सुमंत विद्वन्श : क्या बिंदी लगाने से प्रदूषण फैलता है? तिलक लगाने से? मंगलसूत्र से?

साल भर प्रदूषण फैलायेंगे, नदियों पहाड़ों मैदान रेगिस्तान सभी को प्रदूषित करेंगे लेकिन ज्ञान दीपावली के पटाखों पर देंगें, हर हिन्दू त्यौहार पर आदेश पारित करने को तत्पर बैठे रहेंगे, क्या कोई मोटा आदमी एक दिन में दुबला हो सकता है? इसी तरह एक दिन में प्रदूषण कैसे फैल सकता है, हिन्दू अस्मिता पर प्रहार बंद होना चाहिए।

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आजकल ऐसा लग रहा है कि दुनिया में प्रदूषण की सारी समस्याओं का एकमात्र कारण केवल दीपावली के पटाखे ही हैं।

कृपया इस बात को समझिए कि बात प्रदूषण की नहीं है। पटाखों को बन्द करवाने के लिए प्रदूषण केवल एक बहाना है। क्या बिंदी लगाने से प्रदूषण फैलता है? तिलक लगाने से? मंगलसूत्र से? आभूषणों से? मिठाइयों से? दीपक जलाने से? बिजली की झालर से? पूजा करने से? कोशिश तो धीरे धीरे इन सबको खत्म करने की भी हो रही है।

उनको समस्या पटाखों के शोर से नहीं है, समस्या आपके और मेरे अस्तित्व और मान्यताओं से है। वास्तव में उन्हें आपत्ति इस बात से है कि धूमधाम से दीवाली मनाने वाले, मूर्ति की पूजा करने वाले, मिठाइयां बांटने वाले और पटाखे फोड़ने वाले लोग आज भी इस धरती पर मौजूद हैं।

4 जुलाई को अमरीका के स्वतंत्रता दिवस पर कई शहरों में धूमधाम से आतिशबाजी होती है, 31 दिसंबर की आधी रात को पूरी दुनिया में नववर्ष के स्वागत के लिए आतिशबाजी होती है, भारत में बारातों में और क्रिकेट मैच में हार के बाद भी खूब आतिशबाजी होती है। मैंने इनमें से किसी भी अवसर पर प्रदूषण, शोरगुल और स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में लेक्चर देते हुए किसी को नहीं सुना।

मैंने बचपन में बहुत पटाखे फोड़े हैं। बचपन बीतने के बाद बंद कर दिए, लेकिन मैं इस बात से बिलकुल सहमत नहीं हूं कि इन पर रोक लगा दी जाए। यह मनमानी नहीं चल सकती कि जो आपको पसंद नहीं है, उस हर बात पर रोक लगा दी जाए। दूसरे लोग भी आपकी ऐसी बहुत सी बातों को बर्दाश्त करते हैं, जो उन्हें पसंद नहीं हैं। आपको भी करना पड़ेगा। देश किसी की जागीर नहीं है। मोदी सरकार हो या कोई भी राज्य सरकार हो, जो भी किसी की धर्म, आस्था, परंपरा, संस्कृति पर हमला करे, वह गलत है।

जिन बुद्धिवादियों को लगता है कि शास्त्रों में पटाखों का कोई उल्लेख नहीं है, वे मुझे बताएं कि शास्त्रों में जिन सैकड़ों अन्य बातों का उल्लेख है, उनमें से कितनी बातों का आप पालन करते हैं? आपको जो नहीं करना है, मत कीजिए। दूसरे को क्या करना है, वो तय करने वाले आप कौन हैं? इसलिए कृपया अपनी मूर्खताओं का सार्वजनिक प्रदर्शन न करें। सादर!

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