“बच्चों को नया पेन न दे” PM मोदी अभिभावकों को क्यों बोले..!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा – सरकार ऐसा राष्‍ट्र बनाने का प्रयास कर रही है जहां वर्तमान और भावी पीढियों के पास चमकने और अपनी क्षमताओं को दिखाने का अवसर मिले।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सातवीं बार ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम को संबोधित किया। बोर्ड परीक्षा से पहले प्रधानमंत्री देश भर के छात्रों में उत्साह भरते हैं। इस बीच हर बार वो स्कूली बच्चों के अभिभावकों के लिए भी सकारात्मक सुझाव देते हैं। इस बार प्रधानमंत्री ने बच्चों के माता-पिता से अनुरोध किया है कि वो बच्चों की दूसरों के साथ तुलना न करें।

पीएम मोदी ने दिया तनाव से बचने का मंत्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों को परीक्षा के दौरान होने वाले तनाव से बचने का मंत्र दिया। पीएम मोदी ने कहा, “परीक्षा से पहले आराम से बैठें, हँसी-मजाक में 5-10 मिनट बिता दीजिए। खुद में खो जाइए, एग्जाम से बाहर निकल जाएँगे, फिर जब आपके हाथ में प्रश्न पत्र आएगा तो आप आराम से कर पाएँगे। हम बाकी चीजों में लटके रहते हैं, वो बिना कारण हमारी शक्ति बर्बाद करता है। हमें खुद में ही खोए रहना चाहिए। बचपन से अर्जुन और पक्षी की आँख वाली कथा सुनते हैं, इन्हें अपने जीवन में भी लागू भी करें। घबराहट का कारण है कि परीक्षा के समय सोचना कि कहीं समय कम ना पड़ जाए, अच्छा होता मैं पहले वे प्रश्न कर लेता, ऐसे में पहले पूरा पेपर पढ़ लीजिए फिर देखिए कि आपको कैसे करना है।”

पीएम मोदी ने आगे कहा, “कुछ माता पिता को लगता है कि आज एग्जाम है कि बच्चे को नई पेन लाकर दें, लेकिन मेरा आग्रह है कि जो पेन रोज यूज करता है, वही ले जाने दीजिए। न उसे कपड़ों पर टोकिए, जो पहन रहा है उसे पहनने दीजिए। एग्जाम पर उसे कंफर्ट फील कराइए।”

पूरी नींद जरूरी

पीएम मोदी ने परीक्षा के समय बच्चों को पर्याप्त नींद लेने की सलाह दी। पीएम मोदी ने कहा, “जैसे मोबाइल को कार्य करने के लिए चार्जिंग की आवश्यकता होती है, उसी तरह बॉडी को भी रिचार्ज रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि स्वस्थ मन के लिए शरीर को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए प्रॉपर नींद लेना भी बहुत आवश्यक है।”

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा है कि प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां जीवन में प्रेरणा का काम करती हैं लेकिन स्पर्धा स्‍वस्‍थ होनी चाहिए। उन्‍होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे खुद से प्रतिस्पर्धा करें न कि दूसरों से। वे आज नई दिल्‍ली में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के दौरान स्कूल के विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों से बातचीत कर रहे थे। श्री मोदी ने कहा कि अगर जीवन में चुनौतियां नहीं होगी तो जीवन प्ररेणाहीन हो जाएगा। उन्‍होंने कहा कि अभिभावकों और शिक्षकों को मिलकर विद्यार्थियों की चुनौतियों का समाधान करना चाहिए। उन्‍होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि वे विद्यार्थियों के रिपोर्ट कार्ड को उनका विजिटिंग कार्ड न बनाये।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को इतना सक्षम बनाया जाना चाहिए की वे कोई भी दबाव सह लें। उन्‍होंने कहा कि तनाव जीवन का हिस्सा है और सभी को इससे निपटने के लिए इससे तैयार रहना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि तनाव कम करने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्‍होंने कहा कि विद्यार्थियों और शिक्षकों का संबंध पाठ्यक्रम से ऊपर होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि तंदुरुस्त रहने के लिए संतुलित आहार और व्‍यायाम बहुत जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि स्‍वस्‍थ मन के लिए स्‍वस्‍थ शरीर बहुत महत्‍वपूर्ण है। उन्‍होंने कहा कि पर्याप्‍त नींद लेना भी जरूरी है।
श्री मोदी ने विद्यार्थियों से टेक्‍नोलॉजी का उचित इस्तेमाल करने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को निर्णय लेने की आदत विकसित करनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि किसी तरह की भ्रम की स्थिति में बात करके उसका हल निकाला जाना चाहिए आगे बढना चाहिए। उन्‍होंने ने कहा कि विद्यार्थियों और अभिभावकों के बीच विश्वास की कमी नहीं होनी चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि जितना हो सके प्रश्नों का उत्तर लिखने का अभ्यास करें। उन्‍होंने कहा कि आप जितना अभ्यास करेंगे परीक्षा केन्द्र का अधिकांश दबाव कम हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ऐसा राष्ट्र बनाने का प्रयास कर रही है जहां वर्तमान और भावी पीढ़ियों के पास चमकने और अपनी क्षमताओं को दिखाने का अवसर मिले। उन्‍होंने कहा कि कुछ करने दृढ इच्छाशक्ति हो तो निर्णय लेना आसान हो जाता है। श्री मोदी ने कहा कि जब आपकी नीयत में स्‍वार्थ न हो तो निर्णय लेने में कोई परेशानी नहीं होती। उन्‍होंने कहा कि उनके 10 साल के कार्यकाल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत युवाओं के नेतृत्व में विकसित राष्ट्र बनेगा। उन्‍होंने कहा कि परीक्षा पे चर्चा एक जन आंदोलन बन गया है।

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