सुरेंद्र किशोर : 1977 की मोरारजी सरकार वाली शराबबंदी में मेडिकल आधार पर कुछ लोगों को शराब पीने की छूट थी, वह छूट नीतीश सरकार में नहीं है

आपातकाल (1975-77) में भूमिगत कर्पूरी ठाकुर ने आचार्य विनोबा भावे को कई पत्र लिखे थे।
उनमें से एक पत्र का एक अंश यहां पेश है जो आज के बिहार के लिए प्रासंगिक है–
‘‘नशाबंदी अभियान हमारे राष्ट्रीय आंदोलन के कार्यक्रमों का एक अभिन्न अंग था–सन 1920 से सन 1947 तक।
हजारों -लाखों लोग इसके लिए सिर्फ जेल ही नहीं गए थे ,बल्कि लोगों ने लाठियांे और गोलियांें का भी सामना किया था।’’
–कर्पूरी ठाकुर
15 सितंबर 1976
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सन 1977 में प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई ने पूरे देश में चरण बद्ध ढंग से शराबबंदी लागू की थी।
उसे चार साल में पूरा करना था।
प्रत्येक वर्ष एक चैथाई शराब दुकानों को बंद करना था।
तब कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्य मंत्री थे।उन्होंने भी तहे दिल से देसाई सरकार की इस योजना को बिहार में लागू
किया।
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उसी बीच प्रधान मंत्री देसाई पटना आए थे।राज भवन में उनका प्रेस कंाफ्रेंस था।दैनिक ‘आज’ के संवाददाता के रूप में
मैं भी उस पत्रकार सम्मेलन में मौजूद था।
एक वरिष्ठ संवाददाता ने प्रधान मंत्री से सवाल पूछा-
‘‘देश भर में पूर्ण शराबबंदी कितने साल में आप
लागू कर देंगे ?’’
हाजिर जवाब मोरारजी भाई ने कहा कि ‘‘मैं तो एक ही साल में लागू कर दूं।पर,तुम लोग(यानी पत्रकार समूह)ही इसके खिलाफ हो।’’
इस पर पूरा हाॅल ठहाकों से गूंज उठा।क्योंकि जिस संवाददाता ने सवाल पूछा था,वह अन्य लोगों की अपेक्षा कुछ अधिक ही ‘पीता’ था।
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बिहार में जारी आज की शराबबंदी और मोरारजी की शराबबंदी में एक फर्क था।
तब मेडिकल ग्राउंड पर कुछ लोगों को शराब पीने की छूट मिलती थी। आज नीतीश सरकार में वह छूट नहीं है।
छूट होनी चाहिए थी।उससे समाज के प्रभावशाली लोगों की शराबबंदी के खिलाफ ‘बोलती’ बंद हो जाती।
आज तो वैसे प्रभावशाली लोग छिप -छिप कर पीते भी हैं और साथ ही शराबंदी के लिए बिहार सरकार को कोसते भी हैं।इस मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाते हैं।
मेडिकल आधार पर ऐसी छूट आज भी दी जा सकती है।इससे बिहार की राजग सरकार को थोड़ा चुनावी लाभ मिल सकता है।
ऐसी मांग के कारण कोई मुझे गलत न समझे।मैं अपने लिए छूट नहीं मांग रहा हूं।क्योंकि मैं शराब नहीं पीता।मैं तो उसका स्वाद भी नहीं जानता।
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बिहार की शराबबंदी का फायदा महिलाओं के साथ-साथ अपेक्षाकृत गरीब घर के युवकों को भी हुआ है।इस संबंध में मेरी व्यक्तिगत जानकारी भी है।
अब अमीर घर के लड़के अपने अपेक्षाकृत गरीब दोस्त को बुला कर शराब नहीं पिलाते।क्योंकि चोरी -छिपे शराब पहुंचाने वालों ने शराब की कीमत बहुत अधिक बढ़ा दी है।क्योंकि इस धंधे में पुलिसिया नजराना बढ़ गया है।

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