विनय कुमार : तो 2024 के अंत तक भारत विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा
भारत की अर्थव्यवस्था में डिजिटल लेनदेन और नब्बे फीसदी तक बैंकों का डिजिटलीकरण कर और आरटीजीएस, एनईएफटी, तुरंत फ़ंड ट्रांसफर की एक्सप्रेस व्यवस्था कर मोदी ने भारत को दस साल के भीतर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकने वाला देश बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। यकीन मानिए क्योंकि रूपये का स्वभाव है कि वो जितनी तेजी से घूमता है, अपना प्रतिरूप बनाता जाता है। भारत की बैंकिंग प्रणाली आज पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर चल रही है, जिससे बैंकों में फैले गोरखध्न्धों पर बहुत हद तक लगाम लगी है और आगे इसमें और भी सुधार होगा।
भारत ने जिसदिन डेढ़ लाख करोड़ रुपये की जीएसटी प्राप्त कर ली उसी दिन भारत दुनिया के चौथे सबसे धनी देशों में आ जायेगा तथा इसका सबसे बड़ा कारण भारत की वो चालीस करोड़ उपभोक्ता आबादी है जो ईमानदारी से खुलकर बाजारों में रोज पैसे खर्च करती है। त्यौहारों पर खर्च बोनस जैसा होता है, जो अर्थव्यवस्था में तत्काल उछाल ले आता है। इन सब कारकों को ध्यान में रखते हुए अगर भारत चाहे तो दस साल में यह हो सकता है।
इस समय जापान और जर्मनी आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं, जिस वजह से जापान और जर्मनी की अर्थव्यवस्था रैंकिंग पर खतरा मंडरा रहा है। ये अर्थव्यस्थायें दुनिया में तीसरी और चौथी अर्थव्यस्थायें हैं। लेकिन पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से यह दोनों अर्थव्यस्थायें बड़ी मंदी का सामना कर रही हैं।
जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से वृद्धि कर रही है, और दूर दूर तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई खतरा नहीं दिखता। ऐसे में, साल बीतते बीतते भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाये तो कोई आश्चर्य नहीं।
अगर भारत अमेरिका के लिये इतना महत्वपूर्ण सामरिक, रणनीतिक देश हो सकता है, जो अमेरिकी हितों को सुरक्षित रख सके तो क्यों नहीं भारतीय कम्पनियों को लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, एयरबस तथा आधुनिक मिसाइल और सैन्य तकनीक क्यों नहीं देता। जबकि तकनीक खरीद के लिये सरकार समेत 70 से ऊपर भारतीय कम्पनियां छठी पीढ़ी की तकनीक के लिये मुंहमांगी कीमत दे रहे हैं।
अमेरिका अगर यह समझता है कि वह अब भारत को अपनी नीतियों से प्रभावित कर सकता है तो यह व्हाइट हाउस की गलतफहमी है। आज भारत उस मुकाम पर है कि व्हाइट हाउस में भी अपने विवादित फैसलों को स्टे लगवा देता है। जिसका सबसे बड़ा सबूत रूस से अमेरिकी प्रतिबन्धों को धता बताते हुये भारत ने न केवल सफलतापूर्वक एस400 के सौदे को पूर्ण किया और पहला स्क्वाड्रन भी तैनात कर दिया। यह भारत की महाशक्तियों के बीच भारत की धमक को दिखाता है, जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दिखता भी है।