सर्वेश तिवारी श्रीमुख : धर्मस्त्वामभिरक्षतु…

भक्ति के रङ्ग में रंगा चुके गाँव और हर ओर फैल चुकी ‘जय जय श्रीराम’ की मधुर ध्वनि के बीच रोम रोम उल्लास में डूबा है। हजारों वर्षों में कभी एक बार आने वाले ऐसे महान अवसर पर मैं अपने प्रधानसेवक को धन्यवाद न दूँ तो जीवन भर यह अपराधबोध बना रहेगा। इस धर्मप्रधान देश के प्रधानमंत्री होने के नाते इस ऐतिहासिक क्षण को इतना भव्य बनाना आपका दायित्व था, पर आपने जिस श्रद्धा भाव से इस दायित्व को निभाया है, वह केवल और केवल आप ही कर सकते थे मोदीजी। उत्सव का ऐसा विराट वातावरण केवल आप गढ़ सकते थे…

वो केवल मैं नहीं हूँ जो अयोध्या में तिरपाल का मंदिर और लोहे के पिंजडेनुमा रास्ते को देखने के बाद रो कर घर लौटा था। मेरे जैसे जाने कितने लाख लोग वैसे ही रोते हुए अयोध्याजी से घर लौटे और फिर कभी दुबारा नहीं गए। आज फिर आंखों में अश्रु हैं और रोंआ रोंआ अयोध्याजी जाने के लिए मचल रहा है, तो इसके मूल में आपका तप भी है। मेरे जैसा भावुक व्यक्ति इसे स्वयं के ऊपर आपका उपकार मानता है। हम माटी के लोग उपकार नहीं भूलते साहब! यह उपकार सदैव याद रहेगा…
सप्ताह भर उपवास रख कर मन्दिर मन्दिर घूमते प्रधानमंत्री को देख कर बार बार अपने चयन पर खुशी होती है। देश का प्रधानमंत्री भूमि पर सो रहा है, ग्यारह दिन तक केवल नारियल पानी पी कर अनुष्ठान कर रहा है, यह सोच कर ही रोमांच हो उठता है।कम से कम अब तो मुझे यह कहने में कोई झिझक नहीं कि हमें गर्व है अपने प्रधानमंत्री पर… जैसे घर के बुजुर्ग हर पर्व में पूरे परिवार की ओर से व्रत रख कर तप करते हैं, आपको देख कर वही अनुभव हो रहा है।
‘माथे पर लटकी सेक्युलरिज्म की तलवार’ के भय से तुष्टिकरण का जामा ओढ़ कर कांपती राजनीति वाले देश में आप इकलौते प्रधानमंत्री हैं जिनके मुख्य सुरक्षा गार्ड तक मन्दिर परिसर में पारंपरिक सनातनी वस्त्र पहन कर चल रहे हैं। प्रधानमंत्री के पीछे पीछे एसपीजी के कमांडो धोती पहन कर चलें, यह देखना आंखों को तृप्त कर देता है। आज से दस वर्ष पूर्व तक कोई सोच भी नहीं सकता था कि ऐसा होगा। आपने युग बदल दिया मोदी जी! युग बदल दिया…
इसमें कोई संदेह नहीं कि आपने स्वयं को भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में सिद्ध कर लिया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि आप राजमाता अहिल्याबाई होलकर की पूज्य परम्परा में खड़े हो गए हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि आप युग युगांतर तक याद रखे जाएंगे।


तमिलनाडु में एक बुजुर्ग ब्राह्मणदेवता हाथ उठा कर आपको आशीष देते हुए वह श्लोक पढ़ रहे थे जिसमें माता कौशल्या प्रभु श्रीराम को आशीष देते हुए कहती हैं- “यं पालयसि धर्मं त्वं धृत्या च नियमेन च, स वै राघवशार्दूल धर्मस्त्वामभिरक्षतु ! (हे रघुकुल के सिंह, तुम जिस धर्म का धैर्य और नियम के साथ पालन करते आ रहे हो, वही धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा। यही एक मात्र मेरा अनुग्रह है।) ब्राह्मण होने के नाते मैं भी कहता हूँ- धर्मस्त्वामभिरक्षतु… मेरे प्रधानसेवक! धर्म आपकी रक्षा करे!

सर्वेश तिवारी श्रीमुख गोपालगंज, बिहार।

 

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