सीएसईबी ने बालको को थमाया नोटिस.. कार्यवाही करने की हिम्मत जुटा पाएंगे, इनका तो लड़ने से पहले ही फूल गया दम…

कोरबा। बालको प्रबंधन के द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य को लेकर  उत्पन्न होने वाले विवाद अक्सर चर्चा का विषय बनें रहे हैं। हालांकि बालको प्रबंधन के द्वारा सदा यही सफाई दी जाती है कि उनके द्वारा किए जा रहे सभी कार्य वैध हैं। बालको विस्तार के लिए निर्मित बैचिंग प्लांट विवादों से लगातार घिरा रहा है।

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निगम प्रशासन की अनुमति का रहस्य?

बालको विस्तार के लिए जिस स्थल पर बैचिंग प्लांट स्थापित किया गया है, वह आरंभ से ही विवादों में रहा। लगभग 7 माह पूर्व नगर पालिक निगम, कोरबा द्वारा कार्यवाही करते हुए इस पर सील लगा दिया गया था।


इसके बाद किन दस्तावेजों के आधार पर निगम प्रशासन के द्वारा बैचिंग प्लांट पुनः प्रचालन के लिए अनुमति दी गई थी , यह भी अपने आप में एक रहस्य है। 31 जुलाई को सीएसईबी प्रबंधन द्वारा बैचिंग प्लांट स्थल को अपने स्वामित्व का बताते हुए नोटिस बालको प्रबंधन को थमा दिया गया है।


छ.रा.वि.उ.कं.मर्या.पूर्व  संभाग-2 के कार्यपालन अभियंता द्वारा बालको प्रबंधन को जारी नोटिस में उल्लेख किया गया है कि  वर्ष 1975-76 से म.प्र.विद्युत मंडल की 200 मेगावाट परियोजना के लिए 99 वर्षों की लीज अवधि के लिए बड़े झाड़ के जंगल के मद की भूमि खसरा नंबर – 486 को  आबंटित किया गया था, जिस पर वर्तमान में  बालको द्वारा बैचिंग प्लांट का निर्माण किया गया है।


28 जुलाई को “वीर छत्तीसगढ़” में प्रकाशित समाचार पर संज्ञान लेते हुए 31 जुलाई को सीएसईबी ने बालको प्रबंधन को नोटिस थमा दिया है।
पढ़ें लिंक…. बालको बैचिंग प्लांट.. CM भूपेश बघेल कल कोरबा आगमन पर देंगे जांच के निर्देश..? बाबा सिंहदेव के सामने नहीं गलेगी किसी की दाल http://veerchhattisgarh.in/?p=14307
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कड़ी कार्यवाही करेगा मंडल प्रबंधन या नोटिस मात्र औपचारिकता ??

जारी किए गए नोटिस के अनुसार जिस स्थान पर बैचिंग प्लांट स्थापित है वह जमीन CSEB पूर्व की है और ऐसे में CSEB पूर्व प्रबंधन के द्वारा भी विगत लगभग 13-14 महीनों से चुप्पी साधे रखना अनेक संदेहों को जन्म देता है जबकि इस आशय के समाचार “वीर  छत्तीसगढ़” में प्रकाशित भी किए गए थे।
प्रश्न यह उठता है कि नोटिस के अनुसार जमीन CSEB पूर्व की है तो क्या अब CSEB प्रबंधन कड़े कदम उठाएगा  या कार्यवाही करने के नाम पर मात्र नोटिस भेजकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली है?

बैचिंग प्लांट स्थापित करने से लेकर अब तक का भूमि  उपयोग का किराया भी सीएसईबी वसूल करने के लिए नोटिस देगा?


उल्लेखनीय है जनवरी 2023 तक नगर पालिक निगम, कोरबा के साकेत भवन से लगभग 1500 मीटर की दूरी पर लगभग लगभग 6 महीनों तक चेकपोस्ट के पास लगभग 400 मीटर की दूरी में फैले बैचिंग प्लांट में लगातार काम चल रहा था लेकिन निगम के संबंधित विभाग के अधिकारियों की आंखें बंद पड़ी हुई थी जबकि बालको में भी निगम का जोन कार्यालय है और लगातार निगम के अधिकारियों का आवागमन बैचिंग प्लांट से मात्र 10 मीटर की दूरी पर लगे सड़क से लगातार बना रहता है। इस पर सील लगाया गया और उसके बाद पुनः स्थिति यथावत…आखिर क्यों???

विस्तार परियोजना के लिए उपयोग किए जा रहे बालको रोड पर स्थित बैचिंग प्लांट को लेकर सीएसईबी ने नोटिस जारी किया है। जारी किए गए नोटिस में चेतावनी देते हुए बैचिंग प्लांट के निर्माण कार्य को जल्द से जल्द बंद व खाली करने को कहा गया है। बिना किसी प्रकार के भूमि आबंटन की किसी प्रक्रिया के बिना बालको प्रबंधन के बैचिंग प्लांट के निर्माण पर आपत्ति जताते हुए सीएसईबी प्रबंधन द्वारा विधिवत प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया गया है।

ऊर्जा विभाग का प्रभार पिछले महीने ही प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बाबा के नाम से प्रसिद्ध टीएस सिंहदेव को मिला है। यह सरगुजा किंग के नाम से प्रसिद्ध टीएस सिंहदेव के नाम का ही प्रभाव है कि ऊर्जा विभाग उनके प्रभार में आने के बाद बालको प्रबंधन के द्वारा CSEB की भूमि पर किए जा रहे अवैध बैचिंग प्लांट के निर्माण कार्य को लेकर नोटिस जारी किया गया है।

बालको प्रबंधन के द्वारा इस प्रकार कार्य किया जाना कोई नई बात नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार “1,200 मेगावाट संयंत्र पर काम रोकने के लिए बाल्को को 11 नोटिस दिए गए थे, जिसमें अंतिम नोटिस 3 अक्टूबर, 2011 को दिया गया था।” लेकिन कंपनी द्वारा एक भी नोटिस का जवाब नहीं दिया।

वनविभाग भी न्यायालय जाकर कार्यवाही करने की जगह लिखता है मात्र प्रेमपत्र

बालको प्रबंधन किसी नोटिस का प्रतिउत्तर देने में कितनी कोताही बरतता है यह तो वनविभाग के द्वारा अब तक लगभग सवा अरब रुपये हो चुके राशि के संदर्भ में लगातार दिए गए नोटिस से भी स्पष्ट हो जाता है। वनविभाग के नोटिस को प्रेमपत्र कहना अधिक उचित होगा। नोटिस बनाम रस्म अदायगी।


वनविभाग के लगभग दर्जन भर नोटिस पर एकाध उत्तर बालको प्रबंधन के द्वारा दिया गया और बदले में वनविभाग के द्वारा किसी तरह की अग्र न्यायालयीन कार्यवाही न करना वस्तुस्थिति को स्पष्ट कर देता है कि गड़बड़ी कहां पर है!


वनविभाग चाहे तो आज भी न्यायालय में लगभग सवा अरब रुपयों की वसूली के लिए प्रकरण दर्ज करा सकता है लेकिन पता नहीं ये कैसा रिश्ता नाता है जो एक कदम भी आगे की कार्यवाही के लिए नहीं उठाए जा रहे हैं।

        वनविभाग का क्या है प्रकरण..यहां link में पढ़ें…
         बालको से 1.22 अरब की वसूली..लेटर नहीं इस मैटर पर आए वनविभाग.. हाईकोर्ट अधिवक्ता अजय राजवाड़े बोले शीघ्र वसूल होगा ऐसे.. तिलस्म टूटेगा “अक्सर” का…?? http://veerchhattisgarh.in/?p=11602
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बड़े झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज भूमि पर अनापत्ति प्रमाण पत्र कौन देगा…?

जानकारों के अनुसार बैचिंग प्लांट की स्थापना जिस स्थान पर की गई है CSEB के रिकॉर्ड में अधिग्रहण के बाद भी बड़े झाड़ के जंगल के रूप जमीन दर्ज है। प्रश्न उठता है कि बड़े झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज भूमि पर किसी तरह के निर्माण कार्य की अनुमति देने की अधिकारिता क्या निगम प्रशासन को है..??? वही पर अगर जमीन CSEB की है तो भी क्या बिना वनविभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए बिना ही सीएसईबी प्रशासन द्वारा अनुमति दिया जाएगा…??
इन बिंदुओ पर जिले भर की निगाहें सीएसईबी प्रशासन की अगली कार्यवाही पर टिकी हुई है। सूत्रों के अनुसार सील करने के पूर्व वैसे भी किसी प्रकार की अनुमति निगम प्रशासन के द्वारा बैचिंग प्लांट के प्रचालन के संबंध में नहीं दी गई थी।

क्या अपने स्वामित्व के हिस्से वाली भूमि पर घेराबंदी की हिम्मत करेगा सीएसईबी प्रशासन

सीएसईबी प्रशासन के पास अपने स्वामित्व वाली भूमि के दस्तावेज हैं, इसके बाद भी विचित्र स्थिति है कि एक सक्षम विभाग अपने ही विभागीय भूमि पर कब्जा नहीं कर पा रहा है? किन बंधनों से CSEB के अधिकारियों की टीम बंधी हुई है?
क्या सीएसईबी प्रबंधन अपने स्वामित्व वाली भूमियों पर घेरेबंदी करेगा, जिससे भविष्य में पुनः विवाद की स्थिति निर्मित न हो..इस पर शासन-प्रशासन सहित जिलेवासियों की दृष्टि टिकी हुई है।
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