पंकज झा : जाति की राजनीति का जवाब धर्म की राजनीति है

मैंने जो कहा है कि जाति की राजनीति का जवाब धर्म की राजनीति है, उसका आधार है। निराधार नहीं कहा है। बताता हूं कैसे।

श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का परम साफल्य तो अब जा कर मिला है, जब भव्यतम मंदिर का निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है।

किंतु आपको पता है कि उस आंदोलन का एक अनपेक्षित लाभ समाज को उसी जमाने में मिल गया था। आडवाणी जी इस बात का वर्णन करते रहे हैं। जहां तक स्मरण है मुझे, लिखा भी है उन्होंने शायद।

बात तभी की है जब लालजी निकल पड़े थे सोमनाथ से रथयात्रा लेकर अयोध्याजी की तरफ। मोदीजी को सारथी बनाते हुए। यह वही समय था जब समूचा देश विशेष कर जातिवादी बिहार जल रहा था जाति की आग में। कारण पिछड़ा आरक्षण लागू किया जाना तो था ही, साथ ही पहले से भी वह माओवादी जातिवादी आग में जल रहा था। लालू जैसे तब अपने चरम पर थे। जाहिर है जातिगत विद्वेष की पराकाष्ठा थी।

उस समय के बिहार के किसी इलाक़े का जिक्र करते हुए आडवाणी जी ने कहा था कि गैंगवार की स्थिति थी वहां दो जातियों में, तलवारें निकल गयीं थी। जल रहा था इलाका। कब लाशें गिर जाय उसका भरोसा नहीं था।

ऐसे तनावपूर्ण माहौल में उधर से श्रीराम रथ यात्रा निकली, और फिर सभी जातियां यादव, भूमिहार होना छोड़ कर ‘हिंदू’ बन गयी। लाल सलाम वाले भी और जय रणवीर वाले भी… सभी जय श्रीराम करने लग गये थे।

इसीलिए कहता हूं। जाति और अधर्म के खिलाफ एकमात्र विकल्प है धर्म की राजनीति। धर्म को राजनीति का आधार बनाइये, दोगले और पतित सभी परास्त होते जायेंगे। फिर चारा खाने वाले भी बेचारा होते जायेंगे।

आइये अधर्म की राजनीति को तिलांजलि दें। धर्म वाली राजनीति करें।

जय सियाराम।

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