NRI अमित सिंघल : …और यही विकास कमीशनखोरों को भा नहीं रहा

मोदी सरकार के द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर (रेल, राजमार्ग, हवाई यात्रा, बंदरगाह एवं शिपिंग, बिजली, पानी, ब्रॉडबैंड इंटरनेट के लिए फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क इत्यादि) विकास पर अत्यधिक महत्त्व दिया गया है जो हमें चहु ओर दिखाई देता है।

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फिर भी बंदरगाह एवं शिपिंग के क्षेत्र में ऐसे कार्य किये गए है जो हमें सिंगापुर एवं दुबई के समकक्ष खड़ा कर देते है या फिर उनसे भी ऊपर की पायदान पर बिठा दिया गया है। यूरोप एवं अमेरिका का उल्लेख नहीं किया है क्योकि वे इस क्षेत्र में एशिया से कहीं बहुत पीछे है।

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उदाहरण के लिए, विश्व बैंक एक रिपोर्ट में बतलाता है कि भारत का जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह एक शिप के बंदरगाह पहुंचने के बाद 0.9 दिनों या 22 घंटे में एक कंटेनर शिप से माल उतार कर, उसमे एक्सपोर्ट का माल लोड करके, शिप को अगली यात्रा के लिए रवाना कर देता है। इस प्रक्रिया को ship turnaround time कहा जाता है। भारत के सन्दर्भ में विश्व बैंक इस निष्कर्ष पर 71,765 अवलोकन (observation) के बाद पंहुचा है।

सिंगापुर में 0.8 दिन (13,621 अवलोकन), चीन में 1.9 दिन (87,910 अवलोकन), एवं दुबई में ship turnaround time 1.5 दिन (47,865 अवलोकन) के बाद इस टाइम को रिकॉर्ड किया गया है।

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मई और अक्टूबर 2022 के बीच कंटेनरों का औसत ठहराव समय (जिस अवधी में कंटेनर बंदरगाह पर पड़े रहते है) भारत और सिंगापुर के लिए 3 दिन, UAE और दक्षिण अफ्रीका के लिए 4 दिन, अमेरिका के लिए 7 और जर्मनी के लिए 10 दिन था।

विशाखापत्तनम बंदरगाह में एक कंटेनर के ठहरने का समय वर्ष 2015 में 32.4 दिन था जो वर्ष 2019 में गिरकर 5.3 दिन रह गया था।

विश्व बैंक के Logistics Performance Index में भारत अब 38वी रैंक पर है। वर्ष 2014 में 54वी रैंक पर था; लेकिन वर्ष 2014 में विश्व बैंक रैंकिंग ship turnaround time को संज्ञान में नहीं लेती थी।

विश्व बैंक लिखता है कि वर्ष 2015 के बाद, भारत ने सप्लाई चेन के लिए पूर्वी एवं पश्चिमी तटों पर स्थित बंदरगाहों को भीतरी इलाकों से जोड़ा है जिसके लिए बुनियादी ढांचे में भारी निवेश किया गया है।

अभी भारत में उत्पाद की लागत में लोजिस्टिक्स (ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज, वितरण इत्यादि) कॉस्ट लगभग 14-15 प्रतिशत होती है। मोदी सरकार इस लागत को इसी दशक में विकसित देशो के समकक्ष – 7-8 प्रतिशत – लाने के लिए प्रतिबद्ध है।

तभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में हमारे उत्पाद सस्ते होंगे एवं उनका एक्सपोर्ट भी सस्ता हो जाएगा।

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