जो अपने आपको न्यूट्रल कहते हैं, वो भी ठेकेदार हैं- प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 दिसंबर को गुजरात में मिली जोरदार जीत के बाद दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय में कार्यकताओं को संबोधित करते हुए सारगर्भित शब्दों में अपने विज़न को लेकर अपना पक्ष रखा। प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में प्रचंड जीत के लिए लोगों को धन्‍यवाद दिया। इसके साथ ही उन्होंने उन लोगों पर निशाना साधा जो खुद को न्‍यूट्रल होने का दावा करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जो अपने आपको न्यूट्रल कहते हैं, वो भी ठेकेदार हैं। उन्होंने कहा, ‘इस चुनाव बहुत लोगों को जानने-पहचानने का अवसर मिल चुका है। पिछले कुछ चुनावों का एक बड़े कैनवस पर एनालिसिस करना चाहिए कि जो अपने आपको न्यूट्ल कहते हैं। जिनका न्यूट्रल होना जरूरी होता है, वो कहां खड़े होते हैं। कब कैसे रंग बदलते हैं और कैसे-कैसे खेल खेलते हैं। वो अब देश को जान लेना बहुत जरूरी है। बहुत जरूरी है। उत्तराखंड का इतना बड़ा चुनाव हुआ। कितनी जमानतें जब्त हुई, किसकी हुई, कोई चर्चा नहीं। उन लोगों को भी जानना चाहिए, पहचानना चाहिए कि ये भी ठेकेदार है।’

गुजरात चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी हो रही है हमारे गुजरात के सीएम भूपेंद्र भाई पटेल करीब-करीब दो लाख से वोटों से जीते हैं। लोकसभा में कोई दो लाख वोटों से जीते तो बड़ी बात मानी जाती है। असेंबमी में दो लाख वोटों से जीतना…लेकिन ठेकेदारों का तराजू कुछ और है। हमें इन जुल्मों के बीच में बढ़ना है। हमें अपनी सहनशक्ति को बढ़ाना है। हमें अपनी समझशक्ति को बढ़ाना है और हमें अपने सेवाभाव का विस्तार भी करना है और सेवाभाव की गहराई भी बढ़ानी है और सेवा भाव से ही जीतना है। क्योंकि जो जहां बैठा है वह बदलने वाला नहीं है। उसका इरादा नेक नहीं है।’

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘2002 के बाद शायद मेरे जीवन का कोई पल ऐसा नहीं गया। कोई कदम ऐसा नहीं रहा, जिसकी धज्जियां न उड़ा दी गई हो। जिसकी आलोचना नहीं, धज्जियां उड़ा देना, बाल नोच लेना। लेकिन इसका मुझे बहुत फायदा हुआ। क्योंकि मैं हमेशा सतर्क रहा। हर इस तरह की बुरी प्रवृत्ति में कुछ न कुछ सकारात्मक खोजता रहा। खुद में बदलाव लाता गया, सीखता रहा, बढ़ता गया। और जिन लोगों को चारों तरफ से उछालने वाले लोग रहते हैं, कंधे पर उठाकर नाचने वाले लोग रहते हैं। उनमें सुधरने की भी संभावना नहीं रहती है। वो तो जो है वहां से भी बिगड़ेंगे। इसलिए आलोचनाओं ने भी हमें बहुत सिखाया है। हर आलोचना में से हमें काम की चीज खोजते रहना है। हमें अपनी शक्ति को बढ़ाते रहना है। और कठोर से कठोर झूठे आरोपों को सहने का सामर्थ्य भी बढ़ाना होगा। क्योंकि अब जुल्म बढ़ने वाला है। अब मानकर चलिए, मुझ पर भी बढ़ने वाला है, आप सब पर भी बढ़ने वाला है। क्योंकि ये सहन नहीं कर पाएंगे, ये पचा नहीं पाएंगे। और उसका जवाब यही है- हमें अपनी सहनशक्ति बढ़ाना है। हमें अपनी समझदारी का विस्तार करना है।’

गुजरात चुनाव में ऐतिहासिक जीत पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश ने पिछले आठ वर्षों में गरीब को सशक्त करने के साथ ही, गरीब तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के साथ ही, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी फोकस किया है। रोड हो, रेल हो, एयरपोर्ट हो, टनल्स हों, सोलर पावर प्लांट हो, स्टेडियम हो, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क हो, जो भी हो, सबसे उत्तम हो, सबसे श्रेष्ठ हो, ये आकांक्षा लेकर आज भारत चल रहा है। आज देश में कोई संशय नहीं कि अगर देश रहेगा, देश समृद्ध होगा, तो सबकी समृद्धि तय है। हमारे पूर्वजों के पास अनुभव का अगाझ ज्ञान था। अनुभव के निचोड़ से काम होती थी। आमदनी अठन्नी और खर्चा रूपैय्या वाला हिसाब रहेगा तो क्या स्थिति होगी, इसके उदाहरण दुनिया के अनेक देशों में हमने देखे हैं। इसलिए आज देश बहुत सतर्क है। देश के हर राजनीतिक दल को ये याद रखना होगा कि चुनावी हथकंडों से किसी का भला नहीं हो सकता।’

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