातों में आ जाते है।
तो हे मित्रों,
होलिका दहन पर उत्सव क्यो ?????
या लाश पर उत्सव क्यो ????
ये पूछना भी ऐसा ही है।
लड़ाई अन्याय के खिलाफ लड़ने की थी।
जंहा प्रहलाद को गोद मे लेकर बैठने वाली होलिका
खुद जल गई ।
इसलिए पहले दिन होलिका को जलाया जाता है,
उन्हें याद किया जाता है।
लेकिन जीत का उत्सव अगले दिन मनाया जाता है।
बस इतनी सी बात है।
फिर भी समझ न आये तो इतना याद रखिये की ये जीवन है,
माँ, बाप,सगे संबंधी सबको एकदिन जाना है।
किसी न किसी की तारीखें तो जीवन मे आती ही रहेगी तो क्या आप हंसना छोड़ देंगे ???
कभी नही क्योकि जो गए है वो आपको हंसते हुवे देखना चाहते है।
हर दुःख के बाद खुशी का उत्सव ही असली सुख है।
होली की शुभकामनाएं।
