नितिन त्रिपाठी : गाँव देहात में 40 पार करने के बाद..बवासीर लाइफ स्टाइल बीमारी…

भारत में सोशलिस्ट अपब्रिंगिंग ने मेहनत कर पैसे कमाने को बुरा बना दिया और इस नरेरिव को स्थापित रखने के लिए कहानियाँ गढ़ दी गईं, ग़रीबी को रोमांटीसाइज कर दिया गया.

अमीरों को नींद नहीं आती, गरीब चैन की नींद सोते हैं. कितने ही अमीरों को जानता हूँ इतनी नींद आती है उन्हें कि दिन भर जम्हाई लेते रहते हैं. और ग़रीबों को भी जानता हूँ बेटी की शादी होनी हो, पुलिस को रिश्वत देनी हो, कोर्ट कचहरी हो, रातों की नींद उड़ जाती है. हाँ यह सच है कि नींद तभी आती है जब मेहनत की हो. गरीब हो या अमीर मेहनत के पश्चात मस्त नींद आती है.

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सबसे मज़ेदार अमीरों को बवासीर हो जाता है. अरे भाई बवासीर लाइफ स्टाइल बीमारी है, अनुचित ख़ान पान से होती है. प्रायः मिडिल / लोअर क्लास को ज्यादा होती है. आपने कभी मेदांता का विज्ञापन न देखा होगा कि हमारे यहाँ बवासीर का इलाज होता है, उनका विज्ञापन हार्ट लिवर किडनी के होते हैं. हाँ रेलवे लाइन के किनारे शाही हकीम के विज्ञापन पा जाएँगे कि उनके यहाँ बवासीर का इलाज होता है – आपको भी पता है वहाँ इलाज कराने कौन जाता है.

गाँव देहात में चले जाइए चालीस पार करने के बाद बिरले गरीब ही मिलेंगे जो चलते फिरते हों. एक झटका लगते ही ऐसा टूट जाते हैं कि फिर उठना मुश्किल होता है. पैसे वाले फिर भी दवाई/ ख़ान पान के सहारे लंबे समय तक चलते रहते हैं.

ग़रीबी अभिशाप है. मेहनत कीजिए, पैसे बनाइए, समाज में इज्जत से रहिए, दान पुण्य करिए – यही जीवन है. शेष ख़ुद को बहलाने के बहाने हैं

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