गीता गवर्नेंस व्यवस्था के चलते भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन के पार -उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्घाटन किया।
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र के पावन ब्रह्मसरोवर पर उपराष्ट्रपति ने महापूजन और महाआरती में भाग लिया।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने इतनी पीड़ा कभी नहीं देखी है जो आज देख रही-उपराष्ट्रपति
दुनिया में दो बड़े टकराव चल रहे हैं, हम ज्वालामुखी के ढेर पर बैठे हैं-उपराष्ट्रपति
गीता का ज्ञान आज पहले से भी अधिक प्रासंगिक है – गीता संगोष्ठी में बोले उपराष्ट्रपति
भारत का वर्तमान शासन गीता गवर्नेंस है -उपराष्ट्रपति
गीता गवर्नेंस व्यवस्था के चलते भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन के पार -उपराष्ट्रपति
भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति होंगा -उपराष्ट्रपति
प्रधानमंत्री ने वसुधैव कुटुंबकम को दुनिया के पटल पर रखा- उपराष्ट्रपति
प्रधानमंत्री ने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का सदस्य बनवाया, यह गीत का समावेशी आदर्श- उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय गीता संगोष्ठी व गीता महोत्सव का उद्घाटन किया। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित 8वीं अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि
दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया ने इतनी पीड़ा कभी नहीं देखी जितनी आज देख रही है, आज हम ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठे हैं, एक तरफ़ इसराइल और हमास का युद्ध तथा दूसरी तरफ यूक्रेन और रूस का युद्ध है।
इस संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने कहा गीता की फिलॉसफी जितनी प्रासंगिक आज है उतनी इससे पहले कभी नहीं थी। उन्होंने आगे कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने बातचीत के माध्यम से युद्ध को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की बात कही थी, उन्होंने यह भी कहा कि हम एक विस्तारवादी काल में नहीं रह रहे हैं। प्रधानमंत्री जी की यह सलाह गीता के दर्शन पर आधारित है। भारत का संविधान गीता के दर्शन पर आधारित है, गीता हमें एकता का पाठ पढ़ाती है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत वर्ष की वर्तमान शासन व्यवस्था को गीता गवर्नेंस कहा जा सकता है क्योंकि यह समावेशी है, सबका साथ सबका विकास में विश्वास रखता है और सबको कानून की नजर में बराबर रखता है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आज धर्म के मार्ग पर चलकर अपना काम कर रहे हैं जैसाकि भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान देते हुए कहा था, प्रधानमंत्री आज इसी पथ का अनुसरण कर रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज देश में कानून का शासन है कानून से ऊपर कोई नहीं है यदि आपको कानून का नोटिस मिले तो सड़क पर उतरने की अपेक्षा आप कानून का पालन करें कोई कितना भी बड़ा क्यों हो कानून सबसे ऊपर है। प्रधानमंत्री जी ने भारत के पूर्वी भाग को अभूतपूर्व रूप से विकसित किया।
उपराष्ट्रपति ने बढ़ती हुई तकनीकी सुविधाओं का जिक्र करते हुए कहा आप लोगों को बदलता हुआ भारत नजर आ रहा होगा, बिजली का बिल जमा करने, रेलवे की टिकट, पानी का बिल जमा करने के लिए, पासपोर्ट लेने के लिए लंबी लाइन लगती थी, आज आपको सुविधाओं का लाभ सीधा मिलता है, शासन को पारदर्शी बनाया गया है।
कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में उपराष्ट्रपति ने भारत की उपलब्धियों के संदर्भ में एक दृष्टिहीन बृद्ध महिला की कहानी सुनाई जिससे भगवान ने एक वरदान मांगने को कहा और बदले में उसने भववान से सोने की थाली में पोते का मुख देखने का वरदान मांग लिया था, उन्होने कहा आज भारत की वही स्थिति है।
उपराष्ट्रपति ने भारत की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि आज दुनिया में भारत का डंका बज रहा है, हमारे यहां जितना डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है वह अमेरिका, यूके, फ्रांस और जर्मनी के ट्रांजेक्शन से चार गुना भी अधिक है। उन्होंने कहा हमारी प्रतिभा का तो कोई मुकाबला ही नहीं है। हम टेक्नोलॉजी को सहज ही गृहण करते हैं।
अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत वह पहला देश है जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारा और भारत ऐसा करिश्मा करने वाला पहला देश है, अब वहां शिव शक्ति पॉइंट भी है और तिरंगा पॉइंट भी है।
उपराष्ट्रपति ने जी-20 के सफल आयोजन का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा जी-20 आयोजन साधारण जी-20 नहीं था, भारत के प्रधानमंत्री ने बहुत बड़ा कदम उठाया और वसुधैव कुटुंबकम को दुनिया के पटल पर रखा, हमारे जी-20 की थीम – “एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य” थी, जो पूरी तरह से गीता के दर्शन पर आधारित है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि जब 130 करोड़ से ज्यादा जनता कोविड़ की चुनौती का सामना कर रही थी, उस समय भी भारत ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श को सामने रखते हुए दुनिया के 100 देशों को वैक्सीन भेजकर मदद की, यही गीता का सार है। गीता के समावेशी दर्शन और वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श वाक्य को आत्मसात करते हुए प्रधानमंत्री ने अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का सदस्य बनवाया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत दुनिया के गिने चुने देश में है जो क्वांटम कंप्यूटिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में बहुत तीव्रता से कम कर रहा है। भारत सिक्स जी और मशीन लर्निंग के क्षेत्र में भी बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैंने स्वयं देखा है 1989-90 में देश का क्या हाल था! मैं केंद्र में मंत्री था तब और सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश को अपना सोना हवाई जहाज से भेजकर स्विट्जरलैंड के दो बैंकों में गिरवी रखना पड़ा था और आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर से ज्यादा है। उन्होंने कहा यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि गत वर्षो से हमारी जो शासन व्यवस्था है उसको आप गीता गवर्नेंस कह सकते हो।
अंत में उपराष्ट्रपति ने लोगों से राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखनने का आग्रह किया, भारत का हित सर्वोपरि रखें है, भारतीयता में अटूट विश्वास रखें, उन्होंने कहा कि हमें भारतीय होने पर गर्व करना चाहिए, हमें अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियां पर गर्व करना चाहिए, भारत का अमृत कल आज गौरव कल बन गया है।
इस अवसर पर डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़, हरियाणा के मुख्य मंत्री श्री मनोहर लाल, असम सरकार के संस्कृति मंत्री, कुरुक्षेत्र के सांसद, परम पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्राचार्य, संकाय सदस्य, अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के आयोजक, देश विदेश से पधारे अनेक गीता प्रेमी, एवं कई अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।