कौशल सिखौला : मोदी के काम-राम का खौफ इंडि गठबंधन को खाये जा रहा है
देश की राजनीति में अचानक परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं । यूपी में सीट तालमेल के साथ दूसरी सूचना दिल्ली से आई जहां कांग्रेस तीन सीटों पर राजी हो गई , आप चार पर लड़ेगी । गोवा , गुजरात , असम , हरियाणा , मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी कांग्रेस – आप के बीच सीट तालमेल हो रहा है । महाराष्ट्र में महाआघाडी गठबंधन ने सीट बंटवारा कर लिया है । अब दक्षिण भारत में भी इंडिया गठबंधन सीट तालमेल में जुटा है । अलबत्ता नीतीश के बाद लोकदल के जयंत चौधरी ने इंडिया से नाता तोड़ा था , अब फारूख अब्दुल्ला भी गठबंधन से दूर जा बैठे हैं । ममता पहले ही किनारा कर चुकी हैं।
यूपी में तालमेल के साथ अब शेष राज्यों में गठबंधन की बातचीत तेज हो गई है । तालमेल + किसानों की नाराजगी को जोड़कर विपक्ष एनडीए बीजेपी को शिकस्त देना चाहता है । जैसे जैसे केजरीवाल को ईडी से आने वाले समन संख्या में बढ़ते जा रहे हैं , वैसे वैसे केजरीवाल कांग्रेस के प्रति नरम रुख अपना रहे हैं । हां आम आदमी पार्टी और भगवंत मान अभी भी पंजाब से कांग्रेस को एक भी सीट देने को तैयार नहीं हुए हैं।
ममता और नीतीश जैसे बड़े नेताओं के अलग हो जाने के बाद गठबंधन का वह ढाँचा चरमरा गया था जो अभी तक ढंग से बना भी नहीं था । जाहिर है मोदी का खौफ इंडिया गठबंधन को खाए जा रहा है और नजदीक ला रहा है । चुनाव में खड़े रह पाने का यही एक रास्ता बचा है विपक्षी दलों के पास । डर है कि किसी भी तरह फिलहाल सीट तालमेल कर लें अन्यथा इन दलों के नेता एक एक कर पलायन कर जाएंगे । दक्षिण भारत में गठबंधन कितना कारगर होगा , इसकी उतनी परवाह नहीं , जितनी उत्तर मध्य भारत में है । तभी तो विधानसभा चुनाव में इंकार कर चुकी कांग्रेस , एमपी तक में अखिलेश को सीट देने के लिए राजी हो गई है।
गठबंधनों का गणित भी अजीब रहा है । तथापि ये हमेशा कारगर नहीं हुए । एक बड़ा लाभ यह होगा कि मुस्लिम वोटों का बंटवारा गठबंधन वाले राज्यों में नहीं हो पाएगा । विपक्ष के लिए यह लाभकारी है । सवाल उन मतों का है जो ध्रुवीकृत होंगे । मतलब मुस्लिम वोट एक ओर जाने की प्रतिक्रिया क्या विपक्ष के हिन्दू मतों में हो सकती है ? चुनाव को बहुत से फैक्टर प्रभावित करते हैं । सबसे बड़ा पहलू मोदी का नाम जो वोट खींचता आया है । मोदी के साथ काम और राम जुड़े हैं । नतीजतन चुनाव काफी रोचक होने के आसार हैं । तय होगा कि क्या मिलकर लड़ने से मोदी के आभामंडल को परास्त किया जा सकता है ? चुनाव दिलचस्प होगा , देखने को तैयार रहिए।