सुरेंद्र किशोर : नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज.. दो या तीन बार मतदान नहीं करने वालों का मताधिकार समाप्त..

लगातार दो या तीन बार मतदान नहीं करने
वालों का मताधिकार समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
वोट बैंक की राजनीति की समाप्ति के लिए यह कदम आवश्यक।
कानून के जरिए मतदान अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

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लगातार दो या तीन चुनावों में मतदान नहीं करने वालों का मताधिकार छीन लिया जाना चाहिए।
इटली और आॅस्ट्रेलिया में मतदान अनिवार्य है।
कुछ देशों में मतदान न करने वालों पर जुर्माने का प्रावधान है।
पर,अपना देश गरीब लोगों का है,इसलिए यहां जुर्माना ठीक नहीं रहेगा।
हां,कुछ सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जा सकता है।
गुजरात में स्थानीय चुनावों में मतदान अनिवार्य है।
ऐसी कोशिश मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी ने दो बार की थी।
किंतु तत्कालीन राज्यपाल कमला बेनीवाल ने उस विधेयक पर
अपनी सहमति नहीं दी।दोनों बार वापस कर दिया।
पर,नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद गुजरात विधान सभा ने जब तीसरी बार वह विधेयक पास करके भेजा जो राज्यपाल ओ.पी.कोहली ने उस पर अपनी स्वीकृति दे दी।
यानी, अनिवार्य मतदान नरेंद्र मोदी के दिमाग की उपज थी।
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अब जब मोदी जी खुद प्रधान मंत्री हैं तो जब अन्य कामों से उन्हें मौका मिले तो वे संसद से ऐसा कानून पास करवाएं।
इस बार नहीं तो अगली बार।
याद रहे कि मोदी बड़े -बड़े कामों में लगे हुए हैं।
वैसे यह भी एक बड़ा काम ही है।
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अनिवार्य वोटिंग से राजनीति की गंदगी थोड़ी घटेगी।
वोट बैंक के सौदागरों के व्यापार पर चोट पहुंचेगी।
कम वोटिंग यानी जातीय व सांप्रदायिक वोट बैंक के आधार पर राजनीति करने वालों की चांदी।
1952 के आम चुनाव में देश में करीब
45 प्रतिशत मतदान हुए थे।
2019 के लोक सभा चुनाव में औसतन 67 प्रतिशत मतदान हुए।
यदि 90 प्रतिशत मतदान होने लगे तो 15 -20 प्रतिशत वोट बैंक वाले दल या नेता चुनाव में निर्णायक नहीं हो पाएंगे।जातीय व सांप्रदायिक वोट
बैंक के सौदागर राजनीति को किस तरह दूषित करते रहते हैं,यह किसी से छिपा हुआ नहीं है।
वोट बैंक की राजनीति ने देश को अब तक बहुत नुकसान पहुंचाया है।
यह अकारण नहीं है कि कांग्रेसनीत मनमोहन सिंह शासन काल वाली राज्यपाल बेनीवाल ने गुजरात के उस विधेयक पर अपनी सहमति नहीं दी थी।वोट बैंक की राजनीति पहले कांग्रेस ने ही शुरू की थी।बाद में अन्य अनेक दलों ने अपनाया।

याद रहे कि इस देश का सुप्रीम कोर्ट भी अनिवार्य मतदान के पक्ष में अपनी राय व्यक्त कर चुका है।

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