सुरेंद्र किशोर : मामला नीतीश-नायडु पर डोरे डालने का !!
2009 में राहुल गांधी ने कहा था कि
‘‘सी.बी.आई.पर हर पार्टी दबाव बनाती है।’’
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उन्हीं दिनों कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने
एक मुख्य मंत्री को धमकाते हुए कहा था कि ‘‘हमारे पास भी सी.बी.आई.है।’’
5 मई 2009 को कांग्रेस के महा सचिव राहुल गांधी ने कहा था कि सी.बी.आई.पर हर पार्टी दबाव बनाती है।
उन दिनों केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी।
उन्हीं दिनों बोफोर्स दलाली मामले के प्रमुख अभियुक्त ओक्टोवियो क्वात्रोचि को सी.बी.आई.ने क्लीन चिट दे दी थी।
उनका नाम मोस्ट वांटेड लोगों की सूची से हटा दिया गया था।
उसी के मद्देनजर संवाददाताओं नें राहुल गांधी से सवाल पूछा था।
जवाब में राहुल ने यह बात कही थी।
उन्हीं दिनों कांग्रेस के महा सचिव दिग्विजय सिंह ने यू.पी.की मुख्य मंत्री मायावती और उनकी सरकार को धमकाने के अंदाज में कहा था कि ‘‘हमारे पास भी सी.बी.आई.है।’’
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की ऐसी मानसिकता की पृष्ठभूमि में अब ताजा राजनीतिक घटनाओं पर गौर करें।
खबर है कि कांग्रेस पार्टी और
इंडी गठबंधन के नेतागण, राजग के नीतीश कुमार और चंद्र बाबू नायडु आदि को मिलाकर केंद्र में इंडी गठबंधन की सरकार बनाने की कोशिश कर रहे हंै।
कल्पना कीजिए कि वे इस काम में सफल हो जाएं।
फिर क्या होगा ?
इंडी गठबंधन के प्रधान मंत्री पर यह दबाव बनाया जाएगा कि
इंडी गठबंधन के जिन दर्जनों छोटे -बड़े नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों ने केस दायर कर रखा है,उन मुकदमों को रफा-दफा कर दिया जाये।
इंडी गठबंधन का मानना है कि वे मुकदमे राजनीतिक बदले की भावना से शुरू किये गये हैं।उन पर आरोप गलत हैं।
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फिर क्या होगा ?
एक काल्पनिक स्थिति की कल्पना कीजिए।
यदि मनमोहन सिंह की तरह के कोई प्रधान मंत्री बनेंगे तब तो यह काम पहले ही दिन से शुरू हो जाएगा।
लेकिन कहीं चरण सिंह,चंद्र शेखर,नीतीश कुमार या चंद्र बाबू नायडु जैसे नेता पी.एम.बने तो क्या होगा ?
चंद्र बाबू के बारे में मेरा कोई पूर्वानुमान नहीं है।किंतु नीतीश कुमार के बारे में यह कह सकता हूं कि अत्यंत थोड़े से अपवादों को छोड़कर उनका इतिहास है कि वे न तो किसी को फंसाते हैं और न बचाते हैं।
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ऐसे में नीतीश कुमार के पी.एम.बनने पर चरण सिंह-चंद्रशेखर की कहानी दुहरायी जा सकती है।
इंदिरा गांधी ने चरण सिंह को सन 1979 में बाहर से समर्थन देकर प्रधान मंत्री बनवाया।
उन्हें संदेश भिजवाया कि संजय गांधी के खिलाफ जारी मुकदमों को उठा लिया जाये।
चैधरी ने यह बात मानने की जगह पी.एम.पद से इस्तीफा दे दिया।
वी.पी.सिंह सरकार के पतन के बाद राजीव गांधी ने चंद्रशेखर को प्रधान मंत्री बनवाया।
संदेश भेजा कि बोफोर्स मामले को रफादफा कर दिया जाये।चंद्रशेखर ने यह काम करने के बदले पी.एम.पद से इस्तीफा दे दिया।
राजीव को जब अपनी गलती महसूस हुई तो उन्होंने चंद्रशेखर को संदेश भेजा कि इस्तीफा वापस ले लीजिए।अब आप पर किसी मामले को लेकर कोई दबाव नहीं रहेगा।चंद्रशेखर ने कहवा दिया कि पी.एम.के पद को मजाक का विषय मत बनाइए।इस्तीफा वापस नहीं लूंगा।
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अब इस पृष्ठभूमि में आप आज की राजनीतिक गतिविधियों पर
गौर कीजिए।
वैसे जदयू के प्रवक्ता के.सी त्यागी ने कल ही यह साफ- साफ कह दिया है कि नीतीश कुमार राजग नहीं छोड़ेंगे।