कौशल सिखौला : …तो फिर बिहार में नैतिकता का सवाल क्यों?

यह स्वाधीनता से पहले की नहीं , स्वतन्त्र भारत की राजनीति है । पहले की राजनीति के सामने एक लक्ष्य था एक मिशन था आजादी प्राप्त करने का । आज की राजनीति का लक्ष्य है सत्ता प्राप्ति । उसके लिए जो भी करो , वह कम है । अब तो राजनैतिक दलों के प्रवक्ता खुले आम टीवी पर कहने लगे हैं कि हम भजन करने नहीं , राजनीति करने राजनीति में आए हैं।

सीधा सा मतलब — भाड़ में जाए नैतिकता हमें सत्ता चाहिए । पहले भी ” बाई हुक और बाई क्रुक ” कहते थे , अब तो सीधे कहते हैं कि काम तभी होगा जब सत्ता जेब में होगी । काफी हद तक यह सही भी हैं , चूंकि आज के दौर में विपक्ष की राजनीति का काम कुढ़ना , चिढ़ना , नफरत करना और जलना – फुंकना रह गया है । देश को और खुद को आगे बढ़ाने के लिए सत्ता जरूरी है।

किसने सिखाया यह सब ? राजनीति में इंदिरा गांधी के इशारे पर आया था “आया गया ” का खेल । हरियाणा के भजनलाल ने शुरू किया था । भजनलाल अपनी पूरी कैबिनेट लेकर कांग्रेस में आ गए थे । वहां लोकदल की सरकार थी जो कुछ ही घंटों में कांग्रेस की सरकार हो गई । भारत में आयाराम गयाराम का पहला ब्रांड भजनलाल के माध्यम से कांग्रेस बनीं।

फिर तो ऐसा खेल शुरू हुआ कि थोड़े थोड़े समय के लिए चरण सिंह , वीपी सिंह , चंद्रशेखर , देवगौड़ा , आइके गुजराल आदि प्रधानमंत्री बनते रहे । खुद अटलजी ने एक बार 13 दिन की और एक बार 13 महीने की सरकार चलाई । राज्यों में ऐसे खेल बहुत बार हुई , संविद सरकारें बनती रही । गठबंधन की पहली सरकार इंदिरा गांधी के आपातकाल में जनता पार्टी के रास्ते बनीं । सच कहें तो दलों का रायता ऐसा बिखरा कि यूपीए , एनडीए और अब डॉट डॉट इंडिया तक आ पहुंचा।

तो फिर बिहार में नैतिकता का सवाल क्यों ? मतलब लालू द्वारा बीजेपी से नीतीश को तोड़कर सरकार बनाना नैतिकता थी और अब भाजपा द्वारा नीतीश को तोड़कर सरकार बनाना अनैतिकता हो गई ? जिस नीतीश ने इंडिया गठबंधन की बुनियाद रखी , उन्हें गठबंधन का संयोजक न बनाना नैतिकता हो गई और खड़गे का खुद गठबंधन अध्यक्ष बन बैठना अनैतिकता नहीं हुई?

गठबंधन बन जाने के बाद भी राहुल का कांग्रेस की यात्रा निकालना कहां से नैतिकता हो गई ? मतलब हम करें तो मीठा मीठा , दूसरा करे तो कड़ुआ कड़ुआ ? छोड़िए साहब ! कांग्रेस ने जीवनभर जो किया , वह भाजपा सीखकर उससे मीलों आगे निकल गई है । अब स्वीकार कर लीजिए कि आपका जमाना गुजर गया । अब वे खेलेंगे , उनकी बारी है । आज की राजनीति बिग बॉस बनने की है , नैतिक अनैतिक ढूंढने की नहीं?

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