नितिन त्रिपाठी : मोदी युग से पूर्व वाले भारत की भाँति झाड़ियों में ही…

ये आधुनिक वाशरूम में पुरुष, महिला, लेडीज, जेंट्स, ही सी लिखने की प्रथा समाप्त सी हो गई है.
अब आप बताइए इस चिह्न को देख क्या समझ आएगा पुरुष है या महिला? दूसरे वाशरूम में भी ऐसे ही स्टैंड अप पोज़ीशन में सिम्बल है. अंतर इतना कि एक में टांग थोड़ी खुली हुई है. अब फिर से दिमाग़ चलाइए. अब तक तो दिमाग़ का दही हो गया.

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ऐसी सब जगहों पर पहले दो मिनट वेट करना पड़ता है कि कोई बाहर निकले तो समझ आये. फिर जो बाहर निकल रहा हो उसकी शक्ल देखो मार खा कर तो नहीं आ रहा है. यह तसल्ली हो जाये तो धीमे से जरा सा धक्का देकर खोल कर देखो कि सही वाश रूम है ग़लत में तो नहीं आ गये.

इतना काम्प्लेक्स करने की जगह हिन्दी में पुरुष या महिला लिख दें या फ़ोटो ही बनानी हैं तो इज़्ज़तदार सी रंग बिरंगी फ़ोटो बना दें जिसे देख समझ आ जाये पुरुष या महिला.

अभी पुरुष या महिला समझ में आना डिफिकल्ट हो रहा है अब ये ही शी दे वाली नई भसड़ चालू. अब तो लग रहा है मोदी युग से पूर्व वाले भारत की भाँति झाड़ियों में ही निवृत होना पड़ेगा.

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