कौशल सिखौला : 76 सालों में ऐसा कभी देखा न सुना प्रधानमंत्री के निवास पर.. उनका नेरेटिव साफ साफ है..
2024 के चुनाव का नेरेटिव सैट हो रहा है । स्थायित्व अथवा खिचड़ी ? जातपात चलने वाली नहीं , धर्म मजहब की राजनीति के जमाने गुजर चुके हैं । तो फिर जो सड़ गया है , उस पर काम क्या करना । उसकी चर्चा की जरूरत नहीं । और हां , अतीत में चौकीदार चोर है और चायवाला जैसे नारे खूब चले थे । काम उनके आए जिन्हें फ्लॉप करने के लिए लाए गए थे । पिट वे गए थे जो फेंकू और जुमला जुमला कहकर चिल्ला रहे थे । याद कर लीजिए 2014 या 2019 को । उन्हें पहली बार से ज्यादा दूसरी बार मिले । तो फिर क्या होगा तीसरी बार ? भाई वही होगा जो उसने रच डाला । वही होगा जो मंजूरे खुदा होगा।
आज वर्ष का आखिरी दिन है । तो बीते हुए से शुरुआत कर रहे हैं । नए वर्ष की बात कल करेंगे । परंतु एक बात साफ साफ बता दें । नए वर्ष का नेरेटिव शायद इस वर्ष पहले ही अयोध्या में सैट हो चुका है । इस नेरेटिव ने एक तरह से एजेंडा भी सैट कर दिया है । ढूंढ लीजिए , जितनी काट ढूंढ सकते हैं । अयोध्या से भारी कुछ ला सकते हैं तो ले आइए ।क्या कहा ! मानेंगे नहीं , मानना चाहिए भी नहीं । नेगेटिव राजनीति बासी पड़ गई है । तो आइए , कुछ नया लाइए । राम से भी भारी कुछ है किसी के पास ? जी हां इंडिया वाले दोस्तों , उनके पास अनेक उपलब्धियां हैं । उनके पास अयोध्या है और राम हैं ।
तो आपके पास क्या है ? उन्हें महंगाई , बेरोजगारी , गरीबी आदि के लिए कोसते हैं तो ठीक है , कोई बात नहीं । पर आप भी तो बताइए कि आपके पास क्या है ? क्या कोरी नफरत ? क्या केवल और केवल हिन्दुत्व से चिढ़ ? कौनसा एजेंडा है ? आप पार्टी की नकल करते हुए फ्री फ्री के सिवाय ? कुछ ठोस हो तो जनता को बताइए ? सोशल मीडिया पर आईटी सैल के सहारे काम नहीं चलेगा । आप आए तो कैसे मिटाएंगे बेरोजगारी , कैसे देंगे कारोबार ? जनता को बताइए ? आप तो अडानी पर अटक गए ? कोरी नफरत से तो मिलना कठिन है 2024 ? याद रखिए 2014 में भी यही नफरत थी , 2019 में भी यही नफरत थी । तो कुछ मिला ? या कोरे ही रह गए ?
देखिए मित्रों , आपने अयोध्या में राम को नकारा वे राम को मंदिर में ले आए । आप तो काशी और मथुरा में भी शिव को नकारते आए हैं । मत नकारिए किसी को । आपने राम के अस्तित्व को नकारा क्या मिला ? आपने राम सेतु को नकारा ? आपने कोर्ट में खड़े होकर मंदिर का विरोध किया ? यही न ! आप जो जो नकारते गए , वे स्वीकारते गए । जनता उन्हें स्वीकारती गई , आप की जाति जाति को नकारती गई , हिन्दुत्व को स्वीकारती गई । अभी भी वक्त है । उनका नेरेटिव साफ साफ है , आप भी साफ साफ पर आइए । देखिए 2023 गुजर रहा है 2024 दरवाजे पर दस्तक दे रहा है । एजेंडा बताइए , समय नहीं बचा है ।