सुरेंद्र किशोर : स्वतंत्रता पूर्व देश में क्या था.. ये था.. नेहरु के देने का सच…

स्वतंत्रता से पहले भी भारत में
‘‘बहुत सी चीजें ’’ मौजूद थीं
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ऐसा नहीं है कि इस देश को सब कुछ स्वतंत्रता के
बाद ही नेहरू परिवार ने ही दिए।
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ऐसा भी नहीं कि नेहरू परिवार ने कुछ नहीं दिया।
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प्रत्येक प्रधान मंत्री ने अपने -अपने ढंग से कुछ -कुछ इस देश को दिए।
मेरे आकलन के अनुसार मौजूदा प्रधान मंत्री कुछ अधिक ही दे रहे हैं।
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पर,लोगों को यह भी जानना चाहिए कि स्वतंत्रता से पहले
भी इस देश के पास बहुत कुछ था।
जो कुछ था,उसके कुछ उदाहरण यहां प्रस्तुत हैं।
ये उदाहरण कई स्रोतों से एकत्र किए गए हैं।
कुछ नमूनों पर गौर कीजिए
1.-भारत में पहला छोटा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट अंग्रेजों ने दार्जिलिंग में सन 1897 में बनाया था, जो 130 किलोवाट का था, जिसका नाम सिद्रपोंग था और तीस्ता नदी पर बनाया गया था।


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2.-भारत में पहला बड़ा हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट मैसूर के राजा ने कोलार की खान से सोना निकालने के लिए कावेरी नदी पर शिवसमुद्रम फाल पर सन 1887 में बनाया जो 1902 में पूरा हुआ।
ये 7.92 मेगावाट का था और सन 1938 तक इसकी क्षमता बढ़कर 47 मेगावाट हो गई थी।
इसका ठेका अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी को दिया गया था।
शिप से टरबाइन और अन्य साजो-सामान आये।
फिर उन्हें सैकड़ों हाथियों पर लादकर साईट तक ले जाया गया था।
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3.-सन 1940 में मैसूर दरबार ने शिम्सपुरा हाइड्रो पॉवर स्टेशन बनाया, जिसकी क्षमता 17.2 मेगावाट थी और इसको भी कावेरी नदी पर बनाया गया था।
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4.-आजादी तक भारत में कुल 300 छोटे -बड़े पॉवर प्रोजेक्ट कार्यरत थे, जिनमें कई कोयला आधारित थर्मल प्रोजेक्ट भी थे।
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5.-दोराबजी टाटा ने सन 1910 में ही टाटा पावर नामक कम्पनी बनाई थी और पश्चिमी घाट पर तीन बड़े हाइड्रो स्टेशन बनाये।
दोराबजी ने टाटा पॉवर द्वारा 1915 में महाराष्ट्र के खोपोली में 40 मेगावाट का विशाल पावर प्रोजेक्ट बनाया।
इसके बाद 1922-25 में भिवपुरी में 48 मेगावाट और 1927 में भीरा में 90 मेगावाट का प्रोजेक्ट हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट लगाया।
टाटा पावर 1947 तक भारत में 23 बड़े पॉवर प्रोजेक्ट बना चुकी थी और बम्बई, दिल्ली और कोलकाता में इलेक्ट्रिक डिस्ट्रीब्यूशन नेट्वर्क बना चुकी थी।


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6.-भारत के हैदराबाद, बीकानेर, जोधपुर, बडौदा, ग्वालियर सहित तमाम रियासतों ने अपने राज्यों में कई पॉवर प्रोजेक्ट बनवाये थे।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सन 1947 तक चीन, भारत से पॉवर, रेल, सडक तथा सेना आदि तमाम क्षमताओं में काफी पीछे था।
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7.-अंग्रेजों ने नेहरू सरकार को चाय और काॅफी के विशाल बगान बनाकर दिए थे।
उन बागानों तक जो काफी दुर्गम पहाड़ों पर थे, वहां अंग्रेजों ने सिंचाई, रेल, सड़क आदि इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किये थे।
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8.-अंग्रेजों ने नेहरू सरकार को बीस विशाल बंदरगाह और 23 एयरपोर्ट बनाकर दिए थे।
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9.-भारत के हर इलाके में आधुनिक यूनिवर्सिटी और कॉलेज खोले।
मद्रास, दिल्ली, मुंबई, कराची में सेंट स्टीफन कॉलेज, सियालकोट में कॉलेज, अजमेर में मेयो कॉलेज सहित पूरे भारत में 350 कॉलेज और 23 यूनिवर्सिटी अंग्रेजों ने नेहरू सरकार को दी थी।
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ऽ सेरामपोर कॉलेज, हावड़ा – 1818
कैरे, मार्शमैन और वॉर्ड ने स्थापित किया
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ऽ आई आई टी रूड़की- 1847
ऽ अंग्रेजों के शासन काल में यह पहला इंजीनियरिंग कॉलेज था
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10- मुंबई यूनिवर्सिटी- 1857
ऽ मद्रास यूनिवर्सिटी- 1857
ऽ कलकत्ता यूनिवर्सिटी- 1857.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी – 1875.
( एंग्लो मुहम्मद ओरियंटल कॉलेज नाम था, जिसे सर सैयद अहमद खांन ने स्थापित किया था।)
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इलाहाबाद यूनिवर्सिटी -1887
यह कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास के बाद चैथी यूनिवर्सिटी थी।
इसकी स्थापना का श्रेय सर विलियम मूर को जाता है।
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ऽ पंजाब विश्वविद्यालय – 1882
ऽ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय -1916,
यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर -1916,
पटना यूनिवर्सिटी,
नागपुर यूनिवर्सिटी,
काशी विद्यापीठ सहित 49 बड़े विश्वविद्यालय थे।
1947 तक भारत शिक्षा संस्थानों में तीसरे नम्बर पर था।
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11.-अंग्रेजों ने नेहरू को विशाल सेना दी थी।
ब्रिटिश इंडियन आर्मी 1895 में स्थापित हुई थी।
अंग्रेज आठ कमांड बनाकर गये थे, जिसमें 2 पाकिस्तान में चले गये।
ब्रिटिश इंडियन आर्मी प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में बहादुरी से लड़ी थी।
अंग्रजों ने नेहरू को 45 सैनिक छावनियां और विशाल रॉयल एयरफोर्स दी थी।
भारत विश्व में तीसरा देश था जिसने वायुसेना बनाई।
यानी चीन से पहले ही अंग्रेजों ने भारत को विशाल और आधुनिक वायुसेना बनाकर दी थी।
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12.-भारत का विशाल रेल नेटवर्क अंग्रेजों की देन है।
आज देश में जितना भी रेलवे नेटवर्क है, उसका 67 प्रतिशत वर्ष 1947 तक बन चुका था।
13.-
अंग्रेजों ने विशाल नदियों पर पुल बनाये, दुर्गम पहाड़ों को काटकर रेल लाइन बनाई।
भारत एशिया का पहला देश है जहां रेल चली।
भारत में 1853 में रेल चली, जबकि इसके 30 साल बाद चीन में रेल चली।
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14.-भारत में पहली लिफ्ट ओटिस कम्पनी ने 1890 में मैसूर पैलेस में लगाई थी।
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15.-भारत में विशाल चाय बागान और सागौन की लकड़ी के बागान लगाने वाली कम्पनी पारसी वाडिया खानदान की थी, जिसका नाम था बाम्बे बर्मा ट्रेडिंग कम्पनी लिमिटेड है, ये कम्पनी 1863 में बनी थी और एशिया की बड़ी कम्पनी थी।
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1865……इलाहाबाद बैंक
1892 -ब्रिटेनिया इंडस्ट्रीज
1895- पी एन बी बैंक
1897 -सेंच्यूरी टेक्सटाइल
1897-गोदरेज
1899-कलकत्ता बिजली सप्लाई कारपोरेशन
1902-शालीमार पेंट एंड वार्निश कं.
1903-इंडियन होटल्स कं.
1908-बैंक आॅफ बड़ोदा
1911- टी वी एस
1904-कुम्बाकोणम बैंक लिमिटेड
1905-फीनिक्स मिल्स लिमटेड
1906-कनारा बैंक्रिग कार.
1906-बैंक आॅफ इंडिया
1907-एलेम्बिक फार्मा
1907-टाटा स्टील लिमिटेड सहित चार सौ से ज्यादा बड़ी कम्पनियां 1947 में पहले बन चुकी थीं और 80 से ज्यादा बैंक थे।
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यानी चाहे शिक्षा हो या बैंकिंग या इन्फ्रास्ट्रक्चर या रेलवे या ऊर्जा हो, 1947 तक भारत हर फील्ड में टॉप पर था।
फिर भी कांग्रेसी कहते हैं कि नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता हैं।
कांग्रेसी इस तरह से प्रचारित करते हैं जैसे कि 1947 तक भारत एकदम पिछड़ा था।
कोई स्कूल तक नहीं था।
लोग लालटेन युग में जीते थे, फिर नेहरू आये और मात्र 10-12 सालों में भारत को आधुनिक बना दिया।…
झूठ के महासागर से बाहर निकलो और सत्य को स्वीकारो
आओ असली इतिहास पढ़ें।

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