बालको.. बैचिंग प्लांट.. करोड़ों ₹ के नुकसान पर CSEB की चुप्पी..? किसके भूस्वामित्व के आधार पर निगम प्रशासन देगा संचालन की अनुमति.. सरकार किसी की हो सिस्टम हमारा है…

कोरबा। बालको प्रबंधन के अधीन ठेका कंपनियों के द्वारा अवैध निर्माण, अवैध कब्जों का निर्माण नियमों को ताक पर रखते हुए अवैध निर्माण, अवैध कब्जों को लेकर लगातार विवाद की स्थितियों का निर्मित होना कोई नई बात नहीं रही है। इसी कड़ी में 31 जनवरी मंगलवार को बालको के अधीन 4 ठेका कंपनियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करते हुए नगर पालिक निगम, कोरबा ने उनके अवैध निर्माण पर ब्रेक लगाते हुए ताला लगाकर नोटिस थमा दिया उसके बाद से निर्माण कार्य बंद होने को लेकर जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या अब अवैध बैचिंग प्लांट के संचालन को निगम प्रशासन द्वारा हरी झंडी दिखाकर वैधता प्रदान कर दी जाएगी ??

हालांकि बालको प्रबंधन में इस कार्यवाही को लेकर हड़कंप मचा हुआ है लेकिन सूत्रों की माने तो प्रबंधन अपनी “मैनेज” करने की क्षमता का भरपूर दोहन करके बैचिंग प्लांट के प्रचालन की अनुमति लेकर ही रहेगा।
प्रश्न कानूनी प्रक्रिया से भी जुड़ा हुआ है इसलिए आशा व्यक्त की जा रही है कि पुनः संचालन को लेकर अनुमति देने के संबंध में निगम प्रशासन अपना गला नही फंसायेगा।

CSEB की है जमीन…!!

सूत्रों के अनुसार जिस जमीन पर अवैध रूप से बैचिंग प्लांट का निर्माण किया गया है, वह जमीन CSEB की है, जिसका अधिग्रहण 60 के दशक में किया जा चुका है लेकिन अधिग्रहण होने के बाद भी राजस्व दस्तावेजों में नामांतरण नहीं किए जाने के कारण उक्त भूमि पर वर्तमान राजस्व रिकार्डों में बड़े झाड़ के जंगल की जमीन दर्शित हो रहा है।

अनुमति के लिए CSEB को दिया गया था आवेदन..

सूत्रों की माने तो बैचिंग प्लांट स्थापित करने के लिए पूर्व में लगभग 8 – 10 माह पहले CSEB को दो बार पत्र भी दिया गया था। तब बैचिंग प्लांट और अन्य विभिन्न प्रकार शेड्स के निर्माण के लिए लगभग 30 एकड़ जमीन की आवश्यकता दर्शाई गई थी।

जमीन CSEB की तो किराया क्यों नहीं लिया जा रहा..

CSEB की जमीन का प्रकरण है तो CSEB प्रबंधन के संबंधित जवाबदार अधिकारी चुप्पी क्यों साधे हुए हैं??
निगम 2 करोड़ रुपए का जुर्माना CSEB की जमीन पर लगा चुकी है लेकिन CSEB की ओर से कोई प्रतिक्रिया सार्वजनिक रूप से अभी तक व्यक्त नही की गई है। इस प्रकार से देखा जाए तो CSEB को अब तक करोड़ों रुपयों का नुकसान किराए की राशि के रूप में अभी तक हो चुका है।

बैचिंग प्लांट किसकी जमीन पर..?

बैचिंग प्लांट की जमीन सूत्रों के अनुसार CSEB पूर्व की है और ऐसे में CSEB पूर्व के प्रबंधन के द्वारा विगत लगभग 6 महीनों से चुप्पी साधे रखना अनेक संदेहों को जन्म देता है। प्रश्न अब यह उठता है कि अगर जमीन CSEB पूर्व की है तो क्या अब CSEB प्रबंधन भी कार्यवाही करने के लिए आगे आएगा ?

-सेटेलाइट मैप में सफेद रंग में KTPS (Gen.) का लिखा गया पूरा क्षेत्र दिखाई दे रहा है और साथ ही इसमें हरे-भरे विशालकाय वृक्षों की वृहद श्रृंखला दिखाई दे रहा है लेकिन वर्तमान में कई स्थानों पर मैदान साफ है, इसी के साथ लाल घेरे में बैचिंग प्लांट।

रेलवे लाइन का किराया किसकी जेब में…??

ये तो थी बैचिंग प्लांट के कब्जे और किराए की बात। बालको अपने करोड़ों-अरबों रुपयों के बड़े-बड़े मशीनरी, निर्माण सामग्रियों की ढुलाई के लिए रेलमार्ग का उपयोग करती है। बालको के विनिवेश के बाद से बालको प्रबंधन के द्वारा रेल लाइन के उपयोग का दायरा बढ़ा है।
जानकारी के अनुसार बालको प्रबंधन के विनिवेश को अब लगभग 20 वर्ष से अधिक होने जा रहे है लेकिन रेलवे लाइन का किराया नही दिया जा रहा है। सूत्रों की माने तो रेलवे लाइन का एक बड़ा भाग CSEB का है। अगर ऐसा है तो CSEB प्रबंधन किराया क्यों नहीं ले रही है ??

CSEB की विजिलेंस टीम को उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए इस दिशा में सूक्ष्म जांच करना चाहिए ताकि CSEB का करोड़ों रुपयों का नुकसान बंद हो।

CSEB के स्वामित्व या बड़े झाड़ के जंगल होने पर NOC क्यों देगा निगम प्रशासन..?

जानकारों के अनुसार बैचिंग प्लांट की स्थापना के लिए CSEB को पत्र लिखा गया था लेकिन रिकॉर्ड में अधिग्रहण के बाद भी बड़े झाड़ के जंगल के रूप जमीन दर्ज है। प्रश्न उठता है कि बड़े झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज भूमि पर किसी तरह के निर्माण कार्य की अनुमति देने की अधिकारिता क्या निगम प्रशासन को है..??? वही पर अगर जमीन CSEB की है तो भी क्या बिना CSEB के अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए बिना ही निगम प्रशासन द्वारा अनुमति दिया जाएगा… इन बिंदुओ पर जिले भर की निगाहें निगम प्रशासन की अगली कार्यवाही पर टिकी हुई है। सूत्रों के अनुसार सील करने के पूर्व वैसे भी किसी प्रकार की अनुमति निगम प्रशासन के द्वारा नहीं दी गई थी।

ये है प्रकरण…

निगम भवन से मात्र 1500 मीटर दूर 500 मीटर की लंबाई में 6 माह से चलता रहा अवैध बैचिंग प्लांट…

निगम का प्रशासनिक “भवन साकेत” जहां से मात्र 1500 मीटर की दूरी पर मुख्य सड़क से लगा हुआ 500 मीटर यानि 1/2 kilomitar के दायरे में अवैध बैचिंग प्लांट में काम पिछले 6 महीनों से लगातार चल रहा था। निगम के अधिकारियों की बड़ी फौज का इसी सड़क से होकर बालको स्थित निगम प्रशासन के जोन कार्यालय प्रतिदिन आवागमन लगातार बना रहता है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से किसी की भी नजर में यह प्लांट नहीं आया।

दिखावे के लिए सील हुआ या प्लांट के अवैध निर्माण पर भी चलेगा निगम का बुलडोजर..?

6 महीनों से चल रहे बैचिंग प्लांट पर निगम ने ताला जड़ दिया है… लेकिन अब बड़ा प्रश्न यही उठ रहा है कि कि क्या अब चेकपोस्ट में चल रहे अवैध प्लांट पर कार्रवाई के बाद प्लांट के भीतर हो रहे अवैध निर्माण पर भी निगम का बुलडोजर चलेगा…??
6 महीनों के भीतर तो भीतर बड़े-बड़े निर्माण कार्य संपन्न हो गए होंगे, इसमें कोई शंका नहीं है क्योंकि बैचिंग प्लांटस से निकलने वाली सामग्री 2-3 घंटे के अंतराल में ही सुख जाती है। क्या दिखावे के लिए सील लगाया गया है, इसे लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। हालांकि ऐसा कुछ होगा इसकी आशा करना दिन में तारें देखने के समान है।

एक फ़िल्म आई ”कश्मीर फाइल्स” जिसका एक संवाद लोगों के मन पर छाप छोड़ गया ” सरकार किसी की हो सिस्टम हमारा है ” शायद ऐसा ही कुछ जिले की स्थिति है, जहां दशकों पुरानी सड़क का रास्ता बदल दिया जाता है…और भी बहुत कुछ लेकिन बहुत कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता

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