NRI अमित सिंघल : प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाले नए भारत में ग्रामों से शहर तक ये है महिलाओं की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाला नया भारत महिलाओं के विकास से आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्व में विकास कर रहा है।
पुरुष-प्रधान सत्ता संरचना हमारी अर्थव्यवस्था, हमारी सामाजिक और राजनीतिक प्रणाली को निर्धारित करती है। स्त्री-पुरुष असमानता की एक छिपी हुई परत संस्थानों और संरचनाओं में निहित होती है, जो सिर्फ आधी जनसँख्या की जरूरतों पर आधारित हैं एवं हमारे सभी जीवन को नियंत्रित करती हैं। बहुधा, आकड़ो में महिलाओं की गणना नहीं की जाती है, और उनके अनुभव और सोच के आधार पर परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व की नीतियां नहीं बनती।
अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में एक सिद्धांत पर सभी लोग एकमत हैं: कि बिना महिलाओं के विकास के किसी भी राष्ट्र की प्रगति नहीं हो सकती। अगर राष्ट्र की जनसंख्या का 50% भाग राष्ट्र के विकास में योगदान नहीं दे पाता, तो वह राष्ट्र कभी भी विकसित देशों की श्रेणी में नहीं खड़ा हो सकता।
तभी स्त्री-पुरुष समानता मानवाधिकार का विषय है, व्यक्तिगत विकास, स्वास्थ्य और कल्याण के लिए भी आवश्यक है।
लेकिन क्या सिर्फ नारे लगा देने से महिला-उन्मुखी विकास हो जाएगा? ऐसे विकास के लिए क्या करना होता हैं?
ऐसे किसी भी विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं प्लंबिंग शब्द का प्रयोग करती हैं। प्लंबिंग यानि कि जल एवं मल-मूत्र के आवागमन के लिए पाइपलाइन, वाल्व, सम्बंधित उपकरण, टैंक इत्यादि का जाल बिछाना। यह प्लंबिंग अदृश्य होती हैं। लेकिन इसके बिना न तो पानी आएगा, न ही मल-मूत्र निकासी होगी। और यह प्लंबिंग करना परिश्रम का कार्य हैं, बोरिंग होता हैं; जमीन के नीचे इंजीनियर और मजूर कार्य करते हैं।
प्लंबिंग बिछाना अनग्लैमरस – अनाकर्षित – कार्य होता है। आखिरकार कौन जमीन के नीचे या दीवार के पीछे देखना चाहता है।
उदाहरण के लिए हम अपने घर में जब नल खोलते हैं तो पानी आ जाता है और शौचालय से मल-मूत्र फ्लश होकर कहीं चला जाता है। लेकिन हम यह कभी नहीं सोचते कि पानी आया कैसे और या मल मूत्र गया कहां पर। दैनिक प्रक्रिया के पीछे पूरे राष्ट्र में एक विशाल पाइप का जाल बिछा होता है; जगह-जगह पर वाल्व, मोटर लगी होती है और इन्हीं अदृश्य पाइपलाइन के द्वारा घर में पानी आ जाता है तथा मल मूत्र की निकासी हो जाती है यहां तक कि यह पाइप लाइन और सीवर की लाइन जो घर में आती है वह भी अब भूमि के नीचे या दीवारों के पीछे छुपी होती है। अगर किसी बच्ची को न पता हो कि पानी कैसे आ रहा है तो वह सोचेगी कि नल में ही पानी “बनता” हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 से महिलाओ के सशक्तिकरण के लिए ऐसी ही प्लंबिंग बिछानी शुरू कर दी। चाहे टॉयलेट का निर्माण हो, महिलाओ धुएं से मुक्त करने के लिए गैस का कनेक्शन देना, 23 करोड़ महिलाओ के लिए जन-धन अकाउंट, हर घर में बिजली कनेक्शन पहुंचाना, पीने का शुद्ध जल, ‘नल से जल’पहुँचाना, घर का निर्माण करना, महिलाओ को धुएं से मुक्त करने के लिए गैस का कनेक्शन देना हो, निर्धनों को बीमा सुरक्षा देना, पांच लाख रुपये तक अच्छे से अच्छे अस्पताल में मुफ्त इलाज कराने के लिए आयुष्मान भारत योजन, हर गाँव में फाइबर ऑप्टिक केबल पहुँचाना, गर्भवती महिलाओं को सैलरी के साथ 6 महीने की छुट्टी देना, तीन तलाक़ के भय से मुक्ति दिलाना। या फिर, जन-औषधि केंद्र से एक रूपये में सेनेटरी पैड देना जिससे निर्धन किशोरियों महिलाओ को व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए परेशान न होना पड़े।
पीएम आवास के तहत मिलने वाले घर महिलाओं के नाम रजिस्टर किए जा रहे है। कृषि के लिए ड्रोन उड़ाती महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाओ के प्रति पुरुषो के दृष्टिकोण को बदल देगी। वर्ष 2029 लोक सभा चुनाव में लगभग एक-तिहाई महिलाएं सांसद बनेगी।
यह सभी प्लंबिंग महिलाओ को दिन-प्रतिदिन के कमरतोड़ परिश्रम – जैसे की शौच के लिए सूर्योदय के पहले मैदान जाना, ईंधन की लकड़ी के लिए भटकना, कही दूर स्थित नदी-कुए से घड़े में पानी भर के लाना, धुएं में जीवन व्यतीत करना, बैंक से ऋण के लिए हाथ फैलाना, घर में किसी के बीमार होने पर असहाय महसूस करना, पीरियड के समय निष्क्रियता महसूस करना – से मुक्ति दिलाएगी और उन्हें अपना सर्वांगीण विकास (शिक्षा, स्वरोज़गार, स्किल डवेलपमेंट) करने के लिए मुक्त करेगी।
कैबिनेट मिनिस्टर स्मृति ईरानी का मानना हैं कि प्रधानमंत्री मोदी भारत में महिलाओं के विकास से आगे बढ़कर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की तरफ अग्रसर हो रहे हैं।
भारत की महिलाये इस दशक में ही राष्ट्र को अभूतपूर्व प्रगति की तरफ ले जायेगी, राष्ट्र का चेहरा बदल देगी।
क्योकि उनके सशक्तिकरण की अदृश्य प्लंबिंग अब पूरी तरह से बिछ गयी है।