सुरेंद्र किशोर : आपराधिक कानून के ढांचे में व्यापक परिवर्तन का केंद्र सरकार का निर्णय
केंद्र सरकार देश के आपराधिक कानून के ढांचे में व्यापक परिवर्तन करने जा रही है।
उसके लिए भारतीय दंड संहिता,1860,सीआर.पी.सी.,1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम,1872 को आज की जरूरतों व लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप ढालने का प्रस्ताव है।
जानकार सूत्रों के अनुसार सभी नागरिकों, विशेषकर कमजोर वर्ग को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है।इसी दिशा में यह एक ठोस कदम है।
इसे कार्य रूप देने के लिए देश में बड़े पैमाने पर विचार -विमर्श की योजना है।
केंद्र सरकार ने देश के प्रमुख संबंधित लोगों से सुझाव आमंत्रित किए हैं।
यानी, किस तरह का परिवर्तन हो,वे उसका सुझाव देंगे।
याद रहे कि अंग्रेजों के जमाने के इन कानूनों में परिवर्तन की मांग बहुत दिनों से की जाती रही है।
यदि कानूनों में सचमुच जरूरत के अनुरूप व्यापक परिवर्तन हो सका तो वह ऐतिहासिक कदम होगा।
उसका क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम पर सकारात्मक असर होगा।
इस परिवर्तन को लेकर देश की जिन हस्तियों के सुझाव केंद्र सरकार ने मांगे हैं,उनमें न्यायाधीश,मुख्य मंत्री,विधि विशेषज्ञ,सांसद और अन्य प्रमुख लोग शामिल हैं।
याद रहे कि वकील अश्विनी उपाध्याय ने इस संबंध में गत साल सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी।
याचिका में अदालत से यह मांग की गई थी कि वह ब्रिटिशकालीन कानूनों को बदलने के लिए उपाय करने को केंद्र सरकार को निदेश दे।
पता नहीं,उस याचिका का क्या हश्र हुआ।
किंतु इस बीच यह खबर आई कि केंद्र सरकार ने ऐसी पहल की है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे।
