संजय तिवारी मणिभद्र : …संस्कार के बाद 4 कदम उत्तर की ओर बच्चा क्यों चलता है ?
आज भी पूरे भारत में जब उपनयन संस्कार होता है तो उपनयन (जनेऊ) पहनने के बाद बच्चा चार कदम उत्तर की ओर चलता है। आपने कभी सोचा ये बच्चा चार कदम उत्तर की ओर क्यों जाता है?
क्योंकि उत्तर में विद्या की देवी मां सरस्वती का केन्द्र शारदा पीठ है। जब अंग्रेज गये तो शारदा पीठ भारत के हिस्से में ही था, लेकिन बाद में पाकिस्तान ने उस पर कब्जा कर लिया और अब शारदा पीठ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का एक उपेक्षित और अनपेक्षित सा खंडहर भर है। उनके लिए अब उस पीठ का कोई मतलब नहीं, जिनके लिए मतलब है उनके पास वो पीठ नहीं।
भारत में जनेऊ संस्कार होते समय कितने पंडित ये बात बताते हैं कि विद्याध्ययन के लिए बच्चा चार कदम जो उत्तर की ओर चलता है कहां जाता है? शायद पंडितों को भी ये बात नहीं मालूम। वो एक कर्मकांड समझकर इसे निभाते आ रहे हैं।
लेकिन ये कर्मकांड सिर्फ कर्मकांड नहीं, हमारी चेतना और भूभाग दोनों से जुड़ा हुआ है। अगली बार कोई कहे कि कश्मीर हिन्दुओं का नहीं है तो उसे ये बात बता देना। पीओके और इस्लामाबाद भी हिन्दुओं का ही है और हमेशा रहेगा क्योंकि एक जगह शारदा पीठ है और दूसरी जगह तक्षशिला। विद्या के ये दो केन्द्र सदा सर्वदा हिन्दुओं की चेतना में बसे रहेंगे जहां पाणिनी (तक्षशिला) से लेकर शंकराचार्य (शारदा पीठ) ने विद्या और सिद्धियां प्राप्त की हैं। अगर पाणिनी और शंकराचार्य के बिना धर्म अधूरा है तो शारदा पीठ और तक्षशिला के बिना हिन्दू कैसे पूरा हो जाएगा?
साभार : संजय तिवारी मणिभद्र