कौशल सिखौला : शिवराज सिंह चौहान नड्डा की जगह राष्ट्रीय अध्यक्ष बन…

विष्णु मोहन और भजन । देखा आपने पार्टी कैसे बड़ी हो जाती है , बड़े बड़े नाम कैसे छोटे हो जाते हैं , छोटे छोटे नाम कैसे बड़े हो जाते हैं ? ऐसे विविध प्रयोग जबरदस्त कैडर बेस पार्टी बीजेपी में ही संभव हैं । अतीत में पुष्कर सिंह धामी , योगी आदित्यनाथ , हेमंत विश्व सरमा , मनोहरलाल खट्टर , भूपेंद्र भाई पटेल, प्रमोद सावंत आदि ऐसे ही मुख्यमंत्री बन चुके हैं , जिनकी कल्पना भी नहीं की गई थी । जाहिर है बीजेपी और उसकी पीठ पर खड़ा संघ नए भारत में नए प्रयोग करना चाहता है।


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-कौशल सिखौला

नया खून आएगा तो नई हवा चलेगी , जाति जाति खेलने वाले नीतीश , लालू , खड़गे , राहुल आदि नेपथ्य में चले जाएंगे । तीनों राज्यों में कांग्रेस जीतती तो सीएम चुनने की जरूरत ही कहां पड़ती । भूपेश बघेल , कमलनाथ और अशोक गहलौत मुख्यमंत्री बन जाते । लेकिन भाजपा में शाह मोदी ने ऐसा खेला कि सीएम , डिप्टी सीएम बनाकर जातियां भी सध गई और रमण सिंह , शिवराज सिंह और वसुंधरा जैसे दिग्गजों को नई परियां खिलाने का रास्ता भी साफ हो गया । साथ ही जिन एकदम नए चेहरों को सीएम और डिप्टी सीएम बनाया गया है , वे 2024 में मोदी को जिताने के लिए कितने जी जान से जुट जाएंगे , सहज कल्पना की जा सकती है।

कोई नहीं बात नहीं , बीजेपी खेलने ही बड़ा लगी है । जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं , उनका कद बढ़ता ही चला गया । वे विश्व लीडर बने और भारत दुनिया की एक आर्थिक शक्ति । विकासशील देश होते हुए भी दुनिया के विकसित राष्ट्र उन्हें अपने समकक्ष बताने लगे , कुछ तो मोदी को खुद से भी बड़ा वैश्विक नेता बताने लगे।

दुर्भाग्य से हमारे देश का विपक्ष देश की उपलब्धियों पर खुश होने की बजाय जलता भुनता सुलगता ही रह गया । नतीजा सामने है । नफरत की आग में झुलसते हुए विपक्ष में इंडिया गठबंधन बनाया , किंतु उसे आज तक भी भुना न सका । अपनी ऐंठबाजी के चलते विपक्ष और कांग्रेस ने व्यक्ति के रूप में मोदी से जितनी नफ़रत की , मोदी उतनी ही उड़ान भरते रहे , विपक्ष उतना ही बौना होता गया।

तीन राज्यों में अपने चेहरे पर चुनाव जीतकर और सीएम पद पर बिल्कुल नए नए चेहरे उतारकर भाजपा ने एक साधारण कार्यकर्ता को सम्मान दिया है । भाजपा प्रयोगधर्मा पार्टी है । हमने देखा है कि शाहनवाज हुसैन , रविशंकर प्रसाद , मुख्तार अब्बास नकवी आदि कितने ही चेहरे भाजपा की सक्रिय राजनीति से बाहर हो गए पर आज तक पार्टी में बने हुए हैं । राजनीति वास्तव में सतत प्रवाह से जिंदा रहती है , ठहराव से नहीं।

विपक्ष के मात खाने का एक कारण ठहराव भी है । देखिए , जेपी नड्डा का अध्यक्षीय कार्यकाल पूरा हो चुका है , वे मार्च तक एक्सटेंशन पर हैं । आश्चर्य मत कीजिएगा यदि कल शिवराज सिंह चौहान नड्डा की जगह राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएं और वसुंधरा अगला लोकसभा चुनाव लड़कर मोदी कैबिनेट में शामिल हो जाएं ! मोदी के आगमन के बाद बीजेपी अपार संभावनाओं वाली पार्टी बन गई है और यह उसकी सबसे बड़ी जीत है।

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