अमित शाह ने किया कृषि ग्रामीण विकास बैंकों के कम्प्यूटरीकरण परियोजना का शुभारंभ
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) व सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस) की कम्प्यूटरीकरण परियोजना का शुभारंभ किया।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) व सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस) की कम्प्यूटरीकरण परियोजना का शुभारंभ किया।
225 करोड़ रुपये की लागत से कम्प्यूटरीकृत होंगे कार्यालय
इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कृषि और ग्रामीण विकास बैंक और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार के कार्यालयों को लगभग 225 करोड़ रुपये की लागत से कम्प्यूटरीकृत किया जाएगा।
सहकार से समृद्धि की ओर का सपना हो रहा है साकार
गृहमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री मोदी के “सहकार से समृद्धि” के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में सहकारिता मंत्रालय द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के तहत इस परियोजना के अंतर्गत सहकारी क्षेत्र को आधुनिक बनाने और पूरे सहकारी तंत्र को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाकर इसकी दक्षता सुनिश्चित करना है।
कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों के कम्प्यूटरीकरण परियोजना का लक्ष्य फिलहाल अभी 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित एआरडीबी की 1,851 इकाइयों को कम्प्यूटरीकृत और उन्हें नाबार्ड के साथ जोड़ना है। सहकारिता मंत्रालय के इस पहल से प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के जरिये व्यावसायिक प्रक्रियाओं को उच्चस्तरीय बनाते हुए कृषि और ग्रामीण विकास बैंको के संचालन,दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार लाया जाएगा।
इसके अलावा इस पहल का उद्देश्य लेनदेन की लागत को कम करना,किसानों को ऋण देने की सुविधा को आसान बनाना और योजनाओं की बेहतर निगरानी और मूल्यांकन के लिए वास्तविक समय पर डेटा की पहुंच को सक्षम बनाना आदि है। इससे प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) के माध्यम से ऋण और संबंधित सेवाओं का लाभ उठाने में छोटे और सीमांत किसानों को आसानी होगी।
सहकारिता मंत्रालय की दूसरी प्रमुख पहल के तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (आरसीएस) कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण,आरसीएस कार्यालयों को कागज रहित कामकाज के लिए प्रेरित करना शामिल है। इसके साथ ही आरसीएस कार्यालयों में बेहतर दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता, राष्ट्रीय डेटाबेस के साथ जुड़ाव भी सुनिश्चित किया जाएगा।
50,000 से अधिक PACSs दे रहीं हैं सेवाएं
प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के रूप में शामिल करके डिजिटल सेवाएं शुरू करने में भी सक्षम बनाया जा रहा है। बता दें कि अब तक 50,000 से अधिक PACSs को काॅमन सर्विस सेंटर के रूप में शामिल किया जा चुका है और 30,000 से अधिक ने पहले ही सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, सहकारिता मंत्रालय ने एक नया राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस स्थापित किया है जिसमें 8 लाख से अधिक सहकारी समितियों का डेटा शामिल है जिसे जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। इस दौरान कार्यक्रम में करीब सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के1,200 लोगों ने भाग लिया। जिनमें वरिष्ठ अधिकारी, सहकारी विभागों के सचिव और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार सभी राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एससीएआरडीबी) के अध्यक्ष,प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण के प्रतिनिधि शामिल रहे।
