ध्रुव कुमार : स्क्रिप्ट राइटर…
अनेक धूर्त व बेवकूफ पत्रकार आजकल कह रहे हैं कि मोदीजी स्क्रिप्टेड इंटरव्यू और भाषण देते हैं…
तो आज के समय में स्पीच और स्क्रिप्ट राइटर की डिमांड बहुत ज्यादा है। क्योंकि आज जिस तरह सोशल मीडिया, मीडिया और जनता के बीच में लोगों को पॉपुलर होने की चाहत है इसके लिए आवश्यक है कि उनके पास अच्छा कंटेंट हो, ताकि वे मान्य प्रमाणों व प्रवाहपूर्ण भाषाशैली के साथ अपनी बात ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचा सकें।
और यह केवल किसी एक फील्ड की बात नही है बल्कि बड़े-बड़े राजनेताओं, मुख्यमंत्री और मंत्रियों से लेकर मोटिवेशनल स्पीकर, सोशल इंफ्लुएंसर व कोचिंग जगत के फेमस चेहरे जिन्हें आप यूट्यूब पर सुनते हैं। उनमें से कोई भी ऐसा नही है जो बिना स्क्रिप्ट और तैयारी के बोलता है।
नेताओं से लेकर मोटिवेशनल स्पीकर व कोचिंग जगत तक के अनुभव से कह रहा हूँ कि आज कोई भी बड़ा नेता, इंफ्लुएंसर और टीचर ऐसा नही मिलेगा जो अपनी टीम और स्क्रिप्ट राइटर नही रखता है।
और वैसे इसमें कुछ बुरा भी नही है क्योंकि हर व्यक्ति हर मामले का एक्सपर्ट तो हो नही सकता है और न ही कोई विवेकानंद या दयानन्द सरस्वती की तरह ज्ञानी है कि उसकी जिह्वा पर सरस्वती विद्धमान है जिस कारण वह लगातार बिना रुके बोल सकें।
लेकिन उसके बाद भी आप देखेंगे कि सभी नेता और मोटिवेशनल स्पीकर फेमस नही होते हैं बल्कि ज्यादातर असफल या औसत रहते हैं और कई बार गलत बोल जाते हैं जिसके चलते उनकी भद्द पिट जाती है अब इसके कई कारण हैं।
पहला तो यह कि ज्यादातर लोग स्क्रिप्ट पर इतना निर्भर हो गए हैं कि उन्होंने पढ़ना बिल्कुल छोड़ दिया है मलतब हालत यह है कि कुछ बड़के टीचरों व मोटिवेशनल स्पीकरों ने न्यूज़ पेपर और किताबें पढ़ना तो दूर खोलना भी बंद कर दिया है।
अतः अब वे पूरी तरह स्किप्ट पर निर्भर हो गए हैं। लेकिन अब होता यह है कि उन्हें स्क्रिप्ट भी समझ में नही आती है क्योंकि स्क्रिप्ट समझने के लिए आपको कुछ तो आना चाहिए।
मान लीजिए मैंने एक स्क्रिप्ट तैयार की ‘मानवतावाद: मानव के पापी प्राणी से ईश्वर बनने तक कि यात्रा’। ….
अब इस टॉपिक को समझाने के लिए मैं पश्चिम के कुछ दार्शनिकों को कोट करूंगा, भारत और पश्चिम के दर्शन और इतिहास की तुलना करके बातें लिखूंगा। अब जिस व्यक्ति को इस टॉपिक पर बोलना होगा उसे दर्शन और इतिहास की मूलभूत समझ तो होनी चाहिए। अन्यथा सारी बातें उसी के सर के ऊपर से चली जाएगी और जब उसे ही चीजें समझ में नही आएगी तो वह दूसरों को क्या समझाएगा।
अतः स्क्रिप्ट का इस्तेमाल भी वही व्यक्ति अच्छे से कर सकता है जिसे चीजों की कुछ समझ हो और जो स्वयं भी कुछ मेहनत करे।
इसके साथ ही अच्छे वक्ता के लिए जरूरी है कि वह बोलते समय सही भावभंगिमाओं का प्रदर्शन करे व अपनी भाषा और आवाज में आवश्यकतानुसार उतार- चढ़ाव लाए
अन्यथा वो आपकी स्क्रिप्ट और मेहनत की ऐसी तैसी कर देता है और कुछ का कुछ जोड़ता घटाता और बोलता जाएगा और भाषण पूरी तरह बेजान और मुर्दा हो जाता है।
और जब आपकी मेहनत को कोई इस तरह बर्बाद करता है तब खून के आंसू आते हैं और उसके बाद अगर वह व्यक्ति कहें कि मजा नही आया, तुम्हारा काम भी कोई काम है तो कसम से गालियां देने का मन करता है। क्योंकि एक ढंग की स्क्रिप्ट के लिए रिसर्च करने व लिखने में कम से कम पांच से छह दिन लगते हैं।
मैंने तो अब कसम खाई हैं कि किसी मोटिवेशनल स्पीकर और फेमस टीचर के लिए स्क्रिप्ट नही लिखूंगा। अब जो भी लिखूंगा अपने लिए लिखूंगा।
सफ़ल नेता और मोटिवेशनल स्पीकर और असफ़ल नेता और असफ़ल मोटिवेशनल स्पीकर में अंतर यही होता है कि वे अपने रिसोर्स और स्क्रिप्ट का इस्तेमाल कैसे करता है।
और ऐसा भी नही है कि केवल मोदीजी की ही टीम लगी है और राहुल गांधी, अखिलेश यादव व बाकी लोग अपने अंतर्मन और ईश्वर की प्रेरणा से बोलते हैं।
बल्कि इस समय कांग्रेस और राहुल गांधी के पास बीजेपी से ज्यादा बड़ी टीम और ज्यादा स्क्रिप्ट राइटर है लेकिन बोलना तो अंततोगत्वा राहुल गांधी को ही है जो अच्छी से अच्छी बात को गुड़ गोबर कर देते हैं।
जबकि मोदीजी उन्ही संसाधनों, तथ्यों, स्क्रिप्ट और भाषणों का शानदार इस्तेमाल करते हैं।
