पंकज झा : विदेशों में श्वेत चावल निर्यात का काला सच..?

आपको पता है, विदेशी इसलिए हमारा धान नहीं खरीदते क्योंकि वे उसे उपजा नहीं सकते। वे इसलिए हमसे लेते हैं धान ताकि अपने वहां का पानी वे बचा सकें। वे परोक्ष रूप से हमसे करोड़ों लीटर पानी मिट्टी के मोल खरीदते हैं धान के बहाने। यही हाल गन्ने आदि का भी है।
अपने ग्रुप्स में शेयर कीजिए।
एक किलो चावल अगर आप बेचते हैं तो इसका अर्थ होता है आप चार हजार लीटर पानी बाहर भेज रहे हैं।
क्या आप यह जानते हैं कि जापान बस्तर से हमारा ‘आयरन ओर’ माटी के मोल ले जाकर डम्प करते जा रहा है। उसे आज जरूरत ही नहीं है उसकी। कांग्रेस ने घोषित तौर पर मिट्टी से भी कम कीमत पर दशकों के लिए उसे यहां की खदान दिया हुआ है। (इसमें कोई करेक्शन हो तो जानकार मित्र बतायेंगे, आगे एडिट कर लूंगा।)
क्या आपको पता है, महाराष्ट्र के लातुर जैसे क्षेत्रों में, गन्ने की खेती ही अकाल का और फलतः किसानों की आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण है?
क्या आप यह तथ्य जानते हैं कि अमेरिका ने 30 वर्ष की जरूरत के लिए तेल अलग से भंडार करके रखा हुआ है, फिर भी वह लगातार क्रूड आयल आयात करता है। तेल के लिये युद्ध तक करा देता है।
क्या आपको पता है चीनी के साथ-साथ हमारा कपड़ा भी इसलिए लेता है पश्चिम ताकि अपने यहां का मूल्यवान पानी बचा सके? बीफ आदि भी इसलिए आयात करते हैं विकसित देश ताकि खरबों लिटर पानी बचा सकें।
और धान के लिए तो लिखा ही है कि विदेश हमारा चावल इसलिए खरीदता है ताकि अपना पानी बचा सके। एक किलो चावल तैयार होने में 4 हजार लीटर पानी चाहिये होता है।
….……………………….
यहां पढ़ें…
भारत द्वारा चावल निर्यात पर टोक
https://www.google.com/search?q=%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4+%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B2+%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4+%E0%A4%AA%E0%A4%B0+%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%95&client=ms-android-samsung-ga-rev1&sca_esv=577472328&sxsrf=AM9HkKnmwPJHgmb4vvoCIUrVlIQlvWCraQ%3A1698513425312&ei=EUI9Zf_ZErv3seMPvIqz4Ao&oq=%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4+%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B2+%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A4+%E0%A4%AA%E0%A4%B0+%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%95&gs_lp=EhNtb2JpbGUtZ3dzLXdpei1zZXJwIkDgpK3gpL7gpLDgpKQg4KSa4KS-4KS14KSyIOCkqOCkv-CksOCljeCkr-CkvuCkpCDgpKrgpLAg4KSw4KWL4KSVMgUQABiiBDIFEAAYogQyBRAAGKIEMggQABiJBRiiBEjvjQFQxiZYg4UBcAR4AJABAJgBlAKgAdUVqgEEMi0xMrgBA8gBAPgBAcICCBAAGKIEGLADwgIKECMYywQYsAIYJ8ICBxAjGMsEGCfCAgUQIRigAcICBBAhGAriAwQYASBBiAYBkAYF&sclient=mobile-gws-wiz-serp#ip=1

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *