सुरेंद्र किशोर : बांग्ला देश में जारी उन्मादी हिंसा से भारतीय राजनीति में गुणात्मक परिवर्तन के साफ संकेत

बांग्ला देश के जेहादी तत्व वहां के गैर मुस्लिमों खासकर हिन्दुओं पर धर्म परिवर्तन या देश छोड़ने का दबाव बना रहे हैं।विरोध होने पर जेहादी हिंसा कर रहे हैं।
नब्बे के दशक में कश्मीर के हिन्दुओं के साथ वहां के जेहादियों ने ऐसा ही सलूक किया था।
पर,कश्मीर के वे जघन्य दृश्य हमलोग तब अपने टी.वी.चैनलों पर नहीं देख सके थे।

जिस तरह कश्मीर के अनेक हिन्दू कट-मर गये,पलायन कर गये ,पर उन्होंने अपना धर्म नहीं बदला,उसी तरह बांग्ला देश के हिन्दू भी अहिंसक प्रतिरोध कर रहे हैं।
(ऐसी घटनाएं राहुल गांधी की उस टिप्पणी को झुठलाती है-जिसके तहत ‘‘चिर युवा’’ नेता ने हिन्दुओं को हिंसा और नफरत का प्रतीक बताया था।)
बांग्ला देश में पुलिस-सेना के सहारे घटित हो रहे अमानवीय अपराधों के दृश्य हम आए दिन अपने टी.वी.चैनलों पर देख रहे हैं।
मध्य युग के बारे में कल्पना भी कर रहे हैं।

Veerchhattisgarh

मेरे खुद के पूर्वज भी मध्य युग में ही जोधपुर SE भाग कर बिहार के सारण जिले में आकर बसे थे।संभवतः ऐसी ही परिस्थितियां रही होंगी।
इन ताजा दृश्यों को देखकर और उस पर योगी आदित्यनाथ तथा प्रधान मंत्री की टिप्पणियों को सुन-पढ़कर भारत के बहुसंख्यक समुदाय के बीच एक नये ढंग की जागृति देखी जा रही है।
यहां अब छत्रपतियों-महाराणाओं जैसी सोच वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है और जयचंदी प्रवृति वाले लोग कमजोर होतेे जा रहे हैं।
इससे जेहादी समर्थक नेताओं में चिंता देखी जा रही है।उनमें से कुछ अपना रुख बदल रहे हैं।बल्कि रुख बदलने को मजबूर हो रहे हैं।
इस परिवर्तन का असर पिछले चुनाव नतीजों में साफ-साफ देखा गया है।
इससे कांग्रेस के अस्तित्व पर ही खतरा नजर आने लगा है।

इस कारण कांग्रेस के एक हिस्से ने ऐसे मामलों में अपना पिछला रुख बदल लिया है।बल्कि कहिए कि कांग्रेस रुख बदलने पर मजबूर हुई है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी और राजस्थान के पूर्व मुख्य मंत्री अशोक गहलोत के उसी तर्ज पर बयान आये हैं।
प्रियंका ने कहा है कि बांग्ला देश में इस्काॅन के मंदिर के संत की गिरफ्तारी और हिन्दुओं के खिलाफ हो रही हिंसा की खबरें चिंताजनक हैं।प्रियंका ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह बांग्ला देश सरकार के समक्ष अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाये।
याद रहे कि कांग्रेस की ओर से ऐसे बयान विरल हैं।

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दूसरी ओर ,केरल के पूर्व मुख्य मंत्री ए.के एंटोनी ऐसे मामलों में ऐसा ही रुख यानी संतुलित रुख अपनाने की सलाह कांग्रेस को सन 2014 के मध्य से ही देते रहे हैं।कांग्रेस नेतृत्व उस सलाह को नजरअंदाज करता रहा है।पता नहीं प्रियंका के इस ताजा बयान को सोनिया-राहुल का समर्थन हासिल है या नहीं।

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याद रहे कि सन 2002 में जब सुबह-सुबह गोधरा में 59 कार सेवकों को पेट्रोल छिडक कर जिंदा जला दिया गया था, तब दिन भर टी.वी.चैनल उसकी हृदयविदारक खबरें देते रहे।पर,कांग्रेस सहित किसी तथाकथित सेक्युलर दल ने उस मानव दहन कांड की निन्दा तक नहीं की।पर, जैसे ही शाम से बहुसंख्यकों की ओर से प्रति-प्रहार शुरू होने लगा ,वे दल मुख्य मंत्री मोदी को राक्षस बताने लगे।लगातार ऐसे ही रुख-रवैया के कारण नरेंद्र मोदी को जनता ने अपना कर प्रधान मंत्री बना दिया।
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प्रियंका गांधी यदि भ्रष्टाचार व सांप्रदायिक मामलों में कांग्रेस से अलग हटकर संतुलित व ईमानदार रुख अपनायंे तो कांग्रेस की अवनति रुक सकती है।
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जरा भारत के भीतर भी झांकें
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जो नेता बांग्ला देश की घटनाओं पर चिंता प्रकट करने लगे हैं,उन्हें भारत के भीतर के उन इलाकों में बेचारा बने हिन्दुओं की दुर्दशा की भी खोज-खबर लेनी चाहिए।
आजादी के बाद तरह-तरह के कारणों से कई राज्यों में हिन्दू अल्पमत में आ गये हैं।राजनीति संरक्षित घुसपैठ इसका सबसे बड़ा कारण है।घुसपैठ जारी है जिसे करीब आधा दर्जन मुख्यमंत्रियों का समर्थन हासिल है।

जहां हिन्दू अब अल्पसंख्यक हो चुके हैं,भारत के उन इलाकों के जेहादी प्रवृति वालों के हाथों हिन्दू रोज-रोज प्रताड़ित हो रहे हैं।पलायन कर रहे हैं।धर्म परिवर्तन हो रहे हैं।
वहां भयवश मीडिया भी नहीं जा रहा है।
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कई साल पहले पश्चिम बंगाल के भीतरी इलाके से इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर दी थी।
उस खबर के अनुसार मुस्लिम बहुल बन गये गांव के मुस्लिम धर्म गुरु ने हाॅफ पैंट पहन कर हाॅकी खेल रही लड़कियों को वैसा करने से रोक दिया।कहा कि यह हमारे धर्म के खिलाफ है।
यानी छोटे इलाके में उन लोगों ने शरीया लागू कर रखा था।
खबर मिलती है कि कई जगह पूजा-पाठ के लिए भी किसी से इजाजत लेनी पड़ रही है।आंतरिक पलायन हो रहा है।

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अपने शासन काल के आखिरी महीनों में पश्चिम बंगाल के माक्र्सवादी मुख्य मंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का ‘जनसत्ता’ में एक बयान मैंने पढ़ा था।
मुख्य मंत्री ने स्वीकारा था कि घुसपैठियों के कारण हमारे राज्य के 7 जिलों में सामान्य प्रशासन के लिए अपना काम काज करना मुश्किल हो गया है।
बात तो उन्होंने ठीक कही थी ,पर बाद में नेतृत्व के दबाव में आकर वे अपने बयान से पलट गये थे।

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